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शॉर्ट न्यूज़: 16 दिसंबर, 2021

शॉर्ट न्यूज़: 16 दिसंबर, 2021


गैर-सरकारी विधेयक

लेसर फ्लोरिकन (खरमोर)

रूस द्वारा एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण


गैर-सरकारी विधेयक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, राज्यों की राजधानियों में उच्च न्यायालयों की स्थाई पीठ की स्थापना की माँग करते हुए लोकसभा में ‘गैर-सरकारी’ या ‘निजी सदस्य विधेयक’ (Private Member Bill) पेश किया गया।

निजी विधेयक

  • संसद या विधान-मंडल के ऐसे सदस्य जो मंत्रिमंडल में शामिल नहीं है, निजी सदस्य कहलाते हैं। निजी सदस्य व मंत्रिमंडल के सदस्य दोनों कानून-निर्माण प्रक्रिया में भाग लेते है। 
  • निजी सदस्यों द्वारा पेश किये गए विधेयकों को ‘निजी सदस्य विधेयक’ जबकि मंत्रियों द्वारा पेश किये गए विधेयकों को ‘सरकारी विधेयक’ (Government Bill) कहा जाता है।
  • सरकारी विधेयक को किसी भी दिन पेश किया जा सकता है, जबकि निजी सदस्य विधेयक केवल शुक्रवार को पेश किया जा सकता है। 

अन्य बिंदु

केरल, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गोवा, उत्तराखंड, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और छत्तीसगढ़ में उच्च न्यायालय राजधानी शहर से बाहर स्थित है।


लेसर फ्लोरिकन (खरमोर)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, ‘लेसर फ्लोरिकन’ (LESSER FLORICAN) को पहली बार इसके सबसे लंबे प्रवास मार्ग राजस्थान से महाराष्ट्र (अहमदनगर ज़िले) तक ट्रैक किया गया है। इसके लिये टेलीमेट्री अभ्यास किया गया था। 

प्रमुख बिंदु

  • लेसर फ्लोरिकन, बस्टर्ड समूह से संबंधित एक छोटी और पतली पक्षी प्रजाति है, जिसे सिफियोटाइड्स इंडिकस के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 
  • यह लंबे घास के मैदानों में पाई जाती है। इसे स्थानीय भाषा में ‘खरमोर’ कहते है। 
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के अनुसार खरमोर केवल चार राज्यों- राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र में ही पाए जाते हैं।  
  • इस पक्षी को मानसून के दौरान देखा जाता है, जो इसके प्रजनन का समय है। इसके बाद यह गायब हो जाती है।

इसे आई.यू.सी.एन. की लाल सूची में ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ श्रेणी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।


रूस द्वारा एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, रूस ने ‘डायरेक्ट-एसेंट एंटी-सैटेलाइट’ (Direct-Ascent Anti-Satellite: DA-ASAT) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह रूस द्वारा पूर्व में किये गए ‘ए-सैट’ परीक्षण की तुलना में अधिक उन्नत है। 

प्रमुख बिंदु

  • इस परीक्षण में रूस ने वर्ष 1982 में लॉन्च किये गए ‘कॉसमॉस-1408’ नामक एक उपग्रह को ध्वस्त कर दिया।
  • ‘ए-सैट हथियार’ संचार और निगरानी क्षमता को बाधित करके उपग्रहों को उनकी कक्षा में ही नष्ट करने की क्षमता प्रदान करता है।
  • अभी तक केवल भारत, चीन, रूस और अमेरिका ने ही इस क्षमता का प्रदर्शन किया है।

मूल्यांकन 

  • इस परीक्षण से ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में अंतरिक्ष मलबे की समस्या उत्पन्न होने से अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की सुरक्षा और उपग्रहों के लिये खतरा पैदा हो गया है। उपग्रहों के संचालन में बाधा से सामान्य जनजीवन प्रभावित होगा।
  • इससे बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों के लिये भी खतरा पैदा हो गया है। बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण और उपयोग गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिये वर्ष 1967 में ‘बाह्य अंतरिक्ष संधि’ को लागू किया गया था।


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