शॉर्ट न्यूज़: 07 अक्टूबर, 2022
व्यापार एवं विकास रिपोर्ट-2022
राष्ट्रीय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति योजना
हरित अर्थव्यवस्था पर वैश्विक गठबंधन
व्यापार एवं विकास रिपोर्ट-2022
चर्चा में क्यों
हाल ही में, अंकटाड ने अपनी ‘व्यापार एवं विकास रिपोर्ट-2022’ प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में वर्ष 2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर में कमी के संकेत दिये गए हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
भारत की स्थिति
- संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) ने उच्च वित्तपोषण लागत और सार्वजनिक व्यय में कमी के आधार पर भारत की आर्थिक वृद्धि दर के वर्ष 2022 में 5.7% रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
- साथ ही, अंकटाड ने वर्ष 2023 में भारत की जी.डी.पी. (GDP) वृद्धि दर कम होकर 4.7% रह जाने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है।
- उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2021 में 8.2% रही, जो G-20 देशों में सर्वाधिक थी। हालाँकि, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कम होने के साथ-साथ घरेलू माँग में वृद्धि ने चालू खाता अधिशेष को घाटे में बदल दिया और विकास दर में गिरावट दर्ज़ की गई।
- यद्यपि सरकार द्वारा शुरू की गई उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) कॉर्पोरेट निवेश को प्रोत्साहित कर रही है, किंतु जीवाश्म ऊर्जा के लिये बढ़ते आयात बिल से व्यापार घाटे में वृद्धि हो रही है। यह विदेशी मुद्रा भंडार की आयात कवरेज क्षमता को कम कर रहा है।
दक्षिण एशिया की स्थिति
- अंकटाड के अनुसार, वर्ष 2022 में दक्षिण एशियाई क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि दर 4.9% रहने का अनुमान है क्योंकि ऊर्जा कीमतों में वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति में वृद्धि तथा भुगतान संतुलन बाधाओं के बदतर होने से कई सरकारें (बांग्लादेश, श्रीलंका) ऊर्जा खपत को प्रतिबंधित करने के लिये मज़बूर हुई हैं।
- इसके अलावा, टीके से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) में ढील देने में सीमित और विलंबित प्रगति इस क्षेत्र को भविष्य के प्रकोपों के लिये असुरक्षित बना रही है। इससे वर्ष 2023 में इस क्षेत्र की विकास दर गिरकर 4.1% हो जाएगी।
विशाल अर्थव्यवस्था के संबंध में अनुमान
अमेरिका और चीन
- अंकटाड के अनुसार, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वर्ष 2022 में 1.9% की दर से तथा वर्ष 2023 में 0.9% की दर से वृद्धि होगी। अमेरिका की वृद्धि दर वर्ष 2021 में 5.7% थी।
- अंकटाड ने चीन की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2022 में 3.9% तथा वर्ष 2023 में 5.3% रहने का अनुमान व्यक्त किया है। उल्लेखनीय है कि चीन की विकास दर वर्ष 2021 में 8.1% थी।
आयात में वस्तुओं की हिस्सेदारी
- रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और मिस्र के आयात में वस्तुओं की हिस्सेदारी 38% है जबकि भारत के आयात में 50% से अधिक प्राथमिक वस्तुएँ (खाद्य और ईंधन सहित) शामिल हैं।
- साथ ही, महामारी के कारण सामाजिक सुरक्षा पर अधिक व्यय और कराधान से कम राजस्व के कारण कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं को सार्वजनिक बजट घाटे में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति योजना
चर्चा में क्यों
हाल ही में, सत्र 2022-23 के लिये राष्ट्रीय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति योजना (NMMSS) के आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ा दिया गया है। विदित है कि मंत्रिमंडल ने 1827 करोड़ रुपए के कुल आवंटन के साथ इस योजना को वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी हैं।
राष्ट्रीय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति योजना
- वर्ष 2008 में शुरू इस छात्रवृत्ति योजना के तहत आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के मेधावी छात्रों को आठवीं कक्षा में अपनी पढ़ाई छोड़ने से रोकने और माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा जारी रखने के लिये छात्रवृत्ति के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जाता है।
- राज्य सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकाय के स्कूलों में पढ़ने वाले नौवीं कक्षा के चयनित छात्रों को प्रतिवर्ष एक लाख नई छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है और दसवीं से बारहवीं कक्षा में इसका नवीनीकरण भी किया जाता है।
- छात्रवृत्ति की राशि अप्रैल 2017 में 6000 से बढ़ाकर 12000 रुपए प्रतिवर्ष कर दी गई है। यह शत-प्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजना है।
- इसे नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (NSP) से भी जोड़ा गया है जो छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति योजनाओं का एक एकीकृत मंच है।
पात्रता
- जिन छात्रों के माता-पिता की सभी स्रोतों से वार्षिक आय 3.50 लाख रुपए से अधिक नहीं है, वे इस छात्रवृत्ति के लिये पात्र हैं। सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकाय स्कूल के नियमित छात्र ही आवेदन कर सकते हैं।
- छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिये होने वाली चयन परीक्षा में बैठने के लिये छात्रों को सातवीं कक्षा की परीक्षा में न्यूनतम 55% अंक (SC/ST के छात्रों के लिये 5% की छूट) या समकक्ष ग्रेड के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
- साथ ही, चयन परीक्षा में न्यूनतम 40% अंक (SC/ST के छात्रों के लिये 32%) प्राप्त करना आवश्यक है।
हरित अर्थव्यवस्था पर वैश्विक गठबंधन
चर्चा में क्यों
हाल ही में, दुबई में संपन्न हुए 8वें विश्व हरित अर्थव्यवस्था शिखर सम्मेलन के दौरान ‘हरित अर्थव्यवस्था पर वैश्विक गठबंधन’ की शुरूआत की गई।
विश्व हरित अर्थव्यवस्था शिखर सम्मेलन
- इस शिखर सम्मेलन का आयोजन ‘सहयोग के माध्यम से जलवायु कार्रवाई नेतृत्व : नेट-शून्य के लिये रोडमैप’ विषय के तहत किया गया।
- इसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं, अधिकारियों, संस्थानों के प्रतिनिधियों और अकादमिक समुदाय ने भाग लिया।
हरित अर्थव्यवस्था पर वैश्विक गठबंधन के उद्देश्य
- विकासशील देशों की क्षमता बढ़ाना
- उनकी हरित अर्थव्यवस्था संक्रमण परियोजनाओं के लिये समर्थन प्रदान करना
- परियोजना कार्यान्वयन पर ज्ञान का आदान-प्रदान करना
- जलवायु कार्रवाई और सतत विकास के संदर्भ में हरित अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देते हुए देशों के गठबंधन का निर्माण करना।