शॉर्ट न्यूज़: 09 अगस्त, 2022 (पार्ट - 2)
खनिज सुरक्षा भागीदारी (मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप)
ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022
पारिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022
अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान
आदर्श किरायेदारी अधिनियम 2021
भारत में नए रामसर स्थलों (Ramsar Sites)
भारत में अमेरिकी नौसेना के जहाज की पहली मरम्मत
खाद्य सुरक्षा और लैंगिक समानता: CARE
लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
खनिज सुरक्षा भागीदारी (मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप)
- अमेरिका और अन्य 10 देशों – ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय आयोग – द्वारा ‘खनिज सुरक्षा भागीदारी’ की शुरुआत की गयी है।
- इस नए समूह का उद्देश्य रणनीतिक अवसरों को विकसित करने के लिए सरकारों और निजी क्षेत्र से निवेश को उत्प्रेरित करना है।
- नया समूह कोबाल्ट, निकेल, लिथियम जैसे खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला और 17 ‘दुर्लभ मृदा खनिजों’ पर भी ध्यान केंद्रित कर सकता है।
दुर्लभ मृदा तत्व (Rare Earth Element -REE)
- ‘दुर्लभ मृदा तत्त्व’ पृथ्वी की ऊपरी सतह में पाए जाने वाले 17 दुर्लभ मृदा धातुओं का समूह है।
- दुर्लभ खनिज ऐसे तत्त्व हैं जो आधुनिक युग में महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों की बुनियाद हैं और इनकी कमी की वजह से पूरी दुनिया में आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ा है।
- ये तत्व आवर्त सारणी में 15 लैंथेनाइड (Z-57 से 71) और स्कैंडियम (Scandium) -(परमाणु संख्या 21) तथा येट्रबियम (Ytterbium)- (परमाणु संख्या 39) के नाम से जाने जाते हैं।
- दुर्लभ मृदा तत्त्वों को ‘हल्के दुर्लभ मृदा तत्वों’ और ‘भारी दुर्लभ मृदा तत्वों’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- भारत में लैंथेनम, सेरियम, नियोडिमियम, प्रेजोडिमियम और समैरियम जैसे कुछ REE पाए जाते हैं।
- HREE के रूप में वर्गीकृत डिस्प्रोसियम, टेरबियम और यूरोपियम जैसे अन्य तत्वों की खनन करने योग्य मात्रा भारतीय निक्षेपों में उपलब्ध नहीं हैं।
- चीन वैश्विक उत्पादन के अनुमानित 70 प्रतिशत हिस्से सहित ‘दुर्लभ मृदा तत्त्वों’ के प्रमुख उत्पादकों में से एक है।
खनिजों का महत्व
- इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त बैटरियों के लिए कोबाल्ट, निकेल और लिथियम जैसे खनिजों की आवश्यकता होती है।
- 200 से अधिक उपभोक्ता उत्पादों में आवश्यक – जिसमें मोबाइल फोन, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन, सेमीकंडक्टर्स, फ्लैटस्क्रीन टीवी और मॉनिटर और हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।
- एयरोस्पेस, संचार और रक्षा उद्योग भी कई ऐसे खनिजों पर निर्भर हैं, जिनका उपयोग लड़ाकू जेट, ड्रोन, रेडियो सेट और अन्य महत्त्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण में किया जाता है।
Question of the Day
प्रश्न 1. खनिज सुरक्षा भागीदारी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
- चाइना-प्लस-वन रणनीति के हिस्से के रूप में, पश्चिमी देशों के एक समूह द्वारा प्रमुख औद्योगिक आपूर्तियों को सुनिश्चित करने के लिए चीन का विकल्प विकसित किया जा रहा है।
- भारत, इस ‘मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप’ (MSP) व्यवस्था का हिस्सा है।
- विश्व स्तर पर ब्राजील और रूस के पास चीन के बाद बड़े दुर्लभ पृथ्वी भंडार अवस्थित हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1
(d) केवल 1 और 3
उत्तर : (d)
Source: Indian Express
ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022
- लोकसभा द्वारा ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया, जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत की प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में मदद करना है।
- इसके तहत ऊर्जा या एनर्जी के लिए ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया, बायोमास और इथेनॉल जैसे स्रोतों का इस्तेमाल करने का प्रावधान किया गया है.
- विधेयक में कार्बन बचत प्रमाणपत्र जारी करके स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करने जैसे परिवर्तनों को पेश करने के लिये विद्युत संरक्षण अधिनियम 2001 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, जिसे अंतिम बार वर्ष 2010 में संशोधित किया गया था।
प्रमुख प्रावधान
- ऊर्जा के नॉन-फॉसिल स्रोतों के इस्तेमाल की बाध्यता: विधेयक एक्ट में यह जोड़ता है कि सरकार किसी निर्दिष्ट उपभोक्ता से यह अपेक्षा कर सकती है कि वह ऊर्जा की खपत का एक न्यूनतम हिस्सा नॉन-फॉसिल स्रोत से प्राप्त करे।
- निर्दिष्ट उपभोक्ताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
-
- उद्योग जैसे खनन, स्टील, सीमेंट, टेक्सटाइल, रसायन और पेट्रोरसायन,
- रेलवे सहित परिवहन क्षेत्र, और
- व्यावसायिक इमारतें, जैसा कि अनुसूची में निर्दिष्ट है।
- नॉन-फॉसिल स्रोतों से ऊर्जा के उपभोग की बाध्यता पूरी न करने की स्थिति में 10 लाख रुपए तक के जुर्माने की सजा होगी।
- कार्बन ट्रेडिंग: विधेयक केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम निर्दिष्ट करे।
- केंद्र सरकार या कोई अधिकृत एजेंसी इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत और उसका अनुपालन करने वाली संस्थाओं को कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट्स जारी कर सकती है।
इमारतों के लिए ऊर्जा संरक्षण संहिता:
- विधेयक एक्ट में संशोधन करके ‘ऊर्जा संरक्षण और टिकाऊ भवन संहिता’ का प्रावधान करता है।
- आवासीय भवनों पर एप्लिकेबिलिटी: एक्ट के अंतर्गत ऊर्जा संरक्षण संहिता निम्नलिखित इमारतों पर लागू होती है:
-
- संहिता की अधिसूचना के बाद निर्मित, और
- 100 किलोवॉट (kW) के न्यूनतम कनेक्टेड लोड या 120 किलो वोल्ट एंपियर (kVA) के कॉन्ट्रैक्ट लोड वाली।
- विधेयक के अंतर्गत नई ऊर्जा संरक्षण और टिकाऊ भवन संहिता उपरिलिखित मानदंडों को पूरा करने वाले कार्यालयी और आवासीय इमारतों पर लागू होगी।
- विधेयक राज्य सरकारों को इस लोड की सीमाओं को कम करने का अधिकार देता है।
- वाहनों और जलयानों (वेसेल्स) के लिए मानदंड: एक्ट के अंतर्गत ऊर्जा उपभोग के मानदंड उपकरणों के लिए निर्दिष्ट किए जा सकते हैं।
- विधेयक वाहनों और जलयानों (जहाज और नावों सहित) को शामिल करने के लिए इसके दायरे को बढ़ाता है।
- एसईआरसी की रेगुलेटरी शक्तियां: एक्ट राज्य बिजली रेगुलेटरी आयोगों (एसईआरसीज़) को एक्ट के अंतर्गत दंड पर फैसला सुनाने की शक्ति देता है।
- विधेयक इसमें यह जोड़ता है कि एसईआरसीज़ अपने काम करने के तरीके के संबंध में रेगुलेशंस भी बना सकते हैं।
- बीईई की गवर्निग काउंसिल का संयोजन: एक्ट में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के गठन का प्रावधान है।
- ब्यूरो की एक गवर्निंग काउंसिल होती है जिसमें 20 से 26 सदस्य होते हैं।
- इसके स्थान पर विधेयक सदस्यों की संख्या 31 से 37 के बीच करता है।
Question of the Day
प्रश्न 2. हाल ही में लोकसभा द्वारा ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 पारित किया गया है, इस विधेयक के द्वारा किन उद्देश्यों को प्राप्त किये जाने का प्रावधान किया गया हैं ?
- जीवाश्म ईंधन के माध्यम से भारत की बिज़ली खपत को पूर्णतः गैर-जीवाश्म स्रोत्र से परिवर्तित करना।
- 2040 तक भारत के नेट जीरो लक्ष्य को प्राप्त करना।
- भारत के कार्बन बाज़ार को विकसित करना।
- स्वच्छ प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विदेशी निवेश को अत्यधिक बढ़ावा देना।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (a )
Source: Indian Express
पारिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022
- राज्यसभा द्वारा ‘परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक’ 2022 (Family Courts (Amendment) Bill 2022) को पारित कर दिया गया।
- परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022 द्वारा ‘परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984’ में संशोधन किया गया है।
- यह अधिनियम, राज्यों द्वारा परिवार और विवाह से संबंधित विवादों से निपटने के लिए ‘फैमिली कोर्ट’ की स्थापना का प्रावधान करता है।
- इस विधेयक में, हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में स्थापित ‘पारिवार न्यायालयों’ को वैधानिक सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
प्रमुख संशोधन:
- इस विधेयक में क़ानून की धारा 1 की उप-धारा 3 में हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में में ‘पारिवार न्यायालयों’ की स्थापना के लिए एक प्रावधान शामिल किया गया है।
- यह विधेयक, हिमाचल प्रदेश और नागालैंड की सरकारों और इन राज्यों की पारिवारिक अदालतों द्वारा किए गए अधिनियम के तहत सभी कार्यों को ‘पूर्वव्यापी रूप’ (Retrospectively) से मान्य करने के लिए एक नई धारा 3A को सम्मिलित करने का भी प्रयास करता है।
- दोनों राज्यों में अधिनियम के तहत की गई सभी कार्रवाइयां, जिसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति और ‘परिवार न्यायालयों’ द्वारा पारित आदेश और निर्णय भी शामिल हैं, को भी इन तारीखों से पूर्वव्यापी रूप से मान्य माना जाएगा।
फैमिली कोर्ट एक्ट 1984 के बारे में:
- अधिनियम को पारिवारिक न्यायालयों (फैमिली कोर्ट) की स्थापना के लिये अधिनियमित किया गया था, ताकि सुलह को बढ़ावा दिया जा सके और विवाह तथा पारिवारिक मामलों एवं संबंधित विवादों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित किया जा सके।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति: इन न्यायालयों में, न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय की सहमति से की जाती है।
- राज्य सरकार, सामाजिक कल्याण एजेंसियों या सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों को मध्यस्थता और सुलह में मदद के लिए ‘फैमिली कोर्ट’ से जोड़ने का प्रावधान कर सकती है।
- राज्य सरकार निम्नलिखित संस्थाओं या व्यक्तियों को ‘परिवार न्यायालय’ में शामिल कर सकती है:
- समाज कल्याण में लगे संस्थान या संगठन।
- परिवार के कल्याण को बढ़ावा देने में पेशेवर रूप से संलग्न व्यक्ति।
- समाज कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति।
Question of the Day
प्रश्न 3. परिवार न्यायालय अधिनियम 1984 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
- परामर्श और सुलह दो स्तंभों पर पारिवारिक न्यायालयों की पूरी संरचना बनी है।
- अधिनियम परिवार न्यायालयों को जिला न्यायालय या अधीनस्थ सिविल न्यायालयों के समान अधिकार प्रदान करती है।
- राज्य सरकार, राज्य के प्रत्येक क्षेत्र में दस लाख से अधिक लोगों की आबादी या किसी अन्य क्षेत्र में जहां राज्य सरकार आवश्यक समझती है राज्यपाल व उच्चतम न्यायलय से परामर्श के बाद, परिवार न्यायालय की स्थापना करेगी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से असत्य नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (c)
Source: The Hindu
अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान
- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने UNFCCC को सूचित करने के लिए भारत के अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को मंजूरी दी।
- अद्यतन एनडीसी के अनुसार, भारत का लक्ष्य अब अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक कम करना और गैर-जीवाश्म स्रोतों से संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता के 50 प्रतिशत तक करना है।
- इससे पहले, भारत ने अक्टूबर 2015 में यूएनएफसीसीसी को एनडीसी प्रस्तुत किया था जिसमें 2030 तक तीन मात्रात्मक लक्ष्य शामिल थे:
- गैर-जीवाश्म स्रोतों से संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता 40 प्रतिशत तक पहुंचना;
- 2005 के स्तर की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना और
- अतिरिक्त वन और वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 के अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करना।
- इसके अतिरिक्त एक स्वस्थ और टिकाऊ जीवन शैली को आगे बढ़ाने के लिए, 'लाइफ' - 'पर्यावरण के लिए जीवन शैली' को जलवायु परिवर्तन से निपटने की कुंजी के रूप में भारत के एनडीसी में जोड़ा गया है।
- लाइफ का दृष्टिकोण एक ऐसी जीवनशैली अपनाना है जो हमारे धरती के अनुरूप हो और इसे नुकसान न पहुंचाए।
Nationally Determined Contribution
- पेरिस समझौते के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) की संकल्पना को प्रस्तावित किया गया है, इसमें प्रत्येक राष्ट्र से यह अपेक्षा की गई है कि वह ऐच्छिक तौर पर अपने लिये उत्सर्जन के लक्ष्यों का निर्धारण करे।
- अनुमान है कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों का सशर्त कार्यान्वयन किया जाएगा तो पूर्व औद्योगिक स्तरों के सापेक्ष वर्ष 2100 तक तापमान में कम-से-कम 2% की कमी आएगी।
Question of the Day
प्रश्न 4. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का फ्रेमवर्क कन्वेंशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
- UNFCCC एक "रियो कन्वेंशन" है, जो 1992 में "रियो अर्थ समिट" में हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किये गए दो कन्वेंशन में से एक है।
- कन्वेंशन के तहत अनुलग्नक-I में शामिल देश आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) से संबंधित हैं।
- कन्वेंशन के तहत, औद्योगिक राष्ट्र विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन गतिविधियों का समर्थन करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे जो पहले से प्रदान की जाने वाली किसी भी वित्तीय सहायता के अतिरिक्त नहीं होगी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं नहीं
उत्तर : (c)
Source: Down to Earth
आदर्श किरायेदारी अधिनियम 2021
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के अनुसार, आदर्श किराएदार अधिनियम (मॉडल टेनेंसी एक्ट) को अभी तक केवल चार राज्यों, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और असम द्वारा ही संशोधित किया गया है।
मॉडल टेनेंसी अधिनियम की आवश्यकता:
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 1 करोड़ से अधिक घर खाली पड़े हैं।
- मौजूदा किराया नियंत्रण कानून किराये के आवास के विकास में बाधा डाल रहा है और यह मकान-मालिक को अपने खाली मकानों पर फिर से कब्ज़ा किये जाने के डर से उन्हें किराये पर देने से हतोत्साहित करता है।
- वर्ष 2050 तक भारत के आधे से ज़्यादा लोग मुख्य रूप से प्रवास के कारण शहरों या कस्बों में रह रहे होंगे।
मॉडल टेनेंसी एक्ट के बारे में
- मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2021 का उद्देश्य परिसर के किराये को विनियमित करने और ज़मींदारों तथा किरायेदारों के हितों की रक्षा करने के लिये एवं विवादों तथा उससे जुड़े मामलों या संबंधित मामलों के समाधान हेतु त्वरित न्यायनिर्णयन तंत्र प्रदान करने के लिये किराया प्राधिकरण की स्थापना करना है।
प्रमुख प्रावधान
- लिखित समझौता अनिवार्य: इसके लिये संपत्ति के मालिक और किरायेदार के बीच लिखित समझौता होना अनिवार्य है।
- स्वतंत्र प्राधिकरण और रेंट कोर्ट की स्थापना: यह अधिनियम किरायेदारी समझौतों के पंजीकरण के लिये हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एक स्वतंत्र प्राधिकरण स्थापित करता है तथा यहाँ तक कि किरायेदारी संबंधी विवादों को सुलझाने हेतु एक अलग अदालत भी स्थापित करता है।
- सिक्योरिटी डिपॉज़िट के लिये अधिकतम सीमा: इस अधिनियम में किरायेदार की एडवांस सिक्योरिटी डिपॉज़िट को आवासीय उद्देश्यों के लिये अधिकतम दो महीने के किराये और गैर-आवासीय उद्देश्यों हेतु अधिकतम छह महीने तक सीमित किया गया है।
- दायित्वों का वर्णन: मकान मालिक संरचनात्मक मरम्मत गतिविधियों के लिये ज़िम्मेदार होगा।
- मकान मालिक द्वारा 24 घंटे पूर्व सूचना: मकान मालिक को मरम्मत या प्रतिस्थापन करने के लिये किराये के परिसर में प्रवेश करने से पहले 24 घंटे पूर्व सूचना देनी होगी।
- परिसर खाली करने के लिये तंत्र: यदि किसी मकान मालिक ने रेंट एग्रीमेंट में बताई गई सभी शर्तों को पूरा किया है जैसे- नोटिस देना आदि और किरायेदार किराये की अवधि या समाप्ति पर परिसर को खाली करने में विफल रहता है, तो मकान मालिक मासिक किराये को दोगुना करने का हकदार है।
Note
यह अधिनियम राज्यों के लिये बाध्यकारी नहीं है क्योंकि भूमि और शहरी विकास राज्य के विषय हैं।
Question of the Day
प्रश्न 5. आदर्श किरायेदारी अधिनियम 2021 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
- एक्ट का उद्देश्य विवादों तथा संबंधित मामलों के समाधान हेतु त्वरित न्यायनिर्णयन तंत्र प्रदान करने के लिये किराया प्राधिकरण की स्थापना करना है।
- अधिनियम के तहत संपत्ति के मालिक और किरायेदार के बीच लिखित समझौता होना अनिवार्य है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर : (c)
Source: The Hindu
भारत में नए रामसर स्थलों (Ramsar Sites)
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, तमिलनाडु से 6 नई आर्द्रभूमि, और कर्नाटक, गोवा, मध्य प्रदेश और ओडिशा से 1-1 को “अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि” के रूप में रामसर मान्यता मिली है।
- 10 स्थलों को शामिल करने के साथ, देश में रामसर साइटों की कुल संख्या 64 हो गई है।
नई मान्यता प्राप्त साइटें हैं:
कुनथनकुलम पक्षी अभयारण्य –
- यह एक मानव निर्मित आर्द्रभूमि है, जो तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में स्थित है।
- यह प्रवासी जल पक्षियों और दक्षिण भारत में रहने वाले पक्षियों के प्रजनन के लिए सबसे बड़ा रिजर्व है।
- इस अभयारण्य में 190 एकड़ क्षेत्र में धान की भी सिंचाई होती है।
नंदा झील –
- नंदा झील ताजे पानी का दलदल है, जो गोवा में जुआरी नदी के एक नाले के निकट स्थित है।
- यह स्थानीय लोगों को ऑफ-मानसून सीजन में पानी स्टोर करने में मदद करता है।
- इस झील के नीचे की ओर धान की खेती के लिए संग्रहित पानी का उपयोग किया जाता है।
- यह ब्लैक-हेडेड आइबिस, वायर-टेल्ड स्वॉलो, कॉमन किंगफिशर, ब्राह्मणी पतंग और कांस्य-पंख वाले जकाना का घर है।
सतकोसिया गॉर्ज –
- यह ओडिशा में महानदी नदी के किनारे फैली हुई है।
- इसे 1976 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था। दक्कन प्रायद्वीप और पूर्वी घाट सतकोसिया में मिलते हैं।
- सतकोसिया गॉर्ज वेटलैंड दलदली और सदाबहार जंगलों के लिए जाना जाता है।
मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिजर्व (GoMBR) –
- यह दक्षिण-पूर्वी तटरेखा में स्थित है और समृद्ध समुद्री पर्यावरण के लिए प्रसिद्ध है।
- यह रिजर्व विभिन्न महत्वपूर्ण और अत्यधिक खतरे वाली प्रजातियों जैसे व्हेल शार्क, डुगोंग, हरे समुद्री कछुए, समुद्री घोड़े, बालनोग्लोसस, डॉल्फ़िन, हॉक्सबिल कछुए आदि का घर है।
- वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स, तमिलनाडु
- वेलोड पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु
- वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु
- उदयमार्थंदपुरम पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु
- रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य, कर्नाटक
- सिरपुर वेटलैंड, मध्य प्रदेश
Source: Hindustan Times
भारत में अमेरिकी नौसेना के जहाज की पहली मरम्मत
- मेक इन इंडिया और रक्षा में आत्मानिभरता को एक बड़ा बढ़ावा प्रदान करते हुए और भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी में एक नया आयाम जोड़ते हुए, यूएस नेवी शिप चार्ल्स ड्रू मरम्मत और संबद्ध सेवाओं के लिए कट्टुपल्ली में एलएंडटी के शिपयार्ड पहुंचे।
- यह भारत में अमेरिकी नौसेना के जहाज की पहली मरम्मत है।
- अमेरिकी नौसेना ने जहाज के रखरखाव के लिए कट्टुपल्ली में एलएंडटी के शिपयार्ड को एक अनुबंध दिया था।
- यह वैश्विक जहाज मरम्मत बाजार में भारतीय शिपयार्ड की क्षमताओं का प्रतीक है।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय शिपयार्ड उन्नत समुद्री प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों का उपयोग करते हुए व्यापक रेंज और लागत प्रभावी जहाज मरम्मत और रखरखाव सेवाएं प्रदान करते हैं।
- वर्तमान में, भारत में लगभग 2 अरब डॉलर के कारोबार के साथ छह प्रमुख शिपयार्ड हैं।
- भारत का अपना डिज़ाइन हाउस है जो सभी प्रकार के अत्याधुनिक जहाज बनाने में सक्षम है।
- देश का पहला स्वदेशी विमान वाहक विक्रांत, भारतीय जहाज निर्माण उद्योग के विकास का एक चमकदार उदाहरण है।
- पिछले चार-पांच वर्षों में भारतीय रक्षा निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है। निर्यात, जो 2015-16 में लगभग 1,500 करोड़ रुपये का था, अब 800% बढ़कर लगभग 13,000 करोड़ रुपये हो गया है।
Source: The Hindu
खाद्य सुरक्षा और लैंगिक समानता: CARE
- हाल ही में "खाद्य सुरक्षा और लैंगिक समानता: ए सिनर्जिस्टिक अंडर्स्टडी सिम्फनी" नामक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें लैंगिक असमानता एवं खाद्य असुरक्षा के बीच वैश्विक संबंध पर प्रकाश डाला गया।
- यह रिपोर्ट CARE द्वारा जारी की गई थी, जो महिलाओं और लड़कियों के संदर्भ में वैश्विक गरीबी तथा भुखमरी से लड़ने वाला अंतर्राष्ट्रीय मानवीय संगठन है।
प्रमुख बिंदु
- दुनिया भर में पुरुषों और महिलाओं की खाद्य सुरक्षा के बीच की खाई बढ़ती जा रही है।
- वर्ष 2021 में कम-से-कम 828 मिलियन लोग भूख से प्रभावित थे। उनमें से पुरुषों की तुलना में 150 मिलियन अधिक महिलाएँ खाद्य असुरक्षा प्रभावित थीं।
- रिपोर्ट के अनुसार, 109 देशों में लैंगिक असमानता बढ़ने के साथ ही खाद्य सुरक्षा में कमी देखी गई।
- लैंगिक समानता स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर खाद्य एवं पोषण सुरक्षा से अत्यधिक जुड़ी हुई है।
- यमन, सिएरा लियोन और चाड जैसे उच्च लैंगिक असमानता वाले राष्ट्रों ने सबसे कम खाद्य सुरक्षा एवं पोषण का अनुभव किया।
Source: Down to Earth
लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- महाराष्ट्र के के.के. रेंज में मुख्य युद्धक टैंक (MBT) अर्जुन से मिसाइलों का परीक्षण किया गया।
- सभी स्वदेशी लेजर गाइडेड ATGM में एक अग्रानुक्रम उच्च विस्फोटक एंटी-टैंक (High Explosive Anti-Tank – HEAT) वारहेड शामिल है।
- यह वारहेड एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (Explosive Reactive Armour – ERA) संरक्षित बख्तरबंद वाहनों पराजित करने में सक्षम है।
- इस ATGM में मल्टी-प्लेटफॉर्म लॉन्च की क्षमता है।
एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM)
- ATGM एक निर्देशित मिसाइल है, जिसे भारी बख्तरबंद सैन्य वाहनों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इस मिसाइल का आकार ‘शोल्डर-लॉन्च्ड वेपन्स’ से लेकर ‘लार्ज ट्राइपॉड-माउंटेड वेपन्स’ से लेकर व्हीकल और एयरक्राफ्ट माउंटेड मिसाइल सिस्टम तक होता है।
- कंधे से दागे जाने वाले हथियारों को अकेले सैनिक द्वारा ले जाया जा सकता है।
Source: Hindustan Times