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जलवायु परिवर्तन का वैश्विक स्वास्थ्य पर प्रभाव

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

लैंसेट ने एक हालिया रिपोर्ट में मौसम की बदलती घटनाओं और लोगों के स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव के बीच घनिष्ठ संबंध को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया है। 

प्रमुख बिंदु

  • इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘द 2022 लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज : हेल्थ एट द मर्सी ऑफ फॉसिल फ्यूल्स’ है।
  • इसके अनुसार, जीवाश्म ईंधन पर दुनिया की निर्भरता से बीमारी, खाद्य असुरक्षा और गर्मी से संबंधित अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

रिपोर्ट की रूपरेखा

  • जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों में जीवन को गंभीर रूप से अस्त-व्यस्त करने की क्षमता है। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक घटना है जो जीवन के लगभग प्रत्येक पहलू को प्रभावित करती है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, सभी देश तथा स्वास्थ्य प्रणालियाँ कोविड-19 महामारी के स्वास्थ्य, सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावों का सामना करना कर रही हैं जबकि रूस-यूक्रेन संघर्ष और लगातार जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता ने विश्व को वैश्विक ऊर्जा संकट व जीवन-यापन संकट में धकेल दिया है।
    • इसके बिगड़ते प्रभाव मानव स्वास्थ्य और देखभाल को तेजी से प्रभावित कर रहे हैं, जिससे दुनिया की आबादी आसन्न स्वास्थ्य खतरों की चपेट में आ गई है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य के सामाजिक और पर्यावरणीय निर्धारकों को प्रभावित करता है, जिसमे स्वच्छ वायु, सुरक्षित पेयजल, पर्याप्त भोजन और सुरक्षित आश्रय शामिल है।

 संक्रामक रोगों में वृद्धि 

  • जलवायु परिवर्तन संक्रामक रोग के प्रसार को प्रभावित कर रहा है तथा यह उभरती हुई बीमारियों और संबंधित महामारियों के जोखिम को बढ़ा रहा है। 
    • उदाहरण के लिये विब्रियो रोगजनकों (Vibrio Pathogens) के संचरण के लिये तटीय जल अधिक अनुकूल होता जा रहा है।
  • साथ ही, अमेरिका और अफ्रीका की उच्च भूमियों में मलेरिया संचरण के लिये अनुकूल महीनों की संख्या में भी वृद्धि हो गई है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की भविष्यवाणी के अनुसार, वर्ष 2030 से 2050 के मध्य जलवायु परिवर्तन से कुपोषण, मलेरिया, डायरिया और उष्मागत तनाव से प्रति वर्ष लगभग 2,50,000 अतिरिक्त मौतें होने की संभावना है।

खाद्य सुरक्षा की स्थिति

  • जलवायु परिवर्तन ने खाद्य सुरक्षा के प्रत्येक आयाम को प्रभावित किया है। इससे अनाज की कई फसलों की विकास की अवधि छोटी होने के साथ ही उच्च तापमान प्रत्यक्ष रूप से फसल की पैदावार को प्रभावित करता है।
  • चरम मौसमी घटनाएं आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करती हैं जिससे खाद्य उपलब्धता, पहुंच, स्थिरता और उपयोग में कमी आती है।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान अल्पपोषण में वृद्धि हुई जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में 161 मिलियन अधिक लोगों को भूख का सामना करना पड़ा।
    • रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण यह स्थिति अधिक खराब हो गई है।

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता

  • रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व के कई देशों ने रूसी तेल एवं गैस के स्थान पर वैकल्पिक ईंधन की खोज के लिये प्रया किया है तथा उनमें से कुछ अभी भी पारंपरिक तापीय ऊर्जा की ओर रुख कर रहे हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, कोयले के प्रयोग में पुन: वृद्धि की प्रवृत्ति वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये किये गए सभी प्रयासों व लाभों को उलट सकता है और दुनिया को त्वरित जलवायु परिवर्तन की ओर धकेल सकती है जो वास्तुत: मानव अस्तित्व को खतरे में डाल देगा।
    • इसके स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा रूपों की ओर संक्रमण निर्विवाद रूप से भविष्य के लिये एक स्थायी उपाय सिद्ध होगा।

उपाय

स्वास्थ्य-केंद्रित दृष्टिकोण 

  • रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु, ऊर्जा और जीवन यापन के मौजूदा संकट के लिये स्वास्थ्य-केंद्रित प्रतिक्रिया एक स्वस्थ एवं निम्न-कार्बन भविष्य का अवसर प्रदान करती है।
  • स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति बढ़ते प्रयासों और जलवायु परिवर्तन से खतरों के आकलन के लिये सरकारों की प्रतिबद्धता पर्यावरण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत हैं।
  • इस तरह से एक स्वास्थ्य-केंद्रित प्रतिक्रिया ऊर्जा सुरक्षा में सुधार और आर्थिक सुधार के अवसर पैदा करते हुए जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक विनाशकारी प्रभावों की संभावना को कम करेगी।
  • वायु गुणवत्ता में सुधार से पीएम 2.5 के संपर्क से होने वाली मौतों के नियंत्रण में मदद मिलेगी। निम्न कार्बन वाले परिवहन के लिये बढ़ता दबाव और शहरी स्थानों में वृद्धि के परिणामस्वरूप शारीरिक गतिविधि में वृद्धि होगी जिसका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

संतुलित एवं वनस्पति-आधारित आहार

  • यह रिपोर्ट संतुलित और अत्यधिक वनस्पति-आधारित आहारों के लिये त्वरित संक्रमण का भी आह्वान करती है जिससे रेड मीट एवं दूध उत्पादन से उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी। 
    • इससे आहार से संबंधित मौतों को रोकने के अतिरिक्त पोषक आहार के माध्यम से जूनोटिक रोगों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
  • यह रिपोर्ट इंगित करती है कि इस प्रकार के स्वास्थ्य-केंद्रित बदलाव संचारी और गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम करेंगे और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं पर दबाव कम करते हुए अधिक मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियों की ओर अग्रसर होंगे।
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