प्रकृति पूजा पर आधारित सरना धर्म का प्रचलन कई भारतीय राज्यों जैसे झारखंड, ओडिशा, असम, बिहार और पश्चिम बंगाल के आदिवासियों में है। इसे आदि धर्म के नाम से भी जाना जाता है।
इस धर्म के अनुयायियों की मुख्य आस्था जल, जंगल व ज़मीन में होती है। ये लोग वन क्षेत्रों की रक्षा में विश्वास करते हुए पेड़ों और पहाड़ियों से प्रार्थना करते हैं।
इसके अनुयायियों ने केंद्र सरकार से सरना को धर्म के रूप में मान्यता प्रदान करने तथा अलग सरना धार्मिक संहिता की मांग की है। इनकी मांग है कि आगामी जनगणना में उनकी गणना इसी श्रेणी के तहत की जाए।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार वे लोग जिन्होंने ‘अन्य’ स्तम्भ के तहत सरना या सारार्थी के रूप में स्वयं को चिह्नित किया था, उनकी संख्या लगभग 50 लाख थी। यह संख्या जैन धर्म के दर्ज अनुयायियों से अधिक है।