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तिब्बती पठार में ब्लैक कार्बन उत्सर्जन 

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ और पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन, आपदा और आपदा प्रबंधन)

चर्चा में क्यों 

हालिया अध्ययन के अनुसार दक्षिण एशियाई क्षेत्र से उत्सर्जित ब्लैक कार्बन एरोसोल से तिब्बती पठार के हिमनद व्यापक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। 

प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्ताओं के अनुसार दक्षिण एशियाई क्षेत्र में विश्व का सर्वाधिक ब्लैक कार्बन उत्सर्जन होता है, जिससे हिमालय के पार तिब्बती पठार के अंतर्देशीय क्षेत्र (Inland Region) में हिमनद प्रभावित हो रहे हैं।
  • तिब्बत के पठार को ‘एशियाई जल मीनार’ (Asian Water Tower) भी कहा जाता है, जो एशिया के लिये जल संसाधनों का एक प्रमुख स्त्रोत है। 
  • तिब्बत के पठार के बाहर से होने वाली जलवाष्प की आपूर्ति इस पठार के जल संतुलन को बनाए रखती है। लेकिन अब ब्लैक कार्बन एरोसोल इस जल संतुलन को बिगाड़ रहा है।

तिब्बती पठार की प्रमुख नदियाँ

  • तिब्बत के पठार से निकलने वाली कुछ प्रमुख नदियों में पीली, यांग्त्ज़ी, मेकांग, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सालवीन, इरावदी आदि शामिल है। इसके अलावा, इस पठार से कोसी, करनाली, अरुण, सतलुज आदि नदियाँ भी निकलती है।
  • ब्रह्मपुत्र तिब्बत की सबसे लंबी और विश्व की सबसे ऊँची नदी है। इसे चीन में यारलुंग त्संगपो (Yarlung Tsangpo) और बांग्लादेश में जमुना के नाम से जाना जाता है। यह बंगाल की खाड़ी में विलीन होने से पूर्व गंगा नदी के साथ मिलकर विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा बनाती है।
  • पीली नदी को हुआंग हो के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी पूर्वी तिब्बती पठार से निकलती है और पूर्वी चीन सागर के बोहाई सागर में गिरती है।
  • मेकांग नदी छः देशों- चीन, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम से प्रवाहित होते हुए दक्षिण चीन सागर में गिरती है।
  • इसके अतिरिक्त, यांग्त्ज़ी नदी पूर्वी चीन सागर में, सिंधु नदी अरब सागर में, सालवीन एवं इरावदी नदी अंडमान सागर में विलीन होती है।

Yarlung-Tsangpo

तिब्बती हिमनदों में गिरावट 

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र में ब्लैक कार्बन बादल संघनन नाभिकों (Cloud Condensation Nuclei) की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे संवहन गतिविधि भी बढ़ रही है। 
  • ये एरोसोल दक्षिण एशिया में वर्षा के रूप में अधिक जल वाष्प बनाते हैं लेकिन जल वाष्प की कम मात्रा को तिब्बती पठार तक पहुँचाते हैं।
  • नतीजतन, मानसून के दौरान मध्य और दक्षिणी तिब्बती पठार में वर्षा कम हो जाती हैं, जिससे इस क्षेत्र में हिमनदों के द्रव्यमान में व्यापक स्तर पर कमी हो रही है।
  • वर्ष 2007 से 2016 तक वर्षा में कमी के कारण औसत हिमनद द्रव्यमान हानि तिब्बती पठार में 11% और हिमालय में 22.1% थी। 

ब्लैक कार्बन 

  • यह छोटे कार्बनयुक्त कण है जो जीवाश्म ईंधन और बायोमास के अर्द्ध दहन के कारण उत्पन्न होते हैं। यह प्रकाश का अवशोषण और इन्फ्रा-रेड विकिरण का उत्सर्जन करते हैं।
  • ब्लैक कार्बन जब वर्षा की बूँदों के साथ हिमनद की सतह पर गिरता है तब इसका एल्बिडो (Albedo) कम हो जाता है जिससे हिमनद गर्म होकर तेजी से पिघलने लगता है। 

क्या है एल्बिडो

  • किसी सतह द्वारा परावर्तित ऊर्जा की मात्रा को एल्बिडो कहा जाता है। यह गहरे रंगों में लगभग शून्य होता है, अर्थात् अत्यधिक कम या कोई ऊर्जा परावर्तित नहीं होती है। 
  • जबकि यह हल्के रंगों में लगभग 100% होता है, अर्थात् लगभग पूर्ण ऊर्जा परावर्तित हो जाती है। 
  • उदाहरणस्वरूप, वनों से टकराने वाली सौर ऊर्जा का लगभग 15% भाग जबकि हिमनदों से टकराने वाली सौर ऊर्जा का लगभग 90% भाग अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है।
  • विश्व में ब्लैक कार्बन के सबसे बड़े उत्सर्जक भारत और चीन हैं, जो इसमें 25-35% तक का योगदान करते हैं। 
  • भारतीय उपमहाद्वीप में सिंधु-गंगा का मैदान ब्लैक कार्बन का सबसे बड़ा स्त्रोत है।  इस क्षेत्र में जैव-ईंधन से 20%, जीवाश्म ईंधन से 40% और बायोमास दहन से 40% तक ब्लैक कार्बन उत्सर्जन होता है।

ब्लैक कार्बन उत्सर्जन के नियंत्रण हेतु भारत के प्रयास 

  • भोजन पकाने के लिये स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत।
  • सार्वजनिक परिवहन के लिये मेट्रो रेल नेटवर्क में वृद्धि।
  • 1 अप्रैल, 2020 से वाहनों के लिये बी.एस.-IV से बी.एस.-VI मानदंड को अपनाना।
  • सीएनजी, एलपीजी आदि स्वच्छ गैसीय ईंधन एवं इथेनॉल सम्मिश्रण को बढ़ावा। 
  • वर्ष 2023-24 तक 5000 कम्प्रेस्ड बायो-गैस (CBG) उत्पादन संयंत्र की स्थापना हेतु ‘वहनीय परिवहन के लिये सतत वैकल्पिक’ (Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation : SATAT) पहल की शुरुआत। 
  • इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन को बढ़ावा देने के उदेश्य से फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) फेज-2 योजना की शुरुआत।
  • वर्ष 2025-26 तक पार्टिकुलेट मैटर सघनता (Particulate Matter Concentrations) में 40% की कमी का लक्ष्य। 
  • वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ को लागू करना।

हिमनद (Glacier)

  • विश्व में ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर प्रत्येक महाद्वीप पर हिमनद पाए जाते हैं। इनमें से ज्यादातर हजारों वर्ष पुराने हैं। 
  • ये संपीडित बर्फ की परतों से बने होते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण और चट्टान के सापेक्ष बर्फ की कोमलता के कारण चलते या प्रवाह करते हैं।
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