शॉर्ट न्यूज़: 04 मई, 2022
‘किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी’ अभियान
रायसीना संवाद का सातवाँ संस्करण
श्रीलंका के आर्थिक सुधार के लिये भारत का प्रस्ताव
‘किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी’ अभियान
चर्चा में क्यों
हाल ही में, ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत कृषि मंत्रालय ने ‘किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी’ अभियान का आयोजन किया।
किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी अभियान
- सप्ताह भर चले इस अभियान के अंतर्गत कृषि मंत्रालय, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कृषक समुदाय के लिये विभिन्न योजनाओं और उनके लाभों के बारे में व्यापक जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया।
- इस अभियान के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालय और विभागों ने जैव-फोर्टिफिकेशन, पोषक अनाज, बाजरा की खेती तथा फसल विविधीकरण पर अनेक कार्यकलापों का आयोजन भी किया। साथ ही, किसानों को नकदी फसलों की खेती के लाभ के बारे में जागरूक करने के लिये किसान गोष्ठी कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
- इसके अलावा, ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ (PM Formalisation of Micro Food Processing Enterprises Scheme : PM-FME) के तहत जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में अखरोट के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन पर ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ओ.डी.ओ.पी.) आधारित कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। विदित है कि ओ.डी.ओ.पी. कार्यशाला, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की एक विशेष पहल है।
पी.एम.एफ.एम.ई. योजना
यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
उद्देश्य
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित वर्ग में मौजूदा वैयक्तिक सूक्ष्म-उद्यमों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाना तथा इस क्षेत्र के औपचारिकीकरण को प्रोत्साहन देना है। साथ ही किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों व उत्पादक सहकारिताओं सहित पूरी मूल्य शृंखला को समर्थन देना है।
वित्तीय प्रावधान
- इस संबंध में वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक की पाँच वर्ष की अवधि के लिये 10 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
- योजना के तहत दो लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे मदद मिलेगी, जिसमें वित्तीय, तकनीकी और व्यापारिक मदद शामिल है। यह मदद मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिये ही दी जाएगी।
रायसीना संवाद का सातवाँ संस्करण
चर्चा में क्यों
हाल ही में, रायसीना संवाद के सातवें संस्करण का आयोजन नई दिल्ली में संपन्न हुआ।
- थीम (2022): ‘टेरा नोवा: आंदोलित, अधीर और जोख़िमपूर्ण’ (Terranova: Impassioned, Impatient, Imperilled)।
- आयोजन: ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और विदेश मंत्रालय , भारत सरकार के संयुक्त प्रयास से।
- संवाद की मुख्य अतिथि: यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन।
- संवाद के छह स्तंभ-
- लोकतंत्र पर पुनर्विचार: व्यापार, तकनीक और विचारधारा
- बहुपक्षवाद का अंत: एक नेटवर्क वाली वैश्विक व्यवस्था
- वाटर कॉकस: इंडो-पैसिफिक में अशांत ज्वार
- समुदाय इनकार्पोरेशन: स्वास्थ्य, विकास और ग्रह के प्रति जिम्मेदारी
- हरित बदलाव प्राप्त करना: सामान्य अनिवार्यता, वास्तविकताओं को अलग करना
- सैमसन बनाम गोलियत: लगातार और अनवरत तकनीकी युद्ध
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रायसीना संवाद
- रायसीना संवाद भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर वैश्विक समुदाय के समक्ष आए चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने वाला एक वार्षिक सम्मेलन है।
- विदित है कि विदेश मंत्रालय रायसीना पहाड़ी पर स्थित है, इसका नाम इसी पहाड़ी से लिया गया है।
- यह एक बहु-हितधारक, क्रॉस-क्षेत्रीय बैठक है, जिसमें देशों के राष्ट्राध्यक्ष, मंत्री, नीति-निर्माता, स्थानीय अधिकारी, मीडिया से जुड़े व्यक्ति, शिक्षाविद् और शोधकर्ता शामिल होते हैं।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2022 की थीम में प्रयुक्त शब्द ‘टेरा नोवा’ से आशय कोविड-19 के बाद की नई और अपरिचित दुनिया से है।
- विदित है कि वर्ष 2016 में पहला रायसीना संवाद आयोजित किया गया था, जिसकी थीम ‘एशिया: क्षेत्रीय और वैश्विक कनेक्टिविटी’ थी।
महत्त्व
- संवाद एक वैश्विक व्यवस्था की ओर बढ़ने के तरीके खोजने में मदद करता है जो समावेशी और नियम-आधारित है।
- यह उभरती वैश्विक वास्तविकताओं को परिभाषित करने वाले बड़े विचारों पर चर्चा करने के अवसर के रूप में कार्य करता है।