शॉर्ट न्यूज़ : 18 जनवरी , 2023
नीलकुरिंजी
मंजुविरट्टू
नीलकुरिंजी
- नीलकुरिंजी का वैज्ञानिक नाम, स्ट्रोबिलैन्थेस कुंथियानस है।
- यह एकेंथेसी परिवार की एक झाड़ी है, जो केरल और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट के शोला जंगलों में पाई जाती है।
- पश्चिमी घाट के अलावा, कर्नाटक में बेल्लारी जिले तथा पूर्वी घाट में शेवरॉय पहाड़ियों में भी इसे देखा जा सकता है।
- नीलकुरिंजी का पौधा जीनस स्ट्रोबिलैन्थस, परिवार एकेंथेसी से संबंधित है।
- जीनस की कुल 250 प्रजातियाँ हैं, इनमें से लगभग 46 प्रजातियाँ भारत में पाई जाती है।
- नीलकुरिंजी 1,300-2,400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है, तथा 30 से 60 सेमी की ऊंचाई तक बढ़ता है।
- स्थानीय रूप से इसे कुरिंजी के रूप में जाना जाता है, इसका वर्णन प्राचीन तमिल साहित्य में भी मिलता है।
- इस पौधे का नाम प्रसिद्ध कुंती नदी के नाम पर रखा गया है, जो केरल के साइलेंट वैली नेशनल पार्क से होकर बहती है, जहां यह पौधा बहुतायत से पाया जाता है।
- नीलकुरिंजी के फूल 12 वर्ष में एक बार ही खिलते है।
- नीलगिरि हिल्स (शाब्दिक अर्थ नीले पहाड़) को अपना नाम नीलकुरिंजी के नीले फूलों से ही मिला।
- पलियान जनजाति (तमिलनाडु) अपनी आयु की गणना के लिए, इसका उपयोग संदर्भ के रूप में करती है।
मंजुविरट्टू
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में पोंगल उत्सव के हिस्से के रूप तमिलनाडु के शिवगंगा और पुदुक्कोट्टई में आयोजित दो अलग-अलग मंजुविरट्टू कार्यक्रमों में दो दर्शकों की मौत हो गई।
- सांडों को काबू में करने के खेल में पिछले चार दिनों में चार लोगों की मौत हो चुकी है।
मंजुविरट्टू या जल्लीकट्टू
- मंजुविरट्टू मट्टू पोंगल के एक भाग के रूप में आयोजित एक खेल है। मट्टू पोंगल चार दिवसीय पोंगल त्योहार के तीसरे दिन मनाया जाता है।
- इसे जल्लीकट्टू के नाम से भी जाना जाता है।
- 'जल्लीकट्टू' शब्द 'कैली' (सिक्के) और 'कट्टू' (टाई) से विकसित हुआ है, जो बताता है कि सिक्कों का एक बंडल बैल के सींगों से बंधा हुआ है।
- इसमें सांडों को एक विशाल क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है और प्रतिभागियों को उन्हें वश में करना होता है।
- कुछ जगह पर, करेंसी नोटों को सांड के गले में बांध दिया जाता है जिसे प्रतिभागियों द्वारा निकालना होता है। ज्यादा करेंसी नोट को निकालने वाला विजेता घोषित होता है।
ऐतिहासिक पक्ष
- तमिल साहित्य शिलप्पादिकारम के अनुसार महिलाएँ उन्हीं पुरुषों से विवाह करती थीं जो बैल पर काबू पाते थे।
- उस समय बैल को अपने काबू में करने का यह खेल जीवन-मरण का खेल होता था।
- हालांकि, वर्तमान में जानवरों के साथ बर्बर व्यवहार के चलते यह खेल काफी विवादास्पद हो गया है।
प्रैक्टिस प्रश्न
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
- जल्लीकट्टू मट्टू पोंगल के भाग के रूप में आयोजित एक खेल है।
- जल्लीकट्टू के संदर्भ शिलप्पादिकारम में मिलते हैं।
सही का चयन करें।
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2