पवित्र उपवन (Sacred Grove) एक पर्यावरणीय संकल्पना है। मराठी भाषा में इसे ‘देवराई’ कहते है। विदेशों में इस संकल्पना को ‘चर्च फॉरेस्ट’ नाम से जाना जाता है।
पवित्र उपवन प्राकृतिक वनस्पतियों वाले ऐसे भू-क्षेत्र होते हैं, जिनका धार्मिक एवं सांस्कृतिक आधार पर प्राचीन काल से संरक्षण किया जाता है। ये क्षेत्र भारत के उत्तर-पूर्व हिमालय, पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, तटीय क्षेत्र, केंद्रीय पठार और पश्चिमी भागों में पाए जाते हैं।
ये क्षेत्र जैव विविधता में समृद्ध होने के साथ-साथ कई महत्त्वपूर्ण प्रजातियों के आवास स्थल भी होते हैं। ये क्षेत्र अधिकांशत: किसी बारहमासी जल स्रोत के पास स्थित होते हैं। वर्तमान में भी भारत के कई समुदाय वृक्षों की उपासना करते हैं एवं उनका संरक्षण करते हैं। गोंड समुदाय हरे वृक्षों की कटाई नहीं करते।
निरंतर बढ़ती मानव आबादी, जलवायु परिवर्तन तथा वनों के विनाश के कारण भारत के पवित्र उपवन तेजी से कम हो रहे हैं। अतः इसके कार्यात्मक मूल्यों को बनाए रखने एवं संरक्षण के लिये विशेष कानून की माँग की जा रही है।