शॉर्ट न्यूज़: 3 जनवरी, 2022
विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति
ताई-खामती विद्रोह
रेलवे स्टेशनों के नाम परिवर्तन की प्रक्रिया
न्यू डेवेलपमेंट बैंक का नया सदस्य
संकल्प स्मारक
विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति
चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर महाराष्ट्र सरकार तथा वहाँ के राज्यपाल के मध्य विवाद उत्पन्न हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- नवीनतम संशोधनों के अनुसार सरकार अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान की बजाय ध्वनि मत के माध्यम से करना चाहती है, जबकि राज्यपाल ने इस फैसले की संवैधानिकता पर सवाल खड़े किये हैं।
- वर्ष 2019 में तत्कालीन महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद से ही यह पद रिक्त है।
- पिछले सप्ताह महाराष्ट्र सरकार द्वारा विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया गया जिसमें नियम 6 (विधानसभा अध्यक्ष) तथा नियम 7 (विधानसभा उपाध्यक्ष) में गुप्त मतदान के स्थान पर ध्वनि मत की मांग की गई।
- इस संशोधन में ‘चुनाव’ के स्थान पर ‘मुख्यमंत्री की सिफ़ारिश पर अध्यक्ष का चुनाव करने के लिये’ शब्द शामिल किये गए।
- महाराष्ट्र विधानसभा नियम 6 के अनुसार “ राज्यपाल चुनाव कराने के लिये एक तिथि निर्धारित करेगा तथा सचिव प्रत्येक सदस्य को इस तिथि के बारे में सूचित करेगा।
- अनुच्छेद 178 के अनुसार, प्रत्येक राज्य की विधानसभा, जल्द से जल्द अपने दो सदस्यों को अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी। इसमें चुनाव की ‘प्रक्रिया’ से संबंधित किसी प्रावधान का उल्लेख नहीं किया गया है।
ताई-खामती विद्रोह
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री ने ताई-खामती विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष घोषित करने की मांग की है। साथ ही, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में अरुणाचल प्रदेश की अन्य जनजातियों के योगदान को भी एन.सी.ई.आर.टी. पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है।
प्रमुख बिंदु
- ताई-खामती विद्रोह वर्ष 1839 में ब्रिटिश सेना के उपनिवेशीकरण के विरुद्ध अरुणाचल प्रदेश की ताई-खामती जनजाति द्वारा किया गया था।
- इस विद्रोह के दौरान विद्रोहियों ने कर्नल एडम व्हाइट सहित लगभग 80 ब्रिटिश सैनिकों को मार गिराया था।
- हालाँकि, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में अभी तक इस जनजाति के योगदान को उपयुक्त स्थान नहीं मिल सका है।
- वर्तमान में ताई-खामती जनजाति की जनसंख्या लगभग एक लाख है जो मुख्यतः अरुणाचल प्रदेश व असम में निवास करती है।
- ये जनजाति बौद्ध धर्म के हीनयान (थेरवाद) शाखा में आस्था रखती है।
रेलवे स्टेशनों के नाम परिवर्तन की प्रक्रिया
चर्चा में क्यों
हाल ही में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने झाँसी रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तित कर ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन’ करने की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- रेलवे स्टेशनों का नाम परिवर्तित करने हेतु सर्वप्रथम संबधित राज्य सरकार (जिस राज्य में स्टेशन स्थित होते हैं) द्वारा गृह मंत्रालय के पास इससे संबंधित प्रस्ताव भेजा जाता है।
- गृह मंत्रालय , रेल मंत्रालय, भारतीय सर्वेक्षण विभाग तथा डाक विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (No Objection Certificate) मिलने के पश्चात् किसी भी स्टेशन का नाम परिवर्तित करने की सहमति प्रदान करता है।
- उपरोक्त विभाग इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनके रिकॉर्ड में प्रस्तावित नाम के समान नाम वाला कोई कस्बा या गाँव नहीं है।
- मंत्रालय से नाम परिवर्तन की मंज़ूरी मिलने के पश्चात् एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से रेल मंत्रालय द्वारा संबंधित स्टेशन के नाम व कोड को परिवर्तित कर दिया जाता है।
न्यू डेवेलपमेंट बैंक का नया सदस्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, मिस्र न्यू डेवलेपमेंट बैंक (New Development Bank - NDB) में नए सदस्य के रूप में शामिल हुआ है। यह ब्रिक्स देशों के पश्चात् इसमें शामिल होने वाला चौथा सदस्य है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2021 में एन.डी.बी. के बोर्ड की बैठक में इसकी सदस्यता के विस्तार का निर्णय लिया गया।
- इसी वर्ष सितंबर में बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) तथा उरुग्वे को एन.डी.बी. के सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
- एन.डी.बी. की स्थापना ब्रिक्स देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) द्वारा वर्ष 2014 में फ़ोर्टालेजा घोषणा के माध्यम से की गई थी।
- इसका मुख्यालय शंघाई में है। अफ्रीका महाद्वीप हेतु इसका क्षेत्रीय मुख्यालय दक्षिण अफ्रीका में स्थापित किया गया है।
- एन.डी.बी. की प्रारंभिक अधिकृत पूंजी 100 अरब अमेरिकी डॉलर है। इसकी आरंभिक अभिदान (Subscribed) पूंजी 50 अरब अमेरिकी डॉलर है, जो संस्थापक सदस्यों के मध्य सामान रूप से साझा की गई है।
- इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिक्स एवं अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचे और सतत् विकास परियोजनाओं का वित्तपोषण करना है।
संकल्प स्मारक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, अंडमान एवं निकोबार कमांड के कमांडर-इन-चीफ़ द्वारा राष्ट्र को ‘संकल्प स्मारक’ समर्पित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह स्मारक स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंडमान द्वीप पर आगमन की ऐतिहासिक घटना को रेखांकित करता है।
- गौरतलब है कि 16 जनवरी, 1943 को नेताजी कोलकाता से ब्रिटिश निगरानी से बच निकले तथा लगभग 3 वर्ष बाद भारतीय भूमि पर वापस पहुँचे।
- 30 दिसंबर, 1943 को नेताजी ने पोर्ट-ब्लेयर पहुँचकर पहली बार भारतीय भूमि पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
- आजाद हिंद फौज की अंतरिम सरकार के प्रमुख और भारतीय राष्ट्रीय सेना (Indian National Army- INA) के सर्वोच्च कमांडर के रूप में नेताजी ने इस द्वीप की यात्रा कर अपने उस वादे की प्रतीकात्मक पूर्ति को चिह्नित किया कि आई.एन.ए. की सेना वर्ष 1943 के अंत तक भारतीय भूमि पर खड़ी होगी।
- नेताजी की इस ऐतिहासिक यात्रा ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ‘भारत का पहला मुक्त क्षेत्र’ घोषित किया।