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एक देश एक चुनाव

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - एक देश एक चुनाव)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 – सरकारी नीतियाँ, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम)

संदर्भ 

  • हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा कहा गया, कि भारत का चुनाव आयोग पूरे देश में एक साथ चुनाव का प्रबंधन करने के लिए तैयार है, और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अंतिम निर्णय संसद को करना है।

एक देश एक चुनाव 

  • देश की वर्तमान चुनावी प्रणाली, में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए पांच साल के अंतराल में अलग-अलग चुनाव होते हैं , यानी जब लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होता है, या उनमें से किसी एक को समय से पहले भंग कर दिया जाता है।
    • राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल के लिए आवश्यक नहीं है, कि वह लोकसभा या अन्य विधानसभाओं के कार्यकाल के समाप्त होने के साथ ही समाप्त हो। 
  • इस कारण से चुनाव कराने का कार्य लगभग साल भर चलता रहता है।
  • एक देश एक चुनाव प्रणाली, का प्रस्ताव है, कि प्रत्येक पांच साल के अंतराल में सभी विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराये जायें। 
  • इसका अर्थ होगा, कि मतदाता एक ही दिन में (चरणबद्ध तरीके) लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों के चुनाव के लिए अपना वोट डाल सकेंगे।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • भारत में विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव कराना कोई नया विचार नहीं है।
  • भारत में, इससे पहले 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित हो चुके है।
  • 1968-69 के बीच कुछ विधान सभाओं के समय से पहले विघटन के कारण, इस प्रणाली को बंद कर दिया गया था।
    • इसके बाद से, भारतीय चुनाव प्रणाली में केंद्र और राज्यों के लिए अलग-अलग चुनाव आयोजित होते है।
  • चुनाव आयोग की वार्षिक रिपोर्ट,1983 मे भी एक साथ चुनाव कराने का विचार प्रस्तुत किया गया था।
  • वर्ष 1999 में विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट, में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने का समर्थन किया था।
  • 2018 में, विधि आयोग ने एक साथ चुनावों के कार्यान्वयन का समर्थन करते हुए एक मसौदा रिपोर्ट प्रस्तुत की , जिसमें एक देश एक चुनाव के लिए चुनावी कानूनों में बदलाव की सिफारिश की गई थी।
  • इसमें एक साथ चुनाव कराने से संबंधित कानूनी और संवैधानिक बाधाओं और समाधानों की जांच की गयी थी।
  • विधि आयोग ने सुझाव दिया, कि एक साथ चुनाव केवल संविधान में उपयुक्त संशोधन करने के बाद ही सम्पन्न किए जा सकते है, तथा कम से कम 50% राज्यों को इन संवैधानिक संशोधनों की पुष्टि करनी होगी।

कार्यान्वयन

  • एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में संशोधन करने के अतिरिक्त, चुनावी व्यवस्था में बदलाव के संबंध में राजनीतिक सहमति बनाने की भी आवश्यकता होगी।
  • कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद, जिन्हें 'एक राष्ट्र एक चुनाव' के कार्यान्वयन के लिए संशोधित करने की आवश्यकता होगी –
    • अनुच्छेद 83  (संसद के सदनों की अवधि से संबंधित)
    • अनुच्छेद 85 (राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के विघटन से संबंधित )
    • अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि से संबंधित)
    • अनुच्छेद 174 (राज्य विधानसभाओं के विघटन से संबंधित)
    • अनुच्छेद 356( केंद्र सरकार द्वारा राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता के कारण राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित)
  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संसद और विधानसभाओं के कार्यकाल की स्थिरता के प्रावधानों के लिए संशोधन करना होगा।
  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 2, में एक साथ चुनाव की परिभाषा शामिल की जा सकती है।
  • एक साथ चुनाव, के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए, चुनाव आयोग की शक्तियों तथा कार्यों का पुनर्गठन भी करना होगा।

पक्ष में तर्क 

  • एक देश एक चुनाव, से चुनावी लागत में कमी आएगी, अलग-अलग समय होने वाले चुनावों से सरकार को समय, श्रम और वित्तीय लागतों की भारी कीमत चुकानी पड़ती है। 
  • लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव एक साथ करने से मतदान प्रतिशत में भी वृद्धि होगी। 
  • अलग-अलग समय पर होने वाले चुनावों के कारण, लगभग साल भर कहीं ना कहीं सुरक्षा बलों की नियुक्ति करनी होती है, एक साथ सभी चुनाव सम्पन्न हो जाने से सुरक्षा बलों को अन्य आंतरिक सुरक्षा उद्देश्यों के लिए बेहतर तरीके से तैनात किया जा सकता है।
  • बार-बार होने वाले चुनाव, देश भर में जाति, धर्म और सांप्रदायिक मुद्दों को चर्चा में रखते हैं, जो सामाजिक व्यवस्था के लिए एक नकारात्मक पक्ष है।
  • अलग-अलग समय पर होने वाले विभिन्न चुनावों के कारण राजनीतिक वर्ग दीर्घकालिक कार्यक्रमों और नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की जगह पर तत्काल चुनावी लाभ के संदर्भ में सोचने के लिए मजबूर हो जाता है।
  • चुनाव प्रक्रिया में बड़ी संख्या में शिक्षकों सहित लोक सेवकों की व्यस्तता के कारण नियमित अंतराल पर होने वाले चुनाव, आवश्यक सेवाओं के वितरण में बाधा डालते है।
  • एक देश एक चुनाव के साथ, चुनाव में होने वाला खर्च भी कम हो जाएगा, जिससे  चुनाव अभियान के दौरान, छोटे दलों को भी बड़े दलों के समान अवसर उपलब्ध होंगे।
  • आदर्श आचार संहिता, जो सरकार को नई योजनाओं की घोषणा करने, चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना कोई भी नई नियुक्तियां, स्थानांतरण और पोस्टिंग करने से रोकती है, के कारण इससे सरकार के सामान्य कार्य में अवरोध उत्पन्न हो जाता है।
  • एक साथ सभी चुनाव सम्पन्न होने से आदर्श आचार संहिता के लागू होने की अवधि में कमी आएगी। 

विपक्ष में तर्क 

  • एक साथ सभी चुनाव, का विरोध करने वाले दलों के बीच चिंता का प्राथमिक कारण संवैधानिक गड़बड़ियां और संघ विरोधी परिणाम है।
  • विपक्षी दलों के अनुसार, इस तरह के विचार-विमर्श से, भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की संघीय प्रकृति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
  • राष्ट्रीय चुनावों में राष्ट्रीय हितों के मुद्दे प्राथमिकता में होते है, जबकि राज्य चुनाव स्थानीय मुद्दों से संबंधित होते है।
    • एक साथ चुनावों के कारण, राष्ट्रीय मुद्दे राज्य के मुद्दों पर हावी हो सकते है।
  • नियमित चुनावों के कारण, सरकार लोगों की इच्छा को सुनने के लिए बाध्य होती है, सभी चुनावों के एक साथ सम्पन्न होने के कारण सरकार की जनता के प्रति  जवावदेही में कमी आएगी।
  • सरकार को वापस बुलाए जाने के डर के बिना, एक निश्चित कार्यकाल का प्रावधान निरंकुश प्रवृत्तियों को जन्म दे सकता है।
  • लोकतंत्र में एक साथ सभी चुनाव कराना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य होगा, पहली बार तो लोकसभा और संबंधित राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल को संशोधित करके सभी चुनाव, एक साथ सम्पन्न कराए जा सकते है, लेकिन ऐसी स्थिति को लंबे समय तक बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि, जैसे ही कोई सरकार अपनी विधानसभा में विश्वास खो देती है, यह व्यवस्था फिर से अस्त-व्यस्त हो जाएगी।
  • वर्तमान व्यवस्था को इसलिए चुना गया, ताकि नियमित चुनाव कराकर लोकतंत्र की इच्छा को कायम रखा जा सके, और लोग मतदान के अधिकार के माध्यम से अपनी इच्छाओं की अभिव्यक्ति कर सकें। 
  • एक देश एक चुनाव के लिए चुनाव प्रणाली को संशोधित करने का अर्थ, लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा को व्यक्त करने की शक्ति के साथ छेड़छाड़ करना होगा।

आगे की राह 

  • चूंकि, एक साथ चुनाव का मुद्दा संविधान के संघीय ढांचे से संबंधित है, इसलिए क्षेत्रीय दलों की चिंताओं को दूर करने के लिए इस पर उचित रूप से चर्चा और बहस की आवश्यकता है, जिससे इस विचार को लागू करने में आसानी होगी।
  • यदि एक साथ चुनाव कराने से चुनाव कराने की अवधि कम हो जाती है, तो राजनीतिक दलों के पास राष्ट्रीय मुद्दों को संबोधित करने और शासन को बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय होगा।
  • विधि आयोग की सिफारिशों के अनुसार, एक राष्ट्र एक चुनाव अवधारणा को लागू करने की व्यवहार्यता है, क्योंकि यह प्रणाली, भारत की आजादी के बाद, पहले दो दशकों के दौरान भी अस्तित्व में थी।
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