शॉर्ट न्यूज़: 08 सितम्बर, 2022
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में वृद्धि
भारतीय नौसेना का नया ध्वज
विद्यालय में नामांकन की स्थिति
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में वृद्धि
चर्चा में क्यों
हाल ही में, अमेरिका स्थित राष्ट्रीय समुद्री एवं वायुमंडलीय प्रशासन (National Oceanic and Atmospheric Administration : NOAA) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में हरितगृह गैस तथा समुद्र के जल स्तर में असामान्य रूप से वृद्धि हो रही है।
हरितगृह गैस में वृद्धि
- एन.ओ.ए.ए. के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में हरितगृह गैसों की मात्रा 414.7 भाग प्रति मिलियन (ppm) दर्ज़ की गयी है जो वर्ष 2020 की तुलना में 2.3 भाग अधिक है।
- रिपोर्ट के अनुसार, हरितगृह गैसों के स्तर में वृद्धि का प्रमुख कारण कोविड-19 महामारी के फलस्वरूप वैश्विक अर्थव्यस्था में मंदी के बाद विगत वर्ष जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन में असानी होना है।
जल स्तर में वृद्धि
- समुद्री जलस्तर के मापन में उपग्रह का प्रयोग वर्ष 1993 से किया जा रहा है। वर्ष 1993 के औसत से जलस्तर में वृद्धि 97 मिमी. या 3.8 इंच के नए रिकॉर्ड पर पहुँच गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र के जलस्तर में गत 10 वर्षों से निरंतर वृद्धि हो रही है।
तापमान की स्थिति
सर्वाधिक गर्म वर्ष
- विशेषज्ञों के अनुसार 1800 के दशक के मध्य से शुरू किये गए वैश्विक रिकॉर्ड के बाद वर्ष 2021 को सात सर्वाधिक गर्म वर्षों में से एक माना जा रहा है।
- ‘वैश्विक औसत सतह तापमान’ के संदर्भ में इसे विश्व के छह सबसे गर्म वर्षों में उल्लिखित किया गया है।
तापमान विसंगति
- निम्न औसत तापमान का मुख्य कारक ‘ला नीना’ था। ला नीना प्रशांत क्षेत्र की एक सामयिक घटना है, जिससे समुद्री पानी ठंडा हो जाता है।
- जून और जुलाई माह के अतिरिक्त इसकी स्थिति इस क्षेत्र में प्रबल बनी रही।
- विश्व स्तर पर वर्ष 2021 में फरवरी माह में तापमान विसंगति सबसे कम रही। साथ ही, फरवरी 2014 के बाद यह सबसे ठंडा फरवरी माह था।
- हालाँकि, जलीय तापमान भी असाधारण रूप से अधिक दर्ज़ किया गया। तिब्बत की झीलों में भी उच्च तापमान दर्ज किया गया जो एशिया के कई देशों के लिये जल का प्रमुख स्रोत है।
उष्णकटिबंधीय तूफानों की संख्या में वृद्धि
- तापमान में वृद्धि होने से उष्णकटिबंधीय तूफानों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। इसमें विगत वर्ष असामान्य वृद्धि दर्ज की गई।
- इसमें फिलीपींस को प्रभावित करने वाला सुपर टायफून ‘राय’ और अमेरिका को प्रभावित करने वाला कैटरीना के बाद सबसे खतरनाक हरिकेन ‘इडा’ का नाम उल्लेखनीय है।
अन्य प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 1409 के बाद पहली बार क्योटो (जापान) में चेरी के वृक्ष समय से पूर्व खिल (पुष्पित) गए थे।
- साथ ही, इसके कारण जंगल की आग की घटनाओं में वृद्धि हुई और अमेरिकी पश्चिम व साइबेरिया दोनों में विनाशकारी आग की स्थिति देखी गई।
- गौरतलब है की वर्ष 2015 में संपन्न पैरिस जलवायु समझौते में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारतीय नौसेना का नया ध्वज
चर्चा में क्यों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में स्वदेशी विमानवाहक पोत आई.एन.एस. विक्रांत (INS Vikrant) की कमीशनिंग के अवसर पर भारतीय नौसेना के नए प्रतीक चिह्न/ध्वज (Ensign/Flag) का अनावरण किया।
नौसेना का नया ध्वज
शिवा जी का प्रभाव
- नए नौसेना ध्वज में दो प्रतीक सम्मिलत है। ध्वज के ऊपरी बाएं कोने में तिरंगा स्थापित है जबकि दायीं ओर बीच में एक गहरा नीला-स्वर्ण अष्टभुजाकार प्रतीक को स्थापित किया गया है।
- यह अष्टभुजाकार प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरित है।
- इतिहासकार छत्रपति शिवाजी को फादर ऑफ इंडियन नेवी भी कहते हैं।
- चोल वंश के पराभव के लगभग सात सदियों बाद शिवा जी ने समुद्र (जल सेना) को अत्यधिक महत्त्व दिया।
- ‘शिवाजी : इंडियाज ग्रेट वारियर किंग’ के लेखक वैभव पुरंदर हैं।
- अष्टभुजाकार में दोहरे स्वर्ण अष्टकोणीय छोर बने हैं, जिसमें स्वर्ण राष्ट्रीय चिह्न (अशोक का सिंहचतुर्मुख स्तम्भशीर्ष) स्थित है। नीले रंग में देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है।
नौसेना का आदर्श वाक्य
- इसके नीचे एक रिबन में सुनहरे रंग में नौसेना के आदर्श वाक्य ‘शं नो वरुण:’ उल्लिखित किया गया है।
- अष्टभुजाकार के भीतर भारतीय नौसेना की कलगी, लंगर बना था, जो औपनिवेशिक अतीत से जुड़ा था। इसके स्थान पर अब स्पष्ट लंगर बना है, जो भारतीय नौसेना की दृढ़ता का प्रतीक है।
- विदित है कि पूर्व ध्वज में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस सम्मिलित था। अब सेंट जॉर्ज क्रॉस को नए अष्टकोणीय प्रतीक के साथ स्थानांतरित कर दिया गया है।
परिवर्तन का कारण
- प्रधानमंत्री के अनुसार, नया ध्वज छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित है और दासता से मुक्ति का प्रतीक है।
- नौसेना का नया ध्वज औपनिवेशिक चिन्हों को भारतीय व्यवस्था से हटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नौसेना ध्वज का इतिहास
- भारत की स्वतंत्रता के बाद भारतीय रक्षा बलों को ब्रिटिश औपनिवेशिक ध्वज और बैज के साथ जारी रखा गया था और भारतीय गणतंत्रता के समय केवल भारतीय नौसेना के स्वरुप में परिवर्तन किया गया था।
- नौसेना के ध्वज में एक अन्य परिवर्तन वर्ष 2001 में भी किया गया था।
- यद्यपि वर्ष 2004 में पुन: नौसेना के ध्वज को संशोधित किया गया और वर्ष 2001 में किये गए परिवर्तनों को वापस लेते हुए पुन: जॉर्ज क्रॉस को यथास्थिति में स्थापित कर दिया गया।
- हालाँकि, वर्ष 2004 में किये गए संशोधनों में सेंट जॉर्ज क्रॉस के मध्य में सिंह चिन्ह की स्थापना सर्वप्रमुख थी।
- इसके अतिरिक्त एक अन्य परिवर्तन करते हुए वर्ष 2014 में नौसेना ध्वज में जॉर्ज क्रॉस के मध्य में स्थापित अशोक चिन्ह के साथ सत्यमेव जयते शब्द को अंकित किया गया था।
रक्षा मंत्रालय की अन्य प्रमुख उपलब्धियां
- उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों की स्थापना
- रचनात्मक स्वदेशीकरण सूची को जारी करना
- घरेलू उद्योग के लिये 68% पूंजी खरीद बजट आवंटन
- रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्धन नीति 2020
- एफ.डी.आई. सीमा में बढ़ोतरी
- विगत वर्ष 400 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निर्यात
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विद्यालय में नामांकन की स्थिति
चर्चा में क्यों
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की प्रक्षेपण और रुझान रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011 से प्राथमिक विद्यालय अर्थात कक्षा 1-5 के विद्यार्थियों की नामांकन दर में शुरू हुई गिरावट वर्ष 2025 तक जारी रहेगी।
प्राथमिक स्तर की स्थिति
- रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थियों के नामंकन में वर्ष 2011 तक निरंतर वृद्धि जारी रही।
- हालाँकि, वर्ष 2011 के बाद से निरंतर ह्रास की स्थिति बनी हुई है जिसके वर्ष 2025 तक जारी रहने की उम्मीद है।
- इस अवधि के दौरान कुल नामांकन में 14.37% की गिरावट आने का अनुमान है।
- बालकों के नामांकन में 13.25% और बालिकाओं के नामांकन में 15.54% की कमी आ सकती है।
उच्च प्राथमिक स्तर एवं माध्यमिक स्तर
- रिपोर्ट के अनुसार, उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6-8) और माध्यमिक स्तर (कक्षा 9-10) पर क्रमशः वर्ष 2016 और 2019 से नामांकन दर में कमी आई है।
- इस अवधि के दौरान उच्च प्राथमिक स्तर पर 9.47% की कुल गिरावट का अनुमान है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की स्थिति
- रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के नामांकन में 1990 के दशक से गिरावट का अनुभव किया जा रहा है।
- वर्ष 2011 से वर्ष 2016 के मध्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्यार्थियों के नामांकन में वृद्धि नकारात्मक रही जो क्रमश: -5.27% और -12.20% रही।
कारण
- परिषद ने नामांकन में गिरावट के लिये भारत की बाल जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट को प्रमुख उत्तरदायी कारक माना है।
- कुल जनसंख्या में बाल जनसंख्या (0-6 वर्ष) का अनुपात वर्ष 1991 में 18% से घटकर वर्ष 2011 में 13.12% हो गया है।
स्वतंत्रता के बाद की समग्र स्थिति
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने अपनी रिपोर्ट में वर्ष 1950 के बाद से आंकड़ों का अध्ययन किया है। इस समय देश में 2.38 करोड़ विद्यार्थी पंजीकृत थे।
- रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1950 से वर्ष 2016 के बीच कक्षा 1 से 10 तक विद्यालयों में नामांकन में 900% से अधिक की समग्र वृद्धि दर्ज की गयी है।
- उल्लेखनीय है कि इस अवधि में छात्राओं के नामांकन में 1000% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गयी है।
- यह रिपोर्ट सरकार और शिक्षा नीति निर्माताओं को भावी कार्यक्रमों के निर्धारण एवं व्यवस्था सृजन में सहायता करने के साथ-साथ उनके मार्गदर्शन में लाभकारी सिद्ध होगी।