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शॉर्ट न्यूज़: 27 जनवरी, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 27 जनवरी, 2022


भारत को प्रस्तुत करती बीटिंग द रिट्रीट की धुनें

यू.जी.सी.एफ.-2022

कुकी-चिन समुदाय


भारत को प्रस्तुत करती बीटिंग द रिट्रीट की धुनें

चर्चा में क्यों?

इस वर्ष ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह से 'अबाइड विद मी' (Abide With Me) गीत की धुन को हटा दिया गया है। सरकार का मानना है कि आज़ादी के 75वें वर्ष में भारतीय धुनों को बजाना अधिक उपयुक्त है। विदित है कि वर्ष 1950 से यह धुन बीटिंग द रिट्रीट समारोह का हिस्सा थी।

अबाइड विद मी 

  • यह ईसाई धर्म का एक प्रार्थना गीत है, जिसकी रचना स्कॉटिश कवि हेनरी फ्रांसिस लाइट ने वर्ष 1847 में की थी। इस धुन का बजना भारत की पंथनिरपेक्षता का द्योतक है।
  • यह महात्मा गांधी के पसंदीदा भजनों में से एक थी। महात्मा गांधी के अनुसार, ‘अबाइड विद मी’ स्वतंत्रता संग्राम के निराशाजनक वर्षों में साहस और शक्ति प्रदान करती थी।
  • वस्तुतः यह भजन केवल धार्मिक विश्वास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी मानवतावादी अपील सार्वभौमिक है। 

‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह

  • इसका आयोजन प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड के पश्चात् 29 जनवरी को नई दिल्ली के विजय चौक पर होता है। 
  • इस वर्ष के आयोजन में ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’, ‘हिंद की सेना’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुनों के साथ कुल 26 धुनें बजाई जाएँगी।  
  • इस वर्ष के समारोह का समापन ‘सारे जहाँ से अच्छा’ की धुन के साथ होगा। 

यू.जी.सी.एफ.-2022

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, दिल्ली विश्वविद्यालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप वर्ष 2022 के लिये स्नातक पाठ्यचर्या की रूपरेखा (UGCF-2022) का मसौदा जारी किया। 

यू.जी.सी.एफ. का उद्देश्य 

  • शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक दोनों क्षेत्रों में शिक्षार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिये स्नातक कार्यक्रम को एन.ई.पी. के साथ संरेखित करना। 
  • छात्रों को अधिगम (Learning) और कार्यक्रमों को चुनने के लिये लचीलापन प्रदान करना।
  • एन.ई.पी. की दो सबसे चर्चित विशेषताओं, यथा- बहुविषयक (Multi-Discipline) और प्रत्येक वर्ष के अंत में एक भिन्न डिग्री के साथ पाठ्यक्रम छोड़ने की स्वतंत्रता को शामिल करना।
  • विदित है कि विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम वर्ष 2022-23 से चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफ.वाई.यू.पी.) लागू करने का प्रावधान किया है।

आलोचना 

  • नए मसौदे से शिक्षण घंटों में कमी आने की आशंका। 
  • कार्यभार प्रभावित होने से तदर्थ और अतिथि शिक्षकों के रोज़गार पर संकट क्योंकि इनकी नियुक्ति कार्यभार के आधार पर की जाती है।


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