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सौर उर्जा

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए – स्वच्छ उर्जा, उत्पादन से सम्बंधित प्रोत्साहन योजना, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन)
(मुख्य परीक्षा के लिए: सामान्य अध्धयन पेपर 3 – बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा)

सन्दर्भ

  • कैबिनेट द्वारा सोलर फोटो वाल्टिक मॉड्यूल के लिये 19,500 करोड़ रुपए की उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की गई है।
  • इस योजना के लिये नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय नोडल मंत्रालय है।
  • इस योजना की समय सीमा 5 वर्ष है।
  • पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से सोलर फोटोवोल्टिक विनिर्माताओं को चुना जाएगा तथा सौर फोटोवोल्टिक विनिर्माण संयंत्रों के चालू होने के बाद, घरेलू बाजार से उच्च दक्षता वाले सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल की बिक्री पर प्रोत्साहन स्वरूप पांच साल के लिये पीएलआई का वितरण किया जाएगा।

उत्पादन से सम्बंधित प्रोत्साहन योजना 

  • इस योजना के अनुसार सरकार अतिरिक्त उत्पादन पर प्रोत्साहन देगी और कंपनियों को भारत में बने उत्पादों को निर्यात करने की अनुमति देगी।
  • इस योजना का लक्ष्य प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करना है।

योजना के लाभ

  • इस योजना से घरेलू सोलर पैनल के निर्माण में मदद मिलेगी जिससे चाइनीज सोलर पैनल पर निर्भरता कम होगी।
  • इससे ना केवल देश में सोलर उपकरणों के आयात में कमी आएगी बल्कि निर्यात करने की स्थिति बनेगी। इस योजना से सौर उर्जा उपकरणों के आयात में लगभग 1.37 लाख करोड़ रुपये की कमी आने का अनुमान है।
  • इससे 2030 तक 500 गीगा वॉट गैर पारंपरिक ऊर्जा का उत्पादन करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी आएगी।
  • इससे सोलर सयंत्र के घरेलू निर्माण में वृद्धि होगी, जिससे रोजगार के नये अवसरों का सृजन होगा। एक अनुमान के अनुसार, इससे प्रत्यक्ष रूप से लगभग 2 लाख तथा अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 8 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।

सोलर फोटो वाल्टिक मॉड्यूल

  • सोलर फोटो वाल्टिक मॉड्यूल एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जो सौर उर्जा को विद्युत उर्जा  में परिवर्तित करती है।
  • सौर ऊर्जा अपनी प्रदूषण मुक्त प्रकृति और निरंतर आपूर्ति के कारण एक अत्यधिक आकर्षक ऊर्जा संसाधन है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना भारत और फ्रांस द्वारा सयुंक्त रूप से वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु सम्मलेन के दौरान की गई थी।
  • इसका मुख्यालय गुरुग्राम (हरियाणा) में है। 
  • 121 देश इस समूह के सदस्य है।
  • इस गठबंधन का उद्देश्य सदस्य देशों में सस्ती, स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करना है।

सौर ऊर्जा की आवश्यकता

  • वर्ष 2030 तक बढ़ी हुयी ऊर्जा की माँग का लगभग 50 प्रतिशत से भी अधिक सौर फोटोवोल्टिक से प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • भारत में ऊर्जा की खपत वर्ष 2035 तक 4.2 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ने की सम्भावना है। जिसकी पूर्ति में सौर उर्जा एक महत्वपूर्ण घटक है।
  • भारत जलवायु कार्यवाही प्रतिबद्धता (Climate Action Commitment) के तहत वर्ष 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा का 40 प्रतिशत भाग का उत्पादन ग़ैर जीवाश्म स्त्रोतों से करने के लिये प्रतिबद्ध है, जिसे पूरा करने में सौर ऊर्जा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

सौर ऊर्जा के लाभ

  • पारंपरिक ताप विद्युत उर्जा उत्पादन के विपरीत सौर ऊर्जा से प्रदूषण की समस्या भी उत्पन्न नहीं होती है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।
  • सौर उर्जा में शुरुआत में एक बार निवेश करने के बाद लम्बे समय तक इसका लाभ प्राप्त होता है।
  • भारत जैसे ऊर्जा की कमी वाले देश में जहाँ बिजली का उत्पादन अत्यधिक महँगा है, वहां सौर ऊर्जा विद्युत उत्पादन के लिये एक सर्वोत्तम विकल्प साबित हो सकती है।
  • भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में सौर ऊर्जा की उपलब्धता लगभग पूरे वर्ष बनी रहती है।
  • सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करने वाले उपकरणों की जीवन अवधि अधिक होती है तथा उनके रखरखाव की आवश्यकता भी कम होती है।

सौर ऊर्जा क्षेत्र में चुनौतियां

  • भारत सौर ऊर्जा के लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा उपकरणों के आयात के लिये चीन पर निर्भर है, जो भारत के लिये आर्थिक के साथ-साथ सामरिक दृष्टि से भी चिंताजनक है।
  • सौर ऊर्जा उपकरणों के मूल्य काफी अधिक होते हैं।
  • अन्य देशों द्वारा सौर उत्पादों की डंपिंग स्थानीय निर्माताओं के लिये नुकसानदायक  है।
  • चीनी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये भारतीय निर्माता, तकनीकी और आर्थिक रूप से अभी उतने मज़बूत नहीं हैं।
  • अप्रैल 2019 में जारी ब्रिज टू इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2050 तक 8 मिलियन टन सौर फोटोवोल्टिक कचरा पैदा कर सकता हैं।

आगे की राह

  • देश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ना केवल बुनियादी ढ़ाँचे को मज़बूत बनाने  की आवश्यकता है, बल्कि ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज भी ज़रूरी है।
  • सौर ऊर्जा भारत में ऊर्जा की मांग तथा उत्पादन के बीच की असमानता को काफी हद तक कम कर सकती है।
  • सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए धन की उपलब्धता सतत रूप से हो इसका विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। इसके लिए क्राउड फंडिंग और ग्रीन बाण्ड जैसे साधनों की मदद भी ली जा सकती है।
  • सौर ऊर्जा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए स्पष्ट नीति की आवश्यकता है।
  • अन्य देशों द्वारा भारत में की जाने वाली सौर ऊर्जा उपकरणों की डंपिंग को रोकने हेतु उचित रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
  • सौर अपशिष्ट प्रबंधन हेतु भारत को एक स्पष्ट नीति को अपनाने की आवश्यकता है।
  • सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक को अपनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिये तथा शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • ग्रामीण क्षेत्र में सिंचाई और घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित किये जाने की जरुरत है।
  • अधिशेष सौर ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ कर ऊर्जा की कमी वाले इलाकों में स्थानांतरित किया जाना चाहिये।
  • भारत में 80 प्रतिशत ऊर्जा का उपयोग उद्योग एवं परिवहन क्षेत्र में किया जाता है, ऊर्जा नीति का निर्माण करते समय इन क्षेत्रों को केंद्र में रखा जाना चाहिये।
  • यदि उचित पुनर्चक्रण (recycling) नहीं किया गया तो इससे सौर ई-कचरे की वृद्धि हो सकती है। सरकार को सौर ई-कचरे से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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