संदर्भ
हाल ही में, भारत और अमेरिकाके मध्य चौथे ‘2+2 संवाद’(2+2 Dialogue) का आयोजन वाशिंगटन डी.सी. में किया गया। इसमें दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों ने भाग लिया। इससे पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्य संपन्न वर्चुअल बैठक के दौरान भी दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री उपस्थित थे।
‘2+2 संवाद’
- यह संवाद रणनीतिक व सुरक्षा मुद्दों पर भारत तथा उसके सहयोगी देशों के मध्य विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक का एक प्रारूप है।
- 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद दोनों पक्षों के राजनीतिक कारकों को ध्यान में रखतेहुए परिवर्तनशील वैश्विक परिवेश में एक मजबूत,अधिक एकीकृत रणनीतिक संबंध बनाने के लिये एक-दूसरे की रणनीतिक चिंताओं और संवेदनशीलता को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम बनाता है।
- भारत अपने चार प्रमुख रणनीतिक साझेदारों- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और रूस के साथ 2+2 संवाद का आयोजन करता हैं। इसमें रूस के अतिरिक्त अन्य तीन देश क्वाड समूह में भारत के भागीदार हैं।
- भारत-जापान और भारत-ऑस्ट्रेलियाके मध्य पहले2+2 संवाद का आयोजन नई दिल्ली में क्रमशःनवंबर2019 में तथा सितंबर 2021 मेंकिया गया था, जबकि रूस के साथ पहले 2+2 संवाद का आयोजन विगत वर्ष भारत में ही किया गया था।
भारत-अमेरिका 2+2 संवाद
- अमेरिका, भारत का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और पुराना 2+2 संवाद साझेदार है। दोनों देशों के मध्य पहली बार इसका आयोजन ट्रंप प्रशासन के दौरान सितंबर 2018 में हुआ था।
- इस संवाद की शुरुआत को भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के लिये एक सकारात्मक व दूरदर्शी दृष्टि प्रदान करने तथा राजनयिक एवं सुरक्षा प्रयासों में सामंजस्य को बढ़ावा देनेके लियेसाझा प्रतिबद्धता के रूप में देखा गया था।
- भारत-अमेरिका के मध्य 2+2 संवाद का दूसरा और तीसरा संस्करण क्रमशः वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में वाशिंगटन डी.सी. और नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।
रक्षा एवं रणनीतिक समझौते
- विगत वर्षों में2+2 प्रारूप में आयोजित संवादों सहितसामरिक द्विपक्षीय संबंधों से भारत को ठोस और दूरगामी परिणाम प्राप्त हुए हैं।चीन के संदर्भ में दोनों सेनाओं के बीच सहयोग तंत्र का मजबूत होना महत्वपूर्ण है, जो कई स्थापित मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के पहलुओं के लिये एक चुनौतीहै।
- भारत और अमेरिका ने गहन सैन्य सहयोग के लियेवर्ष 2016में ‘रसद विनिमय समझौता ज्ञापन’(LEMOA) पर हस्ताक्षर किया। तत्पश्चात् वर्ष 2018 में पहले 2+2 संवाद के बाद ‘संचारसंगतता एवं सुरक्षासमझौता’ (COMCASA) तथा वर्ष 2020 में‘बुनियादी विनिमय एवं सहयोग समझौता’ (BECA) पर हस्ताक्षर किया गया।
संयुक्त सहमति
- दोनों देशों ने यूक्रेन संकट से निपटने के प्रयासों और इसके व्यापक प्रभावों का आकलन किया। साथ ही, इस पर बल दिया गया कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून के सम्मान और सभी क्षेत्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है।
- दोनों देशों ने एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसमें सभी राज्यों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाता हो।
- दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में घनिष्ठ सहयोग के साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहराई। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश के लिये समर्थन की पुष्टि की।
- दोनों देशों ने तालिबान से यू.एन.एस.सी. प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करने का आह्वान किया। यह प्रस्ताव किसी भी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने या प्रशिक्षित करने या आतंकवादी हमलों की योजना बनाने या वित्त पोषण के लिये अफगानिस्तान की भूमि का पुन: प्रयोग न करने से संबंधित है।
- अमेरिका ने वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिये दीर्घकालिक दृष्टिकोण सहित अपनी जलवायु कार्रवाई को तेज करने के लिये कॉप-26 में भारत की घोषणा का स्वागत किया।
चुनौतियाँ
- इस संवाद के माध्यम से भारत-अमेरिका के मध्य संबंधों को मजबूती मिली है, किंतु यह दक्षिण एशिया में चीन की आक्रमकता को रोकने में विफल रहा है। ऐसे में भारत का झुकाव अन्य देशों की ओर हो सकता है।
- भारत द्वारा रूस से तेल और हथियारों का आयात किया जाता है, जो भारत और अमेरिका के संबंधों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।
- इस संवाद में अमेरिका ने भारत में मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा उठाया, जिस पर भारत ने आपत्ति व्यक्त की और अमेरिका में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को उठाने की बात कही।
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका अपने संबंधों को लेकर कोई सीमा निर्धारित न करते हुए सकारात्मक संवाद पर बल दे रहे हैं। ये संवाद दोनों के लिये एक अवसर है। अमेरिका यह समझता है कि भारत उन कुछ देशों में से एक है जो रूस के साथ अपने संबंधों के आधार पर युद्ध विराम और युद्धरत पक्षों को वार्ता के लिये तैयार कर सकता है। यह भारत को एक सावधान और कुशल कूटनीति का अवसर उपलब्ध कराता है।