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सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संसोधन 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021, सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संसोधन ) 
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, सूचना प्रौद्योगिकी)

संदर्भ 

  • हाल ही में, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम, 2021) में संशोधनों को अधिसूचित किया है।

प्रमुख संसोधन 

  • वर्तमान में, सोशल मीडिया मध्‍यवर्तियों को केवल हानिकारक/गैरकानूनी सामग्री की कुछ श्रेणियों को अपलोड नहीं करने के बारे में उपयोगकर्ताओं को सूचित करना होता है।
    •  ये संशोधन मध्‍यवर्तियों को उपयोगकर्ताओं को ऐसी सामग्री अपलोड करने से रोकने के उचित प्रयास करने का कानूनी दायित्व सौंपते हैं।
    •  नये प्रावधान यह सुनिश्चित करेंगे, कि मध्यवर्ती का दायित्व केवल औपचारिकता ना रहे।
  • मध्‍यवर्तियों को नियमों और विनियमों के संबंध में प्रभावी सूचना देने के लिए यह महत्वपूर्ण है, कि सूचना क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में भी दी जाए।
  •  नियम 3(1) (बी)(ii) के आधार को 'मानहानिकारक' और 'अपमानजनक' शब्दों को हटाकर युक्तिसंगत बनाया गया है।
    •  कोई सामग्री मानहानिकारक या अपमानजनक है या नहीं, यह न्यायिक समीक्षा के माध्यम से निर्धारित किया जाएगा।
  • नियम 3 (1) (बी) में कुछ सामग्री श्रेणियों को विशेष रूप से गलत सूचना, और ऐसी सामग्री जो विभिन्न धार्मिक/जाति समूहों के बीच हिंसा को उकसा सकती है, से निपटने के लिए अलग ढंग से व्‍यक्‍त किया गया है।
  • संशोधन में मध्‍यवर्तियों को संविधान के तहत उपयोगकर्ताओं को प्रदत्त अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता बतायी गई है, जिनमें तत्परता, निजता और पारदर्शिता की उचित अपेक्षा किया जाना शामिल है।
  • मध्‍यवर्तियों की निष्क्रियता या उपयोगकर्ताओं की शिकायतों पर उनके द्वारा लिए गए निर्णयों के खिलाफ अपील करने के लिए शिकायत अपील समिति (समितियों) की स्थापना की जाएगी।
    • हालांकि किसी भी समाधान के लिए उपयोगकर्ताओं को अदालत के समक्ष अपील करने का अधिकार होगा।

संसोधन की आवश्यकता

  • सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा उपयोगकर्ताओं को उनके कार्यों की व्याख्या करने का अवसर दिए बिना डी-प्लेटफ़ॉर्मिंग एक आवर्ती शिकायत है, जो सरकार को उपयोगकर्ताओं से प्राप्त हुई थी।
  • प्रस्तावित संशोधन यह सुनिश्चित करेंगे, कि नए जवाबदेही मानकों को सुनिश्चित करके किसी भी बड़े तकनीकी मंच द्वारा भारतीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाता है।

सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021

  • भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 87 (2) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड), नियम, 2021 को अधिसूचित किया था।

मुख्य प्रावधान

  • ये नियम सोशल मीडिया संस्थाओं सहित मध्यवर्ती संस्थाओं को उपयोगकर्ताओं या पीड़ितों से शिकायतों को प्राप्त करने और हल करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना अनिवार्य करके उपयोगकर्ताओं को मजबूत बनाने का प्रयास करते है। 
    • मध्यवर्ती संस्थाएं ऐसी शिकायतों से निपटने के लिए एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करेंगी, और ऐसे अधिकारी का नाम और संपर्क विवरण साझा करेंगी। 
    • शिकायत अधिकारी 24 घंटे के अंदर शिकायत की स्वीकृति देंगे, और प्राप्त होने के पंद्रह दिनों के भीतर इसका समाधान करेंगे।
  • मध्यवर्ती संस्थाएं ऐसी सामग्री को शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के अंदर हटा देंगे, जो व्यक्तियों की निजी निजता को उजागर करती है। 
    • ऐसी शिकायत को या तो व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दायर किया जा सकता है।
  • महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियों का भारत में एक भौतिक संपर्क पता होना चाहिए, जो उनकी वेबसाइट या मोबाइल ऐप या दोनों पर प्रकाशित होना आवश्यक है।
  • जो उपयोगकर्ता स्वेच्छा से अपने खातों को सत्यापित करना चाहते हैं, उन्हें अपने खातों को सत्यापित करने के लिए एक उपयुक्त प्रक्रिया प्रदान की जायेगी। 
  • ऐसे मामलों में जहां महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती, किसी भी जानकारी को अपने हिसाब से हटाते या अक्षम करते हैं, तो इसके लिए एक पूर्व सूचना उस उपयोगकर्ता को दी जाएगी, जिसने उस जानकारी को एक नोटिस के साथ साझा किया है।
  • सोशल मीडिया मध्यवर्ती को भारत की संप्रभुता और अखंडता, सार्वजनिक व्यवस्था, विदेशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों आदि के संबंध में किसी भी कानून के तहत निषिद्ध किसी भी जानकारी को होस्ट या प्रकाशित नहीं करना चाहिए।

प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (यूपीएससी-2017)

  1. सेवा प्रदाताओं 
  2. डेटा केंद्र 
  3. कॉर्पोरेट निकाय

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