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शॉर्ट न्यूज़: 09 फ़रवरी, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 09 फ़रवरी, 2022


कॉपर-आधारित नैनोपार्टिकल्स-लेपित फेस मास्क

एकात्मक डिजिटल पहचान ढाँचा


कॉपर-आधारित नैनोपार्टिकल्स-लेपित फेस मास्क

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए एक स्व-कीटाणुनाशक 'कॉपर-आधारित नैनोपार्टिकल-कोटेड एंटीवायरल फेस मास्क विकसित किया है।

मुख्य बिंदु

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  • यह मास्क कोविड-19 वायरस के साथ-साथ कई अन्य वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों के खिलाफ उच्च प्रदर्शन प्रदर्शित करता है। यह जैव निम्नीकरणीय (बायोडिग्रेडेबल), अत्यधिक सांस लेने योग्य और धोये जाने योग्य है।
  • यह मास्क विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी.) के अंतर्गत अनुसंधान एवं विकास केंद्र इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (ए.आर.सी.आई.) के वैज्ञानिको ने विकसित किया है। 

निर्माण प्रक्रिया

ए.आर.सी.आई. ने फ्लेम स्प्रे पायरोलिसिस (Flame Spray Pyrolysis) प्रसंस्करण विधि द्वारा लगभग 20 नैनोमीटर के तांबे आधारित नैनोकणों का विकास किया गया। बाद में इसे नैनोपाउडर में बदल कर आसंजन के साथ सूती कपड़े पर इस नैनो-कोटिंग की एक समान परत लेपित की गयी। इस लेपित कपड़े ने बैक्टीरिया के खिलाफ 99.9% से अधिक की प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया।

यह एंटीवायरल मास्क, सूती कपड़े से बना है व जैव निम्नीकरणीय है, साथ ही यह अत्यधिक सांस लेने योग्य और धोने योग्य है।


एकात्मक डिजिटल पहचान ढाँचा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, श्रीलंका ने ‘एकात्मक डिजिटल पहचान ढाँचे’ (Unitary Digital Identity Framework : UDIF) को लागू करने की घोषणा की है। इसके लिये भारत ने श्रीलंका को अनुदान प्रदान करने पर सहमति जतायी है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके तहत बायोमीट्रिक डाटा के आधार पर एक व्यक्तिगत पहचान सत्यापन उपकरण तथा साइबर स्पेस में व्यक्तिगत पहचान को प्रदर्शित करने वाले एक डिजिटल उपकरण को प्रस्तुत करने की संभावना है।
  • इन दो उपकरणों के संयोजन से डिजिटल तथा भौतिक वातावरण में व्यक्तिगत पहचान का सत्यापन सटीकता से किया जा सकेगा।
  • यद्यपि भारत ने डिजिटल पहचान प्रणाली में परिवर्तन के श्रीलंका के प्रयासों के समर्थन की पुष्टि की है, किंतु अनुदान की राशि तथा इसमें तकनीकी सहायता व प्रशिक्षण शामिल होगा या नहीं, इस संदर्भ में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। 
  • यह पहली बार नहीं है जब श्रीलंका अपने नागरिकों की पहचान को डिजिटाइज़ करने का प्रयास कर रहा है। इससे पहले वर्ष 2015 से 2019 तक इसी के समान राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक पहचान-पत्र (Electronic National Identity Card : E-NIC) को प्रस्तुत किया गया था, जिसका गोपनीयता का पक्ष लेने वाले समूहों ने इस आधार पर विरोध किया कि राज्य के पास केंद्रीय डाटाबेस के माध्यम से नागरिकों के व्यक्तिगत डाटा तक पूर्ण पहुँच होगी।

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