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सी विजिल-22 अभ्यास 

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)

चर्चा में क्यों 

अखिल भारतीय (Pan-India) तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल-22’ (SEA VIGIL-22) के तीसरे संस्करण का आयोजन 15-16 नवंबर को किया गया। 

परिकल्पना एवं अवधारणा 

  • सी विजिल नामक तटीय रक्षा अभ्यास की परिकल्पना वर्ष 2018 में ‘26/11’ के बाद से समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के लिये उठाए गए अनेक कदमों की पुष्टि करने के उद्देश्य से की गई थी। 
  • तटीय सुरक्षा, तटीय रक्षा निर्माण का एक प्रमुख उप-समूह है। ‘सी विजिल’ की अवधारणा पूरे भारत में तटीय सुरक्षा तंत्र को सक्रिय करना और व्यापक तटीय रक्षा तंत्र का आकलन करना है। 
  • यह इसका तीसरा संस्करण है। सी विजिल का पहला अभ्यास जनवरी 2019 में किया गया था।

आयोजन एवं हितधारक

  • यह अभ्यास भारत के संपूर्ण समुद्री तट (7516 किमी.) एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में किया गया। इसमें मछली पकड़ने और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया। 
  • यह अभ्यास भारतीय नौसेना द्वारा तटरक्षक बल और समुद्री गतिविधियों से संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर समन्वयपूर्वक आयोजित किया गया। 
  • यह थिएटर लेवल ऑपरेशनल रेडीनेस एक्सरसाइज (TROPEX) की ओर एक बिल्ड अप है जिसे भारतीय नौसेना द्विवार्षिक तौर पर आयोजित करती है। विदित है कि ट्रोपेक्स भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा द्विवार्षिक अभ्यास है। 

वास्तविक मूल्यांकन

  • सी विजिल और ट्रोपेक्स एक साथ पूरे स्पेक्ट्रम में समुद्री सुरक्षा चुनौतियों को कवर करते हैं। भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, सीमा शुल्क और अन्य समुद्री एजेंसियों की संपत्तियों ने इस अभ्यास में भाग लिया। 
  • यह समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा के क्षेत्र में भारत की तैयारियों का आकलन करने का अवसर प्रदान करता है जो देश की मज़बूती और कमज़ोरियों का वास्तविक मूल्यांकन करता है। 

ट्रोपेक्स (TROPEX)

  • एक अंतर-सेवा सैन्य अभ्यास है जिसमें भारतीय की भागीदारी शामिल है। इसमें भारतीय सेना, वायु सेना, नौसेना और तटरक्षक बल की भागीदारी होती है।
  • यह अभ्यास आम तौर पर प्रत्येक वर्ष की शुरुआत में प्रारंभ होता है और एक महीने तक चलता है। यह आम तौर पर तीन चरणों में किया जाता है : स्वतंत्र कार्य चरण, संयुक्त कार्य चरण और सामरिक चरण।
  • इस अभ्यास को भारतीय नौसेना इकाइयों के साथ-साथ भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना और भारतीय तटरक्षक बल की युद्ध तैयारी का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • यह अभ्यास एक जटिल वातावरण में अंतर-संचालनीयता और संयुक्त संचालन को भी मजबूत करने के लिये भी प्रयासरत है। इसकी शुरुआत वर्ष 2005 से हुई। वर्ष 2015 से पूर्व इसका संचालन वार्षिक स्तर पर किया जाता था। 
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