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खनिज सुरक्षा भागीदारी समूह

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 : विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण)

संदर्भ

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अमेरिकी नेतृत्व वाले 11 सदस्यीय खनिज सुरक्षा भागीदारी (Mineral Security Partnership : MSP) समूह में शामिल होने की संभावना का पता लगाने के लिये विदेश मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श किया है।

महत्त्वपूर्ण खनिज गठबंधन

  • महत्वपूर्ण खनिजों के लिये चीन पर निर्भरता को कम करने तथा आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने के लिये प्रयासरत इस समूह में भारत शालिम नहीं है।
  • इस समूह में अमेरिका के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ़िनलैंड, फ़्रांस, जर्मनी, जापान, कोरिया गणराज्य, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय आयोग शामिल हैं।
  • यह समूह 17 दुर्लभ पृथ्वी खनिजों, जैसे- कोबाल्ट, निकेल, लिथियम तथा अन्य खनिजों की आपूर्ति श्रृंखलाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
  • इस नए समूह को मुख्यत: चीन के विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसने दुर्लभ पृथ्वी खनिजों में बुनियादी प्रसंस्करण ढांचे का निर्माण करने के साथ ही कोबाल्ट जैसे तत्वों के लिये अफ्रीका में खानों का अधिग्रहण किया है।
  • इस समूह का उद्देश्य रणनीतिक अवसरों के लिये सरकारों और निजी क्षेत्र से निवेश को बढ़ावा देना है।

भारत तथा खनिज सुरक्षा भागीदारी समूह

  • भारत तथा अमेरिका 'क्वाड' और ‘I2U2’ जैसे समूहों के माध्यम से विगत कुछ वर्षों से स्वास्थ्य, जल, परिवहन, खाद्य सुरक्षा, अंतरिक्ष और ऊर्जा एवं आर्थिक क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं किंतु भारत को इस समूह में शामिल नहीं किया गया है।
  • इसका प्रमुख कारण भारत द्वारा इस क्षेत्र में अधिक विशेषज्ञता का आभाव है। इस समूह में शामिल अन्य देशों (जैसे- ऑस्ट्रेलिया और कनाडा) के पास महत्त्वपूर्ण खनिज भंडार के साथ-साथ उनके निष्कर्षण की तकनीक भी उपलब्ध है तो वहीं जापान जैसे देश के पास इन खनिजों को प्रसंस्कृत करने की तकनीक उपलब्ध है।

महत्त्वपूर्ण खनिज

  • दुर्लभ पृथ्वी तत्व (Rare Earth Element : REE) में 17 तत्व शामिल होते हैं, जिन्हें हल्के दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (LREE) और भारी दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (HREE) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • कुछ दुर्लभ तत्व, जैसे- लैंथेनम, सेरियम, नियोडिमियम, प्रेजोडियम और समैरियम भारत में उपलब्ध है, जबकि कुछ अन्य तत्व, जैसे- डिस्प्रोसियम, टेरेबियम, यूरोपियम निष्कर्षण योग्य मात्रा में भारत में उपलब्ध नहीं है।
  • इसलिये एच.आर.ई.ई. के लिये चीन जैसे देशों पर निर्भरता है, जो कुल वैश्विक उत्पादन के अनुमानित 70 % के साथ आर.ई.ई. के प्रमुख उत्पादकों में से एक है।

महत्त्वपूर्ण खनिज की उपयोगिता

  • ये स्वच्छ ऊर्जा और अन्य प्रौद्योगिकियों के लिये आवश्यक हैं, जिससे आगामी दशकों में इनकी मांग में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है।
  • लि-आयन प्रौद्योगिकी में कई संभावित सुधारों और व्यावसायीकरण के उन्नत चरणों में परीक्षण किये गए सूत्रीकरण के विकल्प के साथ वर्ष 2022 बैटरी प्रौद्योगिकी के लिये एक परिवर्तन बिंदु होने की संभावना है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली बैटरी के निर्माण के लिये कोबाल्ट, निकेल और लिथियम आवश्यक है, जबकि अर्द्धचालक और महँगे इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिये दुर्लभ पृथ्वी तत्व महत्वपूर्ण हैं।

भारत की स्थिति 

  • भारत अपनी विकास रणनीति में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के परिवहन में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करने के लिये प्रतिबद्ध है। इसके लिये  मज़बूत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण तंत्र के साथ-साथ महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • लिथियम मूल्य श्रृंखला में प्रवेश करने के प्रयासों में भारत को विलम्ब से शामिल होने वाले देश के रूप में देखा जाता है।
  • वर्ष 2020 के मध्य में भारत ने अर्जेंटीना में संयुक्त रूप से लिथियम की संभावना के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसके पास विश्व में धातु का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है। 
  • इसके अतिरिक्त खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KBIL) ने नाल्को (NALCO), हिंदुस्तान कॉपर और मिनरल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड के साथ विदेशों में लिथियम व कोबाल्ट जैसे रणनीतिक खनिजों की प्राप्ति के लिये विशिष्ट प्रयास किया है। 
  • यह कंपनी चिली, बोलीविया और ऑस्ट्रेलिया में भी महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये विकल्प तलाश रही है।
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