शॉर्ट न्यूज़: 28 जनवरी, 2022
सेला सुरंग परियोजना
सोलर रूफटॉप योजना
जिला सुशासन सूचकांक
सेला सुरंग परियोजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, एक ई-समारोह के माध्यम से 980 मीटर लंबी सेला सुरंग के लिये अंतिम विस्फोट किया गया।
मुख्य बिंदु
- यह सुरंग अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित है, जो तवांग घाटी के लिये हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इसका निर्माण सीमा सड़क संगठन (बी.आर.ओ.) द्वारा किया जा रहा है।
- बालीपारा-चारदुआर-तवांग (बी.सी.टी.) सड़क पर स्थित सेला दर्रा 13,800 फीट की ऊँचाई पर है, जो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और तवांग जिलों को देश के शेष हिस्सों से जोड़ता है। यह 13,000 फीट से अधिक ऊँचाई पर निर्मित सबसे लंबी सुरंगों में से एक होगी।
- उल्लेखनीय है कि 10,000 फीट की ऊँचाई पर दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग- ‘अटल सुरंग, रोहतांग’ और पूर्वी लद्दाख में 19,300 फीट पर दुनिया के सबसे ऊँचे मोटरेबल सड़क (उमलिंगला दर्रा) का निर्माण बी.आर.ओ. ने किया है।
सोलर रूफटॉप योजना
चर्चा में क्यों?
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है की ग्रिड से जुड़ी घर की छत पर सौर संयंत्र (रूफटॉप सोलर) योजना के तहत सोलर पैनल स्थापित करने के लिये लाभार्थी किसी भी विक्रेता से रूफ टॉप लगवा सकते है, न कि केवल सूचीबद्ध विक्रेताओं से।
मुख्य बिंदु
- इस योजना के तहत रूफ टॉप पहले केवल सूचीबद्ध विक्रेताओं से ही लगवाया जा सकता था। अत: यह कदम इस योजना के वितरण को सरल बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- वर्तमान में इस योजना के चरण-II का कार्यान्वयन ‘ग्रिड-कनेक्टेड रूफटॉप सोलर स्कीम’ के रूप में किया जा रहा है। इसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक रूफटॉप सोलर परियोजनाओं के माध्यम से 40,000 मेगावाट की संचयी क्षमता प्राप्त करना है। यह योजना राज्यों में विद्युत् वितरण कंपनियों (DISCOMs) द्वारा लागू की जा रही है।
- इस योजना के तहत 3 किलोवाट के लिये 40% सब्सिडी और 3 किलोवाट से अधिक तथा 10 किलोवाट तक की सौर पैनल क्षमता के लिये 20% सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
कार्यक्रम का उद्देश्य
- जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन पर निर्भरता को कम करना और पर्यावरण अनुकूल सौर विद्युत् उत्पादन को प्रोत्साहित करना।
- निजी क्षेत्र, राज्य सरकार और व्यक्तियों द्वारा सौर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिये एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना।
- छत के साथ-साथ छोटे संयंत्रों से ग्रिड तक सौर ऊर्जा की आपूर्ति को आसान बनाना।
- आवासीय, सामुदायिक, संस्थागत, औद्योगिक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में विद्युत् उत्पादन संयंत्रों को बढ़ावा देना।
- अभी तक ग्रिड से नहीं जुड़े हुए क्षेत्रों में विद्युत् क्षमता प्रदान करना।
जिला सुशासन सूचकांक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री ने भारत का पहला ‘जिला सुशासन सूचकांक’ जारी किया।
मुख्य बिंदु
- यह सूचकांक जम्मू और कश्मीर के 20 जिलों के लिये जारी किया गया। सुशासन सूचकांक वाला यह देश का पहला केंद्र शासित प्रदेश है।
- इस सूचकांक को जम्मू और कश्मीर सरकार की सहभागिता में प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग ने तैयार किया है। जिला सुशासन सूचकांक जम्मू और कश्मीर के सभी ज़िलों के प्रदर्शन के साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन के लिये एक मजबूत ढाँचा प्रदान करेगा।
- यह जिला स्तर पर शासन के मानदण्ड में प्रमुख प्रशासनिक सुधार और राज्य व जिला स्तर पर आँकड़ों के समय पर मिलान एवं प्रकाशन के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- यह भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये जिला स्तर पर शासन के समान मानदंड के लिये एक रोडमैप प्रदान करता है।
रैंकिंग
- समग्र रैंकिंग में जम्मू जिला प्रथम स्थान पर है, जबकि जम्मू संभाग का डोडा और सांबा जिला क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
- श्रीनगर पाँचवें स्थान पर है, जबकि राजौरी जिला अंतिम स्थान पर है।