New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 8 April 2024 | Call: 9555124124

उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 से संबंधित याचिकाएं 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991)

संदर्भ 

  • केंद्र सरकार ने उपासना स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर, अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय की मांग की है। 
    • केंद्र सरकार के अनुसार अपना रुख स्पष्ट करने के लिये उसे विस्तृत परामर्श की आवश्यकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को जनवरी के पहले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • इस अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें  कहा गया है, कि इसने अवैध रूप से पूर्वव्यापी कट-ऑफ तारीख (15 अगस्त, 1947) तय की है, जो हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों और सिखों को "पुनः दावा" करने के लिए अदालतों में जाने से रोकती है।

उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991

  • यह केंद्रीय कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था।
  • इसे पारित करने का उद्देश्य मस्जिदों और मंदिरों के जरिए उभर रहे सांप्रदायिक विवादों को समाप्त करना था।

महत्वपूर्ण प्रावधान 

  • इस अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी भी धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी अनुभाग के किसी उपासना स्थल को उसी धार्मिक संप्रदाय के किसी भिन्न अनुभाग या किसी भिन्न धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी अनुभाग के उपासना स्थल में परिवर्तित नहीं करेगा।
  • धारा 4(1) के अनुसार, 15 अगस्त, 1947 को विद्धमान किसी उपासना स्थल का धार्मिक स्वरुप वैसा ही बना रहेगा, जैसा कि वो 15 अगस्त 1947 को था। 
  • धारा 4(2) में कहा गया है कि 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरुप के परिवर्तन के संबंध में किसी भी न्यायालय, अधिकरण या किसी अन्य प्राधिकारी के समक्ष लंबित कोई भी मुकदमा या कानूनी कार्यवाही समाप्त हो जाएगी, और कोई नया मुकदमा या कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी। 
  • यदि 15 अगस्त 1947 के बाद तथा इस अधिनियम के लागू होने से पहले किसी उपासना स्थल का धार्मिक स्वरुप बदला गया है, और उससे संबंधित कोई वाद या अपील किसी न्यायालय में लंबित है, तो उसका निर्णय धारा 4(1) के अनुसार होगा।
  • धारा 5 के अनुसार, इस अधिनियम की कोई धारा राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले से संबंधित किसी भी मुकदमे, अपील या कार्यवाही पर लागू नहीं होगी।
  • इस अधिनियम की धारा 6 के अनुसार अधिनियम के प्रावधानों का उल्लघंन करने पर अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
  • यह अधिनियम ऐसे किसी पुरातात्त्विक स्थल पर लागू नहीं होता है, जो प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 द्वारा संरक्षित है।
  • यदि कोई वाद इस अधिनयम के लागू होने से पहले ही अंतिम रूप से निपटाया जा चुका है, तो ये अधिनियम उस वाद पर भी लागू नहीं होता है। 
  • यदि कोई विवाद जिसे इस अधिनियम के लागू होने से पहले ही दोनों पक्षों द्वारा आपसी सहमती से सुलझाया जा चुका हो, तो उस पर भी यह अधिनियम लागू नहीं होता है।

आलोचना

  • इस कानून की इस आधार पर आलोचना की जाती है कि यह न्यायिक समीक्षा पर रोक लगाता है, जो कि संविधान की एक बुनियादी विशेषता है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR