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खाड़ी देशों में भारत के हित

(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।)

संदर्भ

हाल ही में, भारत के सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के प्रवक्ता द्वारा पैंगबर मुहम्मद पर दिये गए एक विवादित बयान पर विभिन्न खाड़ी देशों द्वारा आपत्ति व्यक्त की गई है।

भारत के लिये खाड़ी देश का महत्त्व

व्यापारिक संबंध

  • खाड़ी सहयोग परिषद् (GCC), भारत का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर और कुवैत देश शामिल हैं। इन देशों में विद्यमान पर्याप्त तेल एवं गैस के भंडार भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
  • वर्ष 2021-22 में अमेरिका व चीन के पश्चात् यू.ए.ई. भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। विदित है कि अमेरिका एवं चीन के साथ भारत का कुल व्यापार क्रमशः 1.19 ट्रिलियन डॉलर एवं 1.15 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि यू.ए.ई. के साथ भारत का कुल व्यापार 72.9 बिलियन डॉलर है। पिछले वित्त वर्ष में भारत के कुल निर्यात के  6.6% और कुल आयात के 7.3% में यू.ए.ई. का योगदान रहा। 
  • वर्ष 2021-22 में कुल 42.9 बिलियन डॉलर के साथ सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। सऊदी अरब के साथ भारत का निर्यात 8.76 अरब डॉलर जबकि आयात 34.1 अरब डॉलर था। इस आयातित सामग्री में अधिकांशतः कच्चा तेल शामिल था।
  • वर्ष 2021-22 में 34.3 बिलियन डॉलर के साथ इराक भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
  • इसी दौरान भारत का क़तर के साथ कुल व्यापार 15 अरब डॉलर का हुआ, जो भारत के कुल व्यापार का 1.4% भाग है। विदित है कि भारत के कुल प्राकृतिक गैस आयात का 41% हिस्सा कतर से प्राप्त होता है।  

खाड़ी देश

खाड़ी क्षेत्र के देशों में सऊदी अरब, कतर, ईरान, इराक, बहरीन, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, जॉर्डन और यमन शामिल है। यह क्षेत्र कुल वैश्विक मुस्लिम आबादी के लगभग पाँचवे हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत द्वारा कच्चे तेल का आयात

  • ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के अनुसार, भारत की 84% से अधिक कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद की मांग को आयात से पूरा किया गया जाता है।  
  • विगत वर्ष 77 बिलियन डॉलर मूल्य से 239 मिलियन टन पेट्रोलियम तेल का  आयात किया गया जो देश के कुल आयात का लगभग पाँचवां हिस्सा था। विदित है कि भारत के कच्चे तेल के आयात में फारस की खाड़ी के देशों की हिस्सेदारी लगभग 60% है।
  • वर्ष 2021-22 में भारत को तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश इराक था, जिसकी भागीदारी वर्ष 2009-10 में 9% से बढ़कर वर्तमान में 22% हो गई है। 
  • सऊदी अरब ने एक दशक से अधिक समय से भारत के तेल आयात में 17-18% तक का योगदान दिया है। वर्तमान में कुवैत और यू.ए.ई. भी भारत के प्रमुख तेल निर्यातक देश बने हुए हैं। 
  • गौरतलब है कि वर्ष 2009-10 में ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश हुआ करता था लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2020-21 में इसका हिस्सा घटकर 1% से भी कम हो गया है।

खाड़ी देशों में प्रवासी भारतीय

  • विदेश मंत्रालय के अनुसार, 13.46 मिलियन से अधिक भारतीय नागरिक विदेशों में काम करते हैं। इसमें यदि भारतीय मूल के व्यक्तियों (Peoples of Indian Origin’s : PIO’s) को शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या 32 मिलियन से अधिक हो जाती है।
  • 13.4 मिलियन अनिवासी भारतीयों (Non Resident’s Indian : NRI’s) के साथ  खाड़ी देशों में भारतीयों की सबसे बड़ी संख्या निवास करती है। विदित है कि संयुक्त अरब अमीरात में 3.42 मिलियन, सऊदी अरब में 2.6 मिलियन और कुवैत में 1.03 मिलियन एन.आर.आई. निवास करते हैं।
  • विश्व बैंक के अनुसार, विदेशों से प्रेषण के मामले में भारत वर्ष 2020 में 83.15 बिलियन डॉलर के साथ सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश था। विदित है कि भारत को प्राप्त कुल विदेशी प्रेषण में सबसे बड़ा योगदान खाड़ी देश में रहने वाले विशाल भारतीय प्रवासियों का है। 
  • भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2016-17 में खाड़ी सहयोग परिषद् के देशों ने भारत द्वारा प्राप्त कुल 69 बिलियन डॉलर प्रेषण में लगभग 50% से अधिक का योगदान दिया था। इसमें प्रमुख रूप से यू.ए.ई. (26.9%), सऊदी अरब (11.6%), कतर (6.4%), कुवैत (5.5%) और ओमान (3%) शामिल हैं। 

निष्कर्ष

भारत अपनी अधिकांश ऊर्जा आवश्यकताओं के लिये खाड़ी देशों पर निर्भर है। वर्तमान में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति में बाधा आने की संभावना है, ऐसे में यह भारत के हित में हैवह खाड़ी देशों के साथ अपने संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाये रखें ताकि भारत की ऊर्जा सुरक्षा की निरंतरता बनी रहें।

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