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ऊर्जा सुरक्षित दक्षिण एशिया का लक्ष्य

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3- बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि से संबंधित विषय)

संदर्भ

हाल ही में, बांग्लादेश ने 100% विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है जबकि भूटान, मालदीव और श्रीलंका ने इस लक्ष्य को वर्ष 2019 में ही हासिल कर लिया था।

पृष्ठभूमि

  • दक्षिण एशिया में विश्व की लगभग एक-चौथाई जनसंख्या निवास करती है। दक्षिण एशिया में विद्युत उत्पादन वर्ष 1990 के 340 टेरावाट घंटे (TWh) से बढ़कर वर्ष 2015 में 1,500 टेरावाट घंटे हो गया है।
  • भारत में विद्युतीकरण लगभग 94.4%, अफगानिस्तान में 97.7% जबकि पाकिस्तान में मात्र यह 73.91% है। भूटान में बिजली की कीमत सबसे सस्ती है, जबकि भारत में सबसे अधिक है। 
  • बांग्लादेश सरकार ने विद्युत उत्पादन में काफी सुधार किया है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2009 में बिजली की मांग 4,942 किलोवाट से बढ़कर वर्ष 2022 में  25,514 मेगावाट हो गई है। 
  • भारत अपनी कुल विद्युत खपत का 40% प्रदान करने के लिये अक्षय ऊर्जा में परिवर्तन करने की कोशिश कर रहा है।

दक्षिण एशियाई देशों की विद्युत नीति

  • दक्षिण एशियाई देशों की विद्युत नीतियों का उद्देश्य हर घर को कुशल तरीके सेतथा उचित दरों परविश्वसनीयव गुणवत्तापूर्ण विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।साथ ही उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है। 
  • इसमें उत्पादन, पारेषण, वितरण, ग्रामीण विद्युतीकरण, अनुसंधान और विकास, पर्यावरण संबंधी मुद्दे, ऊर्जा संरक्षण और मानव संसाधन प्रशिक्षण शामिल हैं।

विद्युतीकरण तथा विकास 

  • विद्युतीकरण न केवल जीवन शैली में सुधार करने में सहायक है बल्कि यह किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद में सुधार करके समग्र अर्थव्यवस्था को भी एकीकृत करता है। एक अनुमान के अनुसार ऊर्जा खपत में 0.46% की वृद्धि से प्रति व्यक्तिजी.डी.पी. में लगभग 1% की वृद्धि होती है।
  • मध्यम आय वाले देशों के लिये विद्युतउत्पादन देश के आर्थिक विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विद्युत की अधिक उपलब्धता से देश की घरेलू सीमा में तथा बाह्य क्षेत्र में निवेश के साथ आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है, जिससे यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जैसे अन्य प्रकार के निवेशों की तुलना में एक अधिक व्यवहार्य विकल्प हो जाता है।
  • औद्योगिक और कृषि क्षेत्र, जो बिजली के बिना कुशलता से कार्य नहीं कर सकते, का बांग्लादेश की कुल जी.डी.पी. में 50.3% का योगदान है। 
  • वर्ष 2015 में आए भूकंप के बाद से नेपाल की जी.डी.पी. में औसतन 7.3% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो विद्युतकी बढ़ती खपत द्वारा समर्थित तेज़ी से शहरीकरण का परिणाम है। 
  • भारत में बिजली की वार्षिक मांग में 6% की वृद्धि के साथ भारत अक्षय ऊर्जा के उपयोग में दक्षिण एशिया का नेतृत्व करता है।

सतत विकास लक्ष्य और विद्युतीकरण 

  • ग्रामीण बांग्लादेश में सौर ऊर्जा संचालित विद्युतीकरण, सतत विकास लक्ष्य 7 (सभी के लिये सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच) को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। साथ ही इसमें 1 लाख से अधिक महिला सौर उद्यमियों को शामिल करना,सतत विकास लक्ष्य 5 (लैंगिक समानता)की प्राप्ति की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। 
  • इसमें भारत द्वारा उत्पादित कुल ऊर्जा का 40% नवीकरणीय ऊर्जा से प्रतिस्थापित करने का संकल्प एक सकारात्मक कदम है। विद्युततक आसानपहुँच बुनियादी ढाँचे में सुधार के साथ सतत विकास लक्ष्य 9 (लचीला बुनियादी ढाँचे का निर्माण, समावेशी और टिकाऊ तथा औद्योगीकरण नवाचार को बढ़ावा ) की प्राप्ति की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 
  • ऊर्जा का उपयोग सस्ती इंटरनेट सेवा के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा प्राप्ति द्वारा सतत विकास लक्ष्य 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) की प्राप्ति मेंसहायता करता है। साथ ही इसके माध्यम से अधिक लोगों के लिये रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
  • यह टेक-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर सतत विकास लक्ष्य 3 की प्राप्ति की दिशा में एक प्रभावी कदम है।

हरित विकास तथा हरित ऊर्जा की दिशा में उठाए गए कदम 

  • दक्षिण एशिया में विशाल नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, जैसे- जलविद्युत, सौर, पवन, भू-तापीय और बायोमास उपलब्ध हैं।वर्तमान में दक्षिण एशियाई देश 100% विद्युतीकरण के लिये ऊर्जा उत्पादन के कुशल, नवीन और उन्नत प्रणालियों  पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
  • उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने ग्लासगो में आयोजित कॉप-26 में वर्ष 2070 तकनेट ज़ीरो’ कार्बन उत्सर्जनके लक्ष्य को हासिल करने के लिये वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता 450GW से 500GW तक बढ़ाने पर बल दिया है। 
  • सर्वप्रथम स्वच्छ विकास तंत्र (Clean Development Mechanism: CDM) के लाभ, जैसे- गरीबी में कमी, ऊर्जा दक्षता और जीवन की बेहतर गुणवत्ता आदि तब परिलक्षित हुएजब वर्ष 2010 में भारत-भूटान जलविद्युत व्यापार हुआ।
  • विदित है कि सी.डी.एम. के दो लक्ष्य हैं- पहला, विकसित देशों को उनके कार्बन कटौती के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता करना तथा दूसरा, सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में विकासशील देशों की सहायता करना है। 
  • दक्षिण एशिया क्षेत्र हरित विकास और हरित ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की भी भूमिका है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि-आधारित संगठन है जिसका वैश्विक उद्देश्य वित्त पोषण और तकनीकी लागत को कम करके सौर विकास को उत्प्रेरित करना है।विदित है कि भारत आई.एस.ए. की मेजबानी करता है।
  • बांग्लादेश केग्रामीण क्षेत्र जो पारंपरिक ग्रिड-आधारित विद्युतकी पहुँच से बाहर हैं, उनकी बिजली की 45% आवश्यकताएँरूफटॉप सोलर पैनल प्रोग्राम के माध्यम से पूरी होती हैं, जिसका अनुकरण दुनिया के अन्य हिस्सों में किया जाता है। यह बांग्लादेश के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारितनवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

क्षेत्रीयऊर्जाव्यापार

  • सीमापार परियोजनाओं में वर्तमान भागीदारी कोनेपाल,भारतऔर बांग्लादेशके बीच सीमित कर दिया गया है। 
  • भूटान अपनी जलविद्युत शक्ति का 70% भारत को निर्यात करता है, जिसकी कीमत लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। 
  • भारत बांग्लादेश कोअसम में स्थित कोकराझार बिजली संयंत्र से 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की1,200मेगावाट बिजली का निर्यात करता है, जो उसके कुल दैनिक ऊर्जा मांग का लगभग 25% है। 
  • दूसरी ओर, नेपाल न केवल भारत को अपनी अधिशेष पनबिजली बेचता है, बल्कि भारत को 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के जीवाश्म ईंधन का निर्यात भी करता है।

क्षेत्रीय ऊर्जा व्यापार समझौते 

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) ने वर्ष 2014 में क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग ढाँचा तैयार किया था। 
  • इस क्षेत्र में भारत-नेपाल पेट्रोलियम पाइपलाइन समझौता, भारत-भूटान जलविद्युत संयुक्त उद्यम, म्यांमार-बांग्लादेश-भारत गैस पाइपलाइन समझौता, बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) ऊर्जा सहयोग के लिये उप-क्षेत्रीय ढाँचा, तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत(TAPI)पाइपलाइन जैसे अनेक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय ऊर्जा व्यापार समझौते शामिल हैं।  

चुनौतियाँ

  • दक्षिण एशियाई देशों के मध्य भौगोलिक अंतर संसाधनों के आधार पर अलग –अलग दृष्टिकोण की मांग करते हैं। भारत कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है।इसके विद्युत उत्पादन का लगभग 55% में कोयला प्रयुक्त होता है।
  • नेपाल की 99.9% ऊर्जा जलविद्युत पर जबकि  बांग्लादेश का 75% विद्युत उत्पादन प्राकृतिक गैस पर निर्भर करता है। इसी प्रकार श्रीलंका अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये कच्चे तेल पर निर्भर है, यह अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 6% तेल के आयात पर व्यय करता है।
  • दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय भू-राजनीति पहचान, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं द्वारा संयुक्त रूप से निर्धारित होती है। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा परियोजनाएँ कई सामाजिक और वैचारिक मुद्दों से संबंधित होंगी, जो शांतिपूर्ण ऊर्जा व्यापार के लिये एक प्रमुख बाधा है। 

आगे की राह

  • वर्तमान में इस क्षेत्र को बेहतर भवन-डिजाइन तकनीक, जलवायु-रोधक आधारभूत संरचना, एक लचीला निगरानी ढाँचा और एक एकीकृत संसाधन योजना, जो अक्षय ऊर्जा नवाचार का समर्थन करती है,की आवश्यकता है।
  • चूँकि सरकार विश्वसनीय और सुरक्षित ऊर्जा ढाँचेका एकमात्र स्रोत नहीं हो सकती, इसलिये निजी क्षेत्र का निवेश महत्त्वपूर्ण है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र के लिये ऊर्जा संक्रमण की चुनौतियों का सामना करने में एक अग्रदूत साबित हो सकती है।वर्ष 2022में निजी वित्त पोषण का बांग्लादेश में 44%, भारत में 48.5% और पाकिस्तान में 53%घरेलू बिजली प्रदान करनेमें योगदान रहा है। 
  • ऊर्जा व्यापार को संघर्ष समाधान और शांति निर्माण से जोड़कर देखा जाना चाहिये। यह हितधारकों के व्यापक समूह के साथ एक क्षेत्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण ऊर्जा व्यापार प्रक्रिया को सुगम बनाने में मदद कर सकता है। 
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