‘वैश्विक मीथेन पहल’ एक स्वैछिक अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी है। इसकी शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी। भारत समेत कई देश इसके सदस्य हैं। इसमें सरकारों के साथ-साथ निजी क्षेत्र, विकास बैंक, गैर-सरकारी संगठन आदि भी शामिल हैं।
यह मंच विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के मध्य साझेदारी के माध्यम से मानवजनित वैश्विक मीथेन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में कार्य करता है। यह मुख्यतः तीन मीथेन उत्सर्जक क्षेत्रों पेट्रोलियम, कोयला और बायोगैस पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करता है।
यह मीथेन से ऊर्जा उत्पादन करने वाली परियोजनाओं के निर्माण के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करता है और इसमें आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
मीथेन का उत्सर्जन एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि कार्बनडाईऑक्साइड की तुलना में यह 25-28 गुना अधिक हानिकारक ग्रीनहाउस गैस है।