शॉर्ट न्यूज़: 04 फ़रवरी, 2022
भारत में रामसर स्थलों की बढ़ती संख्या
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग हेतु जागरूकता अभियान
इसरो का 'विकास इंजन'
भारत में रामसर स्थलों की बढ़ती संख्या
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय आर्द्रभूमि दिवस (2 फरवरी) के अवसर पर भारत के 2 नए स्थलों; खिजड़िया पक्षी अभयारण्य एवं बखिरा वन्यजीव अभयारण्य को रामसर सूची में शामिल किया गया है।
बखिरा वन्य जीव अभयारण्य
- बखिरा वन्यजीव अभयारण्य उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले में स्थित सबसे बड़ा प्राकृतिक बाढ़ मैदान है। वर्ष 1980 में स्थापित इस अभयारण्य की झील शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- यहाँ तिब्बत, चीन, यूरोप और साइबेरिया से प्रवासी पक्षी नवंबर से जनवरी के मध्य में आते हैं। यहाँ 30 से अधिक मछली प्रजातियों के अलावा भारतीय बैंगनी मूरहेन जैसे पक्षी भी पाए जाते हैं।
खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य, गुजरात
- गुजरात के जामनगर ज़िले में स्थित, खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य एक मीठे पानी की आर्द्रभूमि है, जो पक्षियों के लिये सबसे अनुकूल मानी जाती है। इसमें दलदली भूमि, मैंग्रोव, रेतीले समुद्र तट मौजूद हैं। यह अभयारण्य पक्षियों की लगभग 309 प्रजातियों (निवासी और प्रवासी पक्षी) को अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
- यहाँ लुप्तप्राय पक्षी प्रजातियाँ, जैसे- डालमेटियन पेलिकन, एशियन ओपन बिल स्टॉर्क, ब्लैक-नेकड स्टॉर्क, डार्टर, ब्लैक-हेडेड आइबिस, यूरेशियन स्पूनबिल और इंडियन स्किमर पाई जाती हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
- दो नए स्थलों के शामिल होने के पश्चात् भारत में रामसर संरक्षित आर्द्रभूमियों की कुल संख्या 49 हो गई है, जो दक्षिण एशिया में सर्वाधिक है।
- विदित है कि रामसर अभिसमय को 2 फरवरी, 1971 में ईरानी शहर रामसर में अपनाया गया, जिसे 1975 में क्रियान्वित किया गया। इस संधि पर भारत ने 1982 में हस्ताक्षर किये थे।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग हेतु जागरूकता अभियान
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, भारत उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTD) पर जागरूकता बढ़ाने के लिये पूरे विश्व में 100 स्थलों को रोशन करने (Illuminate) के वैश्विक अभियान में शामिल हुआ है। इसके तहत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को बैंगनी और नारंगी रंगों में प्रकाशमान किया गया।
जागरूकता अभियान
- तीसरा विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस 30 जनवरी, 2022 को मनाया गया। यह एन.टी.डी को समाप्त करने के लिये वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- यह दिवस भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NCVBDC) द्वारा आयोजित किया जाता है।
- इसके तहत झारखंड, गुजरात और कर्नाटक में भी प्रतिष्ठित स्थलों व स्मारकों को रोशन किया गया।
- इस अभियान का उद्देश्य यात्रा करने वाले लोगों में एन.टी.डी के बारे में जागरूकता को बढ़ाना तथा उनके उन्मूलन की दिशा में प्रगति व उपलब्धियों को प्रदर्शित करना है।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग
- ये रोग विभिन्न प्रकार के रोगजनकों, जैसे- विषाणु, जीवाणु, परजीवी, कवक आदि के कारण होते हैं।
- इन रोगों में डेंगू, लिम्फैटिक फाइलेरिया, लीशमैनियासिस आदि को शामिल किया जाता है।
- अन्य बीमारियों के विपरीत इन रोगों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिये जाने के कारण इन्हें 'उपेक्षित' रोग कहा जाता है। ये रोग मुख्यतः विश्व के गरीब और वंचित समुदायों को प्रभावित करते हैं।
- एक अनुमान के अनुसार एन.टी.डी से वैश्विक स्तर पर लगभग 170 करोड़ से अधिक आबादी प्रभावित है।
इसरो का 'विकास इंजन'
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने गगनयान कार्यक्रम के लिये तरल प्रणोदक विकास इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
मुख्य बिंदु
- इसरो ने इंजन की क्षमता और आवश्यकताओं के हिस्से के रूप में, जी.एस.एल.वी. एम.के III प्रक्षेपण यान से विकास इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
- यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगरी में प्रणोदन परिसर में संपन्न हुआ था। इसका उद्देश्य विशिष्ट परिस्थितियों में इंजन के प्रदर्शन की जाँच करना था।
- प्रक्षेपण यान के पहले चरण, जिसमें ठोस प्रणोदक का उपयोग किया गया, का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।
- विदित है कि, इसरो गगनयान कार्यक्रम के तहत दो मानवरहित और एक मानवसहित मिशन को जी.एस.एल.वी एम.के III प्रक्षेपण यान से अंतरिक्ष में भेजने की घोषणा कर चुका है। यह मिशन वर्ष 2022-23 में लॉन्च किया जाएगा।