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राजनीतिक पार्टियों के पंजीकरण से संबंधित प्रक्रियाएँ

(प्रारंभिक परीक्षा - भारतीय राज्यतंत्र और शासन – संविधान, राजनीतिक प्रणाली)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2  : जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ)

संदर्भ

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने घोषणा की है कि वह आगामी राज्य विधान सभा चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग से मंज़ूरी मिलने के उपरांत ही उनकी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न की घोषणा की जाएगी।

राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण

  • निर्वाचन आयोग के अनुसार, पंजीकरण के लिये इच्छुक किसी भी राजनीतिक पार्टी को आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुकूल इसके गठन के 30 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत करना होता है।
  • निर्वाचन आयोग इस संबंध में संविधान के अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के अधीन प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करता है। 
  • मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, आवेदक को दो राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों तथा दो स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में प्रस्तावित पार्टी का नाम प्रकाशित करने के लिये कहा जाता है। 
  • आयोग के समक्ष पार्टी के प्रस्तावित पंजीकरण के संबंध में यदि कोई आपत्ति है, तो उसे प्रकाशन से 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने के लिये दो दिन का समय दिया जाता है। साथ ही, प्रकाशन की सूचना निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जाती है।

प्रक्रिया

  • किसी राजनीतिक पार्टी को पंजीकृत करने के लिये ‘पंजीकरण आवेदन’ पंजीकृत डाक से या निर्वाचन आयोग के सचिव को व्यक्तिगत रूप से पार्टी के गठन की तिथि से 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिये।
  • आवेदन से संबंधित प्रारूप आयोग के कार्यालय से डाक या काउंटर पर अनुरोध करने पर या उसकी वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। आवेदन के साथ 10,000 का डिमांड ड्राफ्ट होना चाहिये। 
  • इसमें पार्टी के ज्ञापन, नियमों एवं विनियमों तथा संविधान की एक मुद्रित प्रति भी शामिल करने की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न स्तरों पर संगठनात्मक चुनावों और ऐसे चुनावों की आवधिकता एवं पार्टी के पदाधिकारियों के पद की शर्तों के संबंध में पार्टी के संविधान अथवा नियमों का एक विशिष्ट प्रावधान भी होना चाहिये।
  • कम से कम 100 पंजीकृत मतदाताओं के साथ नवीनतम निर्वाचक नामावली (Electoral Rolls) प्रस्तुत करनी पड़ती है। आवेदन के लिये पार्टी के अध्यक्ष या महासचिव द्वारा हस्ताक्षरित एक शपथ पत्र की भी आवश्यकता होती है।
  • इस आशय के लिये प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट/शपथ आयुक्त के समक्ष शपथ ली जाएगी कि पार्टी का कोई भी सदस्य निर्वाचन आयोग में पंजीकृत किसी अन्य राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं है।
  • इसके अतिरिक्त, पार्टी के कम से कम 100 सदस्यों के व्यक्तिगत शपथपत्रों की भी आवश्यकता होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे आयोग में पंजीकृत किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं हैं।

पंजीकरण का महत्त्व

  • वस्तुतः पार्टियों को निर्वाचन आयोग में पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है किंतु आयोग में एक राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकरण करने का लाभ यह है कि वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (राजनीतिक पार्टियों के पंजीकरण से संबंधित) के प्रावधानों का लाभ उठाने की इच्छुक है।
  • निर्वाचन आयोग में पंजीकृत किसी राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवारों को निर्दलीय उम्मीदवारों की तुलना में प्रतीकों के आवंटन में प्राथमिकता प्राप्त होती है।
  • इससे भी महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि इन पंजीकृत पार्टियों को समय के साथ ‘चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968’ की निर्धारित शर्तों की पूर्ति के अधीन ‘राज्य स्तरीय पार्टी’ या 'राष्ट्रीय पार्टी' के रूप में मान्यता मिल सकती है। 
  • नियमों के अनुसार, यदि किसी पार्टी को ‘राज्य स्तरीय पार्टी’ के रूप में मान्यता दी जाती है, तो वह उस राज्य में अपने उम्मीदवारों को अपने आरक्षित प्रतीक के अनन्य आवंटन की हकदार है।
  • इसी तरह यदि किसी पार्टी को ‘राष्ट्रीय पार्टी’ के रूप में मान्यता दी जाती है, तो वह पूरे भारत में अपने उम्मीदवारों को अपने आरक्षित प्रतीक के अनन्य आवंटन की हकदार है।
  • मान्यता प्राप्त 'राज्य स्तरीय' और 'राष्ट्रीय' पार्टियों को नामांकन दाखिल करने के लिये केवल एक प्रस्तावक की आवश्यकता होती है तथा आम चुनावों के दौरान आकाशवाणी/दूरदर्शन पर निःशुल्क प्रसारण और निर्वाचक नामावली के दो सेट प्राप्त होते हैं।

राष्ट्रीय या राज्यस्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता

  • उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग में पंजीकृत सभी दलों को प्राथमिक रूप से ‘राज्य पार्टी’ या ‘राष्ट्रीय पार्टी’ के रूप में मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती। अतः इन पार्टियों को वर्गीकृत करने के लिये आयोग ने मानक निर्धारित किये हैं।
  • किसी भी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिये निम्नलिखित मानक हैं-
    • यदि वह लोक सभा या विधान सभा के आम चुनावों में चार या अधिक राज्यों में वैध मतों का छह प्रतिशत मत प्राप्त करती है तथा इसके साथ वह किसी राज्य या राज्यों से लोक सभा में चार सीटें प्राप्त करती है।
    • यदि वह लोक सभा में दो प्रतिशत सीटें प्राप्त करती है तथा ये सदस्य तीन विभिन्न राज्यों से निर्वाचित होते हैं।
    • यदि किसी पार्टी को कम-से-कम चार राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त हो।
  • राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिये निम्नलिखित मानक हैं-
    • यदि उस पार्टी ने राज्य विधान सभा के आम चुनाव में कुल वैध मतों का छह प्रतिशत प्राप्त किया हो तथा इसके अतिरिक्त उसने उस राज्य में दो सीटें भी प्राप्त की हों।
    • यदि उसने राज्य की लोक सभा की कुल सीटों में से कम-से-कम एक सीट तथा कुल वैध मतों का छह प्रतिशत प्राप्त किया हो।
    • यदि किसी पार्टी ने राज्य की विधान सभा की कुल सीटों का तीन प्रतिशत या तीन सीटें, जो भी ज़्यादा हो, प्राप्त की हों।
    • यदि किसी पार्टी ने राज्य में हुए लोक सभा के लिये आम चुनाव या विधान सभा चुनाव में कुल मतों का आठ प्रतिशत प्राप्त किया हो।
    • यदि प्रत्येक 25 सीटों में से उस दल ने लोक सभा की कम-से-कम एक सीट प्राप्त की हो या लोक सभा के चुनाव में उस संबंधित राज्य में उस विभाजन से कम-से-कम इतनी सीटें प्राप्त की हों।
  • आम चुनावों में राजनीतिक पार्टियों के प्रदर्शन के आधार पर मान्यता प्राप्त दलों की संख्या में परिवर्तन होता रहता है। वर्तमान राजनीतिक पार्टियों में से 7 राष्ट्रीय तथा 52 राज्य स्तरीय पार्टियों के रूप में पंजीकृत हैं।
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