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शॉर्ट न्यूज़: 13 अगस्त, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 13 अगस्त, 2022


हिम-ड्रोन-ए-थॉन

लैंग्या वायरस 

एजीएम-88 हार्म मिसाइल 

खय्याम 


हिम-ड्रोन-ए-थॉन

चर्चा में क्यों

भारतीय सेना ने 08 अगस्त, 2022 को भारतीय ड्रोन महासंघ के सहयोग से 'हिम-ड्रोन-ए-थॉन' (HIM- DRONE-A-THON) कार्यक्रम शुरू किया है। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस पहल का उद्देश्य भारतीय ड्रोन परितंत्र को उत्प्रेरित करना और केंद्रित अवसर प्रदान करना है ताकि अग्रिम पंक्ति के सैन्य-दल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अग्रणी ड्रोन क्षमताओं का विकास किया जा सके। 
  • ‘हिम ड्रोन-ए-थॉन' कार्यक्रम पूरे देश में उद्योग, शिक्षा जगत, सॉफ्टवेयर विकासकर्ताओं  और ड्रोन उत्पाद निर्माताओं सहित सभी हितधारकों को जोड़ता है। 
  • इसे मात्रात्मक मापदंडों (जैसे- ऊँचाई, वजन, रेंज, स्थिरता आदि) के साथ चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसे प्रदर्शित क्षमताओं के आधार पर उत्तरोत्तर बढ़ाया जा रहा है। 
  • इसमें उद्योग की प्रतिक्रिया, वास्तविक आवश्यकताओं को समझने के लिये विकास एजेंसियों द्वारा परिचालन स्थानों का दौरा और ड्रोन उत्पादों के वास्तविक संचालन तथा मूल्यांकन का अनुसरण किया गया है। 
  • प्रारंभिक बिंदु के रूप में निम्नलिखित श्रेणियों में विकास शामिल हैं: 
    • अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स/वजन ले जाने वाला ड्रोन। 
    • स्वायत्त निगरानी/खोज एवं बचाव ड्रोन। 
    • निर्मित क्षेत्रों में लड़ने के लिये माइक्रो/नैनो ड्रोन। 

लैंग्या वायरस 

चर्चा में क्यों  

हाल ही में, चीन के दो पूर्वी प्रांतों में कई व्यक्ति जूनोटिक (Zoonotic- पशुओं से मनुष्यों में संचरित होने वाला) प्रकृति के एक नए ‘लैंग्या विषाणु’ से संक्रमित पाए गए। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस नए प्रकार के हेनिपावायरस (Henipavirus) को लैंग्या हेनिपावायरस या ‘LayV’ भी कहा जा रहा है। यह फ़ाइलोजेनेटिक (Phylogenetic- जाति-इतिहास) आधार पर एक अलग प्रकार का हेनिपावायरस है, जो पैरामिक्सोवायरस (Paramyxovirus) परिवार से संबंधित हैं
  • हेनिपावायरस को जैव सुरक्षा स्तर 4 (BSL4) रोगजनकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 
  • ये जानवरों और मनुष्यों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं और मनुष्यों में इससे बचाव के लिये अभी तक कोई मान्यता प्राप्त दवा या टीका उपलब्ध नहीं हैं। 
  • इससे पूर्व ‘हेंड्रा’, ‘निपाह’, ‘सीडर’, ‘मोजिआंग’ और ‘घाना बैट वायरस’ जैसे कुछ हेनिपावायरस की पहचान की गई थी। 
  • इनमें से हेंड्रा और निपाह मनुष्यों को संक्रमित करते हैं और घातक बीमारी का कारण बन सकते हैं। 
  • लैंग्या विषाणु की जीनोम व्यवस्था ‘अन्य हेनिपावायरस के समान’ है और यह ‘मोजियांग हेनिपावायरस’ से निकटता रखता है।

लैंग्या वायरस के लक्षण

  • द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार इससे संक्रमित व्यक्तियों में बुखार, थकान, खाँसी और मितली (Nausea) के लक्षण पाए गए। 
  • इसके अतिरिक्त कुछ संक्रमितों में सिरदर्द एवं उल्टी के साथ-साथ यकृत (Liver) व वृक्क (Kidney) की कार्यप्रणाली में भी समस्या समस्या देखी गई। 
  • साथ ही, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia- प्लेटलेट्स की संख्या में अत्यधिक कमी) और ल्यूकोपेनिया (Leukopenia- श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी) के लक्षण भी कुछ संक्रमितों में पाए गए। 

अन्य बिंदु 

LayV विषाणु आर.एन.ए. (RNA) मुख्यत: छछूंदरों (Shrews) में पाया गया, जो इसके प्राकृतिक वाहक (Hosts) हो सकते हैं। साथ ही, घरेलू पशुओं, बकरियों और कुत्तों में भी सीरो-पॉजिटिविटी (रक्त सीरम में एंटीबॉडी की उपस्थिति) पाई गई। मनुष्य से मनुष्य में संचरण का अभी तक कोई स्पष्ट उदाहरण नहीं मिला हैं।


एजीएम-88 हार्म मिसाइल 

चर्चा में क्यों 

संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूक्रेन को ‘एजीएम-88 हार्म’ (AGM-88 HARM) नामक मिसाइलों की आपूर्ति की है, जिन्हें यूक्रेनी वायु सेना के कुछ लड़ाकू विमानों से दागा जा सकता है।  

प्रमुख बिंदु 

  • ‘एजीएम-88 हार्म’ हवा से सतह पर मार करने वाली एक उच्च-गति की विकिरण रोधी मिसाइल (High-Speed Anti-Radiation Missile : HARM) है। 
  • यह एक सामरिक हथियार है जिसमें शत्रु रडार स्टेशनों द्वारा उत्सर्जित विकिरण का पता लगाने और उसमें प्रवेश करने की क्षमता है।  
  • इस मिसाइल की लंबाई 14 मीटर किंतु व्यास केवल 10 इंच और वजन लगभग 360 किलोग्राम है। इसकी मारक क्षमता 100 किमी से अधिक है। 
  • इसका युद्धशीर्ष (Warhead) विखंडन प्रकार (Fragmentation Type) का है जो रडार लक्ष्यों के लिये अनुकूलित है। 

खय्याम 

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, रूस ने ईरान के उपग्रह ‘खय्याम’ को कक्षा में प्रक्षेपित किया।

प्रमुख बिंदु

  • रूस ने बैकोनूर लॉन्च केंद्र से सोयुज (Soyuz) रॉकेट के माध्यम से इस उपग्रह को प्रक्षेपित किया। रूस के अधीन यह केंद्र कज़ाकिस्तान में स्थित है।  
  • इस उपग्रह का नामकरण 11वीं-12वीं शताब्दी के फारसी वैज्ञानिक उमर खय्याम के नाम पर किया गया है।
  • ईरान के अनुसार उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपग्रह का उपयोग पर्यावरण निगरानी के लिये किया जाएगा और यह पूरी तरह से उसके नियंत्रण में रहेगा।
  • यह उपग्रह ईरान को इज़राइल और मध्य पूर्व के अन्य देशों की निगरानी करने की क्षमता प्रदान करेगा।

वैश्विक चिंताएँ 

  • ईरान के अनुसार इस उपग्रह द्वारा एकत्र की गई जानकारी तक किसी अन्य देश की पहुंच नहीं होगी तथा इसका उपयोग केवल नागरिक उद्देश्यों के लिये किया जाएगा।
  • हालाँकि, यह आरोप लगाया जा रहा है कि रूस द्वारा इसका प्रयोग यूक्रेन की निगरानी करने एवं वहाँ सैन्य कार्रवाई के लिये किया जा सकता है।
  • ईरान द्वारा नागरिक और सैन्य दोनों प्रकार के अंतरिक्ष कार्यक्रम का संचालन किया जाता हैं, अत: अमेरिका को आशंका है कि वह इसका उपयोग अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिये कर सकता है।

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