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शॉर्ट न्यूज़: 10 दिसंबर, 2021

शॉर्ट न्यूज़: 10 दिसंबर, 2021


भारतीयों में नागरिकता छोड़ने की बढ़ती प्रवृति 

लिंग समावेशन कोष

जी-20 ट्रोइका


भारतीयों में नागरिकता छोड़ने की बढ़ती प्रवृति 

चर्चा में क्यों?

गृह मंत्रालय के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में छह लाख से अधिक भारतीयों ने नागरिकता का त्याग कर दिया है। 

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2017 एवं 2018 में नागरिकता का त्याग करने वाले भारतीयों की संख्या क्रमशः 1,33,049 और 1,34,561 थी, जबकि वर्ष 2019 एवं 2020 में यह संख्या 1,44,017 और 85,248 रही थी।
  • इस वर्ष 30 सितंबर तक 1,11,287 भारतीयों ने अपनी नागरिकता का त्याग कर दिया है। वर्ष 2020 और 2021 में हुई इस गिरावट का प्रमुख कारण कोविड-19 को माना जा रहा है।
  • विदित है कि 2016-20 की अवधि में 10,645 विदेशी नागरिकों ने भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन किया, जिनमें 70% से अधिक पाकिस्तान से थे जबकी 4% से अधिक ‘स्टेटलेस’ (किसी भी देश की नागरिकता नहीं) थे। इसी अवधि में 4,177 व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।

नियमों में संशोधन

  • वर्ष 2018 में गृह मंत्रालय ने नागरिकता त्याग की घोषणा के लिये नागरिकता नियमों में कुछ संशोधन किया था। इसके तहत पहली बार उन परिस्थितियों/कारणों, जिसके कारण किसी आवेदक ने विदेशी नागरिकता अर्जित करने और भारतीय नागरिकता का परित्याग करने का निर्णय लिया है, से सम्बंधित कॉलम शामिल किया गया था।
  • हाल ही में, मंत्रालय ने प्रक्रिया को सरल बनाने और आवेदकों के लिये ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड करने सम्बंधी प्रावधान किये हैं। साथ ही, नागरिकता का परित्याग करने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिये 60 दिनों की अधिकतम सीमा तय की गई थी।

    वैश्विक संपति स्थानांतरण समीक्षा रिपोर्ट

    • वैश्विक संपति स्थानांतरण समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में उच्च निवल संपति वाले व्यक्तियों (High Net Worth Individuals: HNIs) के देश छोड़ने के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2019 में 7,000 एच.एन.आई. ने भारत छोड़ा।
    • ध्यातव्य है कि मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में पलायन में पहले स्थान पर है। 

    लिंग समावेशन कोष

    चर्चा में क्यों?

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में बालिकाओं और ट्रांसजेंडरों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये शिक्षा मंत्रालय का ‘लिंग-समावेशन कोष’ चर्चा का मुद्दा बना हुआ है।

    प्रमुख बिंदु

    • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy- NEP) 2020 में सभी बालिकाओं के साथ-साथ ट्रांसजेंडर समुदायों को समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने तथा राष्ट्र की क्षमता निर्माण के लिये एक ‘लिंग समावेशन कोष’ (Gender Inclusion Fund- GIF) स्थापित करने का प्रावधान है।
    • लड़कियों तथा ट्रांसजेंडर बच्चों के लिये समान एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये ‘समग्र शिक्षा 2.0’ के विशिष्ट प्रावधानों के तहत इन सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिये संसाधन आवंटित किया जा रहा है।
    • शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही तय करने के लिये स्कूल सुरक्षा पर दिशा-निर्देशों विकसित किये हैं और उसे सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को लागू करने के लिये प्रेषित किया है।

    जी-20 ट्रोइका

    चर्चा में क्यों

    हाल ही में, भारत ‘जी-20 ट्रोइका’ में शामिल हुआ। इसके साथ ही भारत ने जी-20 का अध्यक्ष पद संभालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

    प्रमुख बिंदु

    • ‘ट्रोइका’ से तात्पर्य जी-20 के भीतर उस शीर्ष समूह से है, जिसमें जी-20 सम्मलेन की अध्यक्षता करने वाले पिछले (जैसे- इटली), वर्तमान (जैसे- इंडोनेशिया) और आगामी (जैसे- भारत) देश शामिल होते हैं।
    • इंडोनेशिया 1 दिसंबर, 2022 को भारत को जी-20 की अध्यक्षता सौंपेगा और भारत पहली बार वर्ष 2023 में ‘जी-20 लीडर्स समिट’ का आयोजन करेगा।
    • इटली ने इसी वर्ष अक्टूबर में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान के भविष्य के मुद्दे को उठाया था।
    • अगले वर्ष के शिखर सम्मेलन का आयोजन इंडोनेशिया द्वारा ‘रिकवर टुगेदर, रिकवर स्ट्रॉन्गर’ विषय के साथ किया जाएगा।
    • ‘ट्रोइका’ सदस्य के रूप में भारत जी-20 के एजेंडे की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये इंडोनेशिया और इटली के साथ मिलकर कार्य करेगा।

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