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समाचार प्रसारण और डिजिटल मानक प्राधिकरण

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।)

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, समाचार प्रसारण और डिजिटल मानक प्राधिकरण (NBDSA) ने एक निजी समाचार चैनल पर दिशानिर्देशों का पालन न करने के कारण 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया है। 

प्राधिकरण के बारे में 

  • यह न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र निकाय है।
  • इस प्राधिकरण का एक अध्यक्ष होता है जो प्रख्यात न्यायविद् होता है। इसके सदस्यों में समाचार संपादक के अलावा कानून, शिक्षा, साहित्य, लोक प्रशासन आदि क्षेत्रों के अनुभवी लोग शामिल होते हैं, जिन्हें बोर्ड द्वारा बहुमत से नामित किया जाता है। 
  • उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए.के. सीकरी वर्तमान में इसके अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA)

  • यह निजी टेलीविजन समाचार, करंट अफेयर्स और डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। 
  • एन.बी.डी.ए. पूर्णतः अपने सदस्यों द्वारा वित्त पोषित है, जिसके सदस्यों में 26 समाचार और समसामयिक मामलों के प्रसारक (119 समाचार और समसामयिक मामलों के चैनल) शामिल हैं। भारतीय मीडिया संगठनों के विभिन्न वरिष्ठ सदस्य इसके निदेशक मंडल में कार्यरत हैं। 

उद्देश्य 

  • यह समाचार प्रसारकों, डिजिटल समाचार मीडिया और अन्य संबंधित संस्थाओं की भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों सहित उनके हितों को बढ़ावा देने और उन्हें सुरक्षित रखने का कार्य करता है। 
  • यह अपने सदस्यों को साझा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये एक मंच प्रदान करता है और उन्हें अनुचित या अनैतिक व्यवहार करने वाले व्यक्तियों से संरक्षण प्रदान करता है। 

प्राधिकरण के उद्देश्य एवं कार्य 

  • एन.बी.डी.एस.ए. का उद्देश्य समाचार प्रसारण में उच्च मानकों एवं नैतिकता को बढ़ावा देना है। इन उच्च मानकों में वस्तुनिष्ठता, निष्पक्षता, महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की रिपोर्टिंग के समय संवेदनशीलता का परिचय देना, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में न डालना आदि पर ध्यान देना शामिल हैं। 
  • यह प्राधिकरण स्वयं कार्रवाई शुरू कर सकता है और नोटिस जारी कर सकता है या अन्य किसी भी मामले के संबंध में कार्रवाई कर सकता है जो उसके नियमों के अंतर्गत आते हैं।  
  • यह कार्रवाई सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय या किसी सरकारी निकाय या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ई-मेल से भेजी गई शिकायतों के माध्यम से भी शुरू की जा सकती है। 

शिकायत निवारण प्रक्रिया

  • शिकायत निवारण के लिये दो-स्तरीय प्रक्रिया विद्यमान है, जहाँ किसी प्रसारित सामग्री से पीड़ित व्यक्ति द्वारा पहले संबंधित प्रसारक को शिकायत दर्ज की जाती है और यदि वह उसके निवारण से संतुष्ट नहीं होता हैं, तो इसके पश्चात् प्राधिकरण के समक्ष शिकायत दर्ज की जा सकती है। 
  • ऐसे मामले जो पहले से ही न्यायालय में जा चुके हैं, उनके खिलाफ प्राधिकरण में शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती है। 
  • शिकायत प्राप्ति से 14 दिनों के भीतर प्राधिकरण संबंधित प्रसारक को कारण बताने के लिए नोटिस जारी करेगा कि नियमों के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिये। 
  • प्राधिकरण प्रसारक द्वारा लिखित रूप में दर्ज किये जाने वाले कारणों से चेतावनी, निंदा और उससे अस्वीकृति व्यक्त कर सकता है या उस पर जुर्माना लगा सकता है जो 1 लाख रुपए से अधिक नहीं होगा।
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