शॉर्ट न्यूज़: 17 दिसंबर, 2021
भारत-पोलैंड कानूनी सहायता संधि
लोक-लेखा समिति के 100 वर्ष
भारत-पोलैंड कानूनी सहायता संधि
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत एवं पोलैंड के मध्य आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि को मंजूरी दी।
उद्देश्य
- इस संधि का उद्देश्य पारस्परिक कानूनी सहायता और आपराधिक मामलों में सहयोग के माध्यम से अपराध की जाँच व अभियोजन में दोनों देशों की प्रभावशीलता को बढ़ाना है।
- यह संधि बढ़ते अपराधों, आतंकवाद के वित्तपोषण तथा अन्य साधनों आदि का पता लगाने, उन्हें रोकने व जब्त करने में पोलैंड के साथ द्विपक्षीय सहयोग के लिये व्यापक विधिक ढाँचा प्रदान करेगी।
पोलैंड की भौगोलिक स्थिति
पोलैंड, बाल्टिक सागर से लगा हुआ एक मध्य यूरोपीय देश है। इसकी सीमा उत्तर-पूर्व में लिथुआनिया और रूस (कैलिनिनग्राद ओब्लास्ट), पूर्व में बेलारूस और यूक्रेन, दक्षिण में स्लोवाकिया और चेक गणराज्य तथा पश्चिम में जर्मनी से लगती है।
लोक-लेखा समिति के 100 वर्ष
चर्चा में क्यों
हाल ही में, लोक-लेखा समिति की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हुए।
विकास क्रम
- इस समिति का गठन भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत पहली बार वर्ष 1921 में किया गया और तब से यह अस्तित्व में है।
- प्रतिवर्ष गठित की जाने वाली लोक लेखा समिति में 22 सदस्य होते हैं, जिसमें से 15 सदस्य लोकसभा से तथा 7 राज्यसभा से होते हैं। इन सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
- प्रतिवर्ष संसद अपने सदस्यों में से समानुपातिक प्रतिनिधित्त्व सिद्धांत के आधार एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली के माध्यम से इस समिति के सदस्यों का चुनाव करती है। इस प्रकार, इसमें सभी दलों का प्रतिनिधित्त्व सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है।
- इस समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष करता है। परंपरा के अनुसार, वर्ष 1967 से इस समिति का अध्यक्ष विपक्षी दल से ही चुना जाता है।
- इसका मुख्य कार्य नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की ऑडिट रिपोर्ट को संसद में प्रस्तुत किये जाने के बाद उसकी जाँच करना है।