शॉर्ट न्यूज़: 16 नवंबर , 2021
रूस द्वारा S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की आपूर्ति शुरू
सी.बी.आई. एवं ई.डी. के निदेशकों के कार्यकाल में वृद्धि
कल्पथी रथ महोत्सव (कल्पथी राठोलस्वम)
रूस द्वारा S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की आपूर्ति शुरू
चर्चा में क्यों
भारत सरकार ने अक्तूबर 2018 में रूस के साथ S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की 5 रेजिमेंट के लिये 5.43 अरब डॉलर का समझौता किया था। हाल ही में रूस ने इस प्रणाली की आपूर्ति प्रारंभ कर दी है।
S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली
- S-400 सतह से हवा में मार करने वाली सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है। यह 400 किमी. की सीमा के अंदर विमान, ड्रोन तथा बैलिस्टिक एवं क्रूज़ मिसाइलों सहित सभी प्रकार के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है।
- यह प्रणाली उच्च और निम्न लक्ष्यों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखती है। यह मिसाइलों का एक अभेद्य ग्रिड बनाती है।
- इसकी मारक क्षमता 600 किमी. है तथा यह एक बार में 36 लक्ष्यों को भेद सकती है।
- 40 किमी., 100 किमी., 200 किमी. और 400 किमी. के बीच की रेंज वाली चार अलग-अलग प्रकार की मिसाइलों वाली इस प्रणाली को बहुत कम समय में (5 मिनट के भीतर) तैनात किया जा सकता है।
- यह प्रणाली चीन के पास पहले से ही उपलब्ध है। चीन ने इसे पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात किया है।
काट्सा एक्ट
- ट्रंप प्रशासन ने वर्ष 2017 में काट्सा (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) की शुरुआत की थी। इस अधिनियम के अंतर्गत अमेरिका अपने सहयोगियों को रूस, उत्तर कोरिया एवं ईरान से किसी भी प्रकार की सैन्य सामग्री के लेन-देन को प्रतिबंधित करता है।
- अमेरिका द्वारा इस अधिनियम के अंतर्गत चीन एवं तुर्की पर प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।
- रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिये अमेरिका द्वारा काट्सा (CAATSA) के तहत तुर्की पर प्रतिबंध लगाए हैं।
- इस संबंध में भारत ने स्पष्ट किया है कि इस प्रणाली की खरीद की यह प्रक्रिया अमेरिका द्वारा काट्सा लगाए जाने से बहुत पहले, वर्ष 2016 में गोवा में 17वें भारत-रूस शिखर सम्मलेन के दौरान शुरू हो गई थी।
- बाइडेन प्रशासन ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिये भारत पर प्रतिबंध लगाएगा या नहीं।
सी.बी.आई. एवं ई.डी. के निदेशकों के कार्यकाल में वृद्धि
चर्चा में क्यों
हाल ही में, केंद्र सरकार ने दो अध्यादेश जारी कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) एवं प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशकों के कार्यकाल को 5 वर्ष तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।
नवीन संशोधन
- अध्यादेश के अनुसार, निदेशकों की नियुक्ति दो वर्ष के लिये की जाएगी तथा बाद में इनके कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष के लिये, कुल तीन बार बढ़ाया जा सकेगा। परंतु किसी भी स्थिति में कार्यकाल 5 वर्ष से अधिक नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में इनके निदेशकों का कार्यकाल 2 वर्ष होता है।
- सी.बी.आई. निदेशक के कार्यकाल में परिवर्तन दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 में तथा ई.डी. निदेशक के कार्यकाल में परिवर्तन केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 में संशोधन करके किया गया है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)
- सी.बी.आई. का गठन संथानम आयोग (1962) के सुझाव पर 1 अप्रैल, 1963 को सरकार के एक संकल्प द्वारा किया गया। इसे अपने दायित्वों के लिये शक्तियाँ दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से प्राप्त होती हैं।
- वर्तमान में यह कार्मिक, पेंशन एवं लोक शिकायत मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED)
- प्रवर्तन निदेशालय को वर्ष 1956 में आर्थिक कार्य विभाग के अंतर्गत प्रवर्तन इकाई के रूप में गठित किया गया था। इसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा विनिमय अधिनियम, 1947 के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकना था।
- वर्ष 1957 में इसका नाम प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया। यह आर्थिक कानूनों को लागू करने एवं आर्थिक अपराध पर नियंत्रण के लिये प्रतिबद्ध है।
- वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय को वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग द्वारा प्रशासित किया जाता है। इसके निदेशक आई.आर.एस. अधिकारी होते हैं।
कल्पथी रथ महोत्सव (कल्पथी राठोलस्वम)
चर्चा में क्यों
कोविड महामारी के कारण केरल सरकार ने प्रतिबंधित तरीके से कल्पथी रथ महोत्सव (कल्पथी राठोलस्वम) के आयोजन की अनुमति प्रदान की है। सरकार के इस निर्णय के बाद मंदिर प्रांगण में 100 एवं खुले स्थान पर 200 लोग ही एकत्रित हो सकेंगे।
क्या है
- इस महोत्सव का आयोजन केरल के पलक्कड़ ज़िले के कल्पथी गाँव में स्थित श्री विश्वनाथ स्वामी मंदिर (भगवान् विश्वनाथ/शिव को समर्पित) में किया जाता है। इस मंदिर के देवता भगवान शिव एवं पार्वती हैं।
- यह महोत्सव वैदिक तमिल संस्कृति पर आधारित है। इसका प्रमुख केंद्र विश्वनाथ स्वामी मंदिर है, परंतु इसके साथ ही नए कल्पथी, पुराने कल्पथी एवं छठपुरम गाँव में स्थित मंदिरों में भी इसका आयोजन होता है।
- यह महोत्सव 10 दिनों तक चलता है। यह ध्वजारोहण के साथ प्रारंभ होकर रथसंगम के साथ समाप्त होता है।
- महोत्सव के अंतिम दिनों में सजाए गए रथों को श्रद्धालुओं द्वारा खींचा जाता है। रथोत्सव के पहले दिन एक रथ, दूसरे दिन दो रथ और उत्सव के अंतिम दिन तीन रथ श्रद्धालुओं द्वारा खींचे जाते हैं।
- इस रथयात्रा में भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती तथा पुत्रों; गणेश एवं मुरुगन के साथ बाहर लाए जाते हैं।
अन्य तथ्य
- प्राचीन कथाओं के अनुसार लक्ष्मीम्मल नाम की एक ब्राह्मण विधवा ने बनारस (काशी) से लिंगम लाकर नीला भागीरथी नदी (भारतपुजा नदी) के दक्षिणी तट पर स्थापित किया था।
- इस स्थान पर मंदिर का निर्माण 1425 ई. में पलक्कड़ के राजा इट्टी कोम्बी आचन ने करवाया था। नदी के तट पर स्थित होने तथा मंदिर की सीढ़ियों के कारण यह काशी के विश्वनाथ मंदिर के समान प्रतीत होता है, अतः इसे ‘कसियल पाकुथी कल्पथी’ (आधी काशी) भी कहा जाता है।