New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

शॉर्ट न्यूज़: 21 दिसंबर, 2021

शॉर्ट न्यूज़: 21 दिसंबर, 2021


कृषि-फोटो वोल्टिक तकनीक का उपयोग

यौन कर्मियों को पहचान पत्र

जामिया मिलिया इस्लामिया को ए++ ग्रेड

नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड का बढ़ता स्तर

अपार्ट परियोजना 

पोर्टेबल मृदा परीक्षण उपकरण : भू-परीक्षक


कृषि-फोटो वोल्टिक तकनीक का उपयोग

चर्चा में क्यों?

सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के क्रम में कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे ने ‘कृषि-फोटो वोल्टिक’ तकनीक के क्षेत्र विस्तार का निर्णय लिया है।

कृषि-फोटो वोल्टिक (एग्री-पी.वी.) तकनीक

  • कृषि-फोटो वोल्टिक तकनीक को ‘कृषि-वोल्टाइक’ के रूप में भी जाना जाता है। इसमें फ़सल और ऊर्जा का उत्पादन एक साथ किया जाता है। इसे किसी भूमि पर एक ही समय में सौर पैनलों और फसलों की मिश्रित प्रणाली के रूप में संदर्भित किया जाता है।
  • सौर फोटो वोल्टिक पैनलों की सफाई में प्रयुक्त पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई में करते है। 

लाभ

  • इससे एक ही समय में भूमि का उपयोग कृषि और सौर ऊर्जा उत्पादन दोनों के लिये किया जाता है।
  • फसलों के माध्यम से फोटो-वोल्टिक मॉड्यूल के तापमान को कम करके सूक्ष्म जलवायु में संशोधन से विद्युत उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
  • इससे मृदा क्षरण की जाँच व खरपतवार की वृद्धि को कम किया जा सकता है।

यौन कर्मियों को पहचान पत्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन ‘दरबार महिला समन्वय समिति’ की याचिका पर सुनवाई के दौरान यौन कर्मियों को सभी आवश्यक पहचान पत्र जारी करने का निर्देश दिया। 

मुख्य बिंदु 

  • न्यायालय ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, केंद्रशासित प्रदेश व अन्य विभिन्न प्राधिकरणों को यौन कर्मियों के लिये राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड जैसे आवश्यक पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ करने का निर्देश दिया।
  • इसके लिये न्यायालय ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नैको) के डाटा का प्रयोग करने के सुझाव के साथ-साथ यौन कर्मियों के नाम व पहचान को गोपनीय रखने का भी निर्देश दिया। 

कारण

  • मूल अधिकार प्रत्येक नागरिक के लिये है, चाहे उसका पेशा कुछ भी हो और उसे सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना चाहिये।
  • भोजन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है अत: पहचान पत्र के बगैर यौन कर्मियों को राशन वितरण जारी रखने का भी निर्देश दिया गया है।

जामिया मिलिया इस्लामिया को ए++ ग्रेड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद’ ने ‘ए++’ ग्रेड दिया है।

मुख्य बिंदु

  • विश्वविद्यालय को प्रदान की गई ग्रेडिंग ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ द्वारा इसको आवंटित धन और अनुदान के लिये महत्वपूर्ण है।
  • जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना अक्टूबर 1920 को अलीगढ़ में हुई थी, जिसे वर्ष 1925 में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • वर्ष 1988 में भारतीय संसद ने एक अधिनियम के माध्यम से इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्ज़ा दे दिया।

नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड का बढ़ता स्तर

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड (NO2) का वार्षिक औसत स्तर निर्धारित सीमा से अधिक बना हुआ है।

नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड की अनुमन्य सीमा

  • नाइट्रोजन डाईऑक्साइड अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है। यह उच्च तापमान पर ईंधन के दहन से निर्मित होती है, अत: ऑटोमोबाइल, ट्रक, निर्माण उपकरण और नौकाएँ इसके उत्सर्जन के लिये उत्तरदायी हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड की वार्षिक औसत सीमा 25 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तय की है जबकि सी.पी.सी.बी. ने यह सीमा 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर निर्धारित की है।

हानियाँ

  • नाइट्रोजन ऑक्साइड, फोटोकेमिकल स्मॉग और अम्लीय वर्षा के प्राथमिक कारणों में से एक है।
  • इससे जलन और श्वसन प्रणाली से संबंधित समस्याएँ (जैसे- अस्थमा, खाँसी, फेफड़ों का संक्रमण आदि) पैदा हो सकतीं हैं।
  • ट्रोपोस्फेरिक या ‘ग्राउंड लेवल ओज़ोन’ के निर्माण के लिये ‘नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स’ एक केंद्रीय घटक है।

अपार्ट परियोजना 

चर्चा में क्यों?

कृषि क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्र को समर्थन प्रदान करने के लिये असम सरकार ने ‘आपार्ट’ नामक एक नई पहल प्रारंभ की है। 

अपार्ट परियोजना 

  • अपार्ट का पूरा नाम ‘असम कृषि व्यवसाय एवं ग्रामीण परिवर्तन परियोजना’ (Assam Agribusiness and Rural Transformation Project: APART) है। 
  • इसके अंतर्गत ‘असम एग्रीफिन ज़महार’ (Assam AgriFin Xamahar) फंड की स्थापना की गई है। विश्व बैंक इस परियोजना का वित्तपोषण कर रहा है।

मुख्य बिंदु

  • अनुदान राशि नवाचारों के परीक्षण व उन्नयन के लिये प्रदान की जाएगी।
  • ज़महार फंड राज्य में कृषि व्यवसाय क्षेत्र को बड़े पैमाने पर वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने के लिये नवीन दृष्टिकोणों के समर्थन में मदद करेगा। 

पोर्टेबल मृदा परीक्षण उपकरण : भू-परीक्षक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, आई.आई.टी. कानपुर ने एक पोर्टेबल मृदा परीक्षण उपकरण विकसित किया है। 

मुख्य बिंदु

  • इस उपकरण का नाम ‘भू-परीक्षक’ है, जो एक एंबेडेड मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से मात्र 90 सेकंड में मृदा गुणवत्ता का परीक्षण करने में सक्षम है। इसमें नमूने के रूप में मात्र पाँच ग्राम मृदा की आवश्यकता होती है।
  • यह मृदा में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, कार्बनिक पदार्थ और अन्य खनिजों के स्तर का पता लगा सकता है।

अन्य लाभ 

  • यह ‘नियर इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ तकनीक पर आधारित है जो कई स्थानीय भाषाओं में स्मार्टफोन पर रीयल-टाइम मृदा विश्लेषण रिपोर्ट प्रदान करता है।
  • यह उपकरण उर्वरकों के अनुशंसित उपयोग के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य मानकों को प्राप्त करने में सहायक होगा। इस उपकरण में 1 लाख मृदा परीक्षण नमूनों के परीक्षण की क्षमता है।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR