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डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण पर मसौदा विधेयक 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण मसौदा विधेयक)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, साइबर सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी)

संदर्भ

  • केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण पर मसौदा विधेयक का संक्षिप्त और संशोधित संस्करण जनता और हितधारकों की टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक रूप से पेश किया गया है।
  • यह विधेयक भारत में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण को नियंत्रित करने वाली व्यापक कानूनी व्यवस्था की स्थापना करेगा।
  • विधेयक डिजिटल व्यक्तिगत डेटा का उपयोग इस तरह से करता है, जो व्यक्तियों के अपने व्यक्तिगत डेटा, सामाजिक अधिकारों की रक्षा करने के अधिकार और वैध उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करने की आवश्यकता को पहचानता है।

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण मसौदा विधेयक, 2022

  • संशोधित मसौदे को सरकार द्वारा पहले के संस्करण को वापस लेने के बाद जारी किया गया था, जिसके संबंध में तकनीकी कंपनियों और नागरिक समाज को महत्वपूर्ण चिंताएं थी।
  • मूल विधेयक (2019) व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षा प्रदान करने और एक डेटा संरक्षण प्राधिकरण स्थापित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण द्वारा तैयार किया गया था।
  • मसौदा विधेयक का मुख्य उद्देश्य, व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के अधिकार के साथ-साथ वैध उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने की आवश्यकता को मान्यता प्रदान करना है।
  • विधेयक का उद्देश्य, डेटा प्रिंसिपल (वह व्यक्ति जिससे व्यक्तिगत डेटा संबंधित है) और डेटा फिड्यूशरी (व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने के साधन और उद्देश्य तय करने वाली इकाई ) के बीच विश्वास का संबंध बनाना है।
  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 के खिलाफ उद्योग जगत की चिंताओं को स्वीकार करते हुए , नए मसौदा विधेयक में सरकार ने डेटा संरक्षण व्यवस्था के दायरे को केवल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण तक सीमित कर दिया है और गैर-व्यक्तिगत डेटा को इसके दायरे से बाहर कर दिया है।
  • नवीन मसौदा विधेयक में किसी दस्तावेज, सेवा आदि के लिए आवेदन करते समय गलत जानकारी प्रदान करने वाले या डेटा फिड्यूशरी या बोर्ड के पास झूठी शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्तियों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
  • नए मसौदा विधेयक ने सीमा पार डेटा प्रवाह पर महत्वपूर्ण रियायतों को भी स्वीकार किया है, और प्रस्ताव दिया है, कि केंद्र सरकार उन नियमों और शर्तों के साथ भारत के बाहर के देशों या क्षेत्रों को सूचित करेगी, जिनके लिए एक डेटा प्रत्ययी व्यक्तिगत डेटा स्थानांतरित कर सकता है।
  • विधेयक सरकार को भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए विधेयक के प्रावधानों से छूट देने की शक्ति भी प्रदान करता है।
  • कंपनियों को अब ऐसे उपयोगकर्ता डेटा को बनाए रखने की आवश्यकता नहीं होगी, जो इसके व्यावसायिक उद्देश्य को पूरा नहीं करता है।
  • देश के स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को ध्यान में रखते हुए , सरकार कुछ व्यवसायों को उपयोगकर्ताओं की मात्रा और संसाधित व्यक्तिगत डेटा के आधार पर विधेयक के प्रावधानों का पालन करने से छूट दे सकती है।
  • नए विधेयक के तहत, नियामक, गैर-अनुपालन के लिए 500 करोड़ तक का जुर्माना लगा सकते हैं, लेकिन जिनके व्यक्तिगत डेटा को प्रभावित किया गया है, उनके लिए मुआवजे के प्रावधान को हटा दिया गया है।
  • विधेयक भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना का प्रावधान तथा बोर्ड के विस्तृत कार्यों को निर्धारित करता है।

मसौदा विधेयक में व्यक्तियों की सहमति संबंधी प्रावधान 

  • विधेयक के अनुसार, व्यक्ति की सहमति को उसके व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिए आधार बनाया जाना चाहिए, ऐसे मामलों को छोड़कर जहां सहमति मांगना अव्यावहारिक या अनुचित है। 
    • व्यक्ति को किसी भी समय अपनी सहमति वापस लेने का अधिकार होगा।
  • सहमति के लिए किए गए, ऐसे सभी अनुरोध स्पष्ट और सामान्य भाषा में डेटा प्रिंसिपल के सामने प्रस्तुत किए जाने चाहिए और इन अनुरोधों को अंग्रेजी या संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत सूचीबद्ध किसी अन्य भाषा में पढ़ने का विकल्प भी प्रदान किया जाना चाहिए।
  • सरकार ने विधेयक के मसौदे के माध्यम से "सहमति प्रबंधकों" की अवधारणा को आगे बढ़ाया है, जिसमें सहमति प्रबंधक मंच, व्यक्तियों को डेटा फिड्यूशरीज़ के साथ उनकी बातचीत और उन्हें दी गई सहमति को देखने और निगरानी करने में मदद करेगा।

महत्व

  • मसौदा विधेयक में डेटा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपाय किये गए है। 
    • विधेयक के पिछले संस्करण में निर्धारित डेटा के दुरुपयोग के लिए जुर्माने को एक प्रभावी निवारक के रूप में नहीं देखा गया था। 
    • इस विधेयक द्वारा प्रस्तावित उच्च दंड संस्थाओं को डेटा की सुरक्षा के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों का निर्माण करने और प्रत्ययी अनुशासन लागू करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • डेटा के दुरुपयोग और डेटा उल्लंघनों की स्थिति में कंपनियों को वित्तीय दंड की प्रकृति में दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
  • नए विधेयक के तहत कंपनियों द्वारा एकत्र किए गए डेटा की एक सख्त उद्देश्य सीमा भी होगी, जब तक वे इसे स्टोर कर सकते है।
  • प्रारंभिक उद्देश्य जिसके लिए इसे एकत्र किया गया था, पूरा होने के बाद डेटा  न्यासियों को व्यक्तिगत डेटा को बनाए रखना बंद करना होगा और पहले एकत्र किए गए डेटा को हटाना होगा।

चिंतायें 

  • इस विधेयक में राज्य एजेंसियों को व्यापक तथा अस्पष्ट छूट प्रदान की गई है। 
    • यह 2017 के निजता के अधिकार के ऐतिहासिक निर्णय में निर्धारित 'आवश्यकता' और 'आनुपातिकता' के परीक्षण के अनुरूप नहीं है।
  • प्रस्तावित डेटा संरक्षण बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पूरी तरह से केंद्र सरकार के विवेक पर छोड़ दी गई है, जिससे उनकी स्वतंत्रता में कमी आएगी।
    • यह डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी (2019 बिल के तहत) के विपरीत है, जिसके एक वैधानिक संस्थान होने की परिकल्पना की गई थी।
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