‘संस्कृति IAS’ के पास सबसे बड़ी पूंजी श्रेष्ठ अध्यापकों की है। संस्थान के सभी शिक्षक विगत एक दशक से अधिक समय से सफलतापूर्वक सिविल सेवा परीक्षार्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं और निर्विवाद रूप से अपने-अपने विषय के अध्यापन के लिये देशभर के सिविल सेवा अभ्यर्थियों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय एवं भरोसेमंद हैं।
सभी अध्यापकों का संक्षिप्त परिचय एवं उनकी उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:
विगत डेढ़ दशक से सिविल सेवा अभ्यर्थियों के बीच वैकल्पिक विषय 'इतिहास' और सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में सम्मिलित इतिहास के विभिन्न खंडों के अध्यापन के लिये देशभर में सर्वाधिक लोकप्रिय एवं भरोसेमंद नाम हैं- श्री अखिल मूर्ति।
तथ्यों की अधिकता की वजह से, विशेषकर गैर-मानविकी पृष्ठभूमि वाले सिविल सेवा अभ्यर्थियों के लिये वैकल्पिक विषय और सामान्य अध्ययन के एक खंड के रूप में इतिहास प्रायः उपेक्षित एवं अरुचिकर विषय रहा है, परंतु इतिहास के प्रति अरुचि रखने वाला कोई विद्यार्थी यदि श्री अखिल मूर्ति की दो कक्षाएँ भी कर ले तो इस बात पर पूर्ण विश्वास है कि इतिहास के प्रति उसकी अरुचि संबंधी सभी धारणाएँ निर्मूल साबित हो जाएंगी।
इतिहास विषय के लिये सिविल सेवा परीक्षार्थियों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय एवं विश्वसनीय मार्गदर्शक के रूप में स्थापित श्री अखिल मूर्ति, विगत दो दशकों से सिविल सेवा अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। अपनी सहज हास्य-विनोद वाली अध्यापन शैली के माध्यम से श्री अखिल मूर्ति, इतिहास और कला-संस्कृति जैसे जटिल पाठ्यक्रम वाले विषयों को भी विद्यार्थियों के लिये अत्यंत सहज बना देते हैं।
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिये, हिंदी माध्यम में अन्य विषयों की तरह इतिहास में भी स्तरीय एवं परीक्षोपयोगी पाठ्य पुस्तकों की कमी को दूर करने के लिये श्री अखिल मूर्ति ने भारतीय इतिहास (प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा) एवं विश्व इतिहास से संबंधित कई पुस्तकों का लेखन कार्य भी किया है। विश्व इतिहास और आधुनिक भारत पर लिखी उनकी पुस्तकें आज सिविल सेवा परीक्षा एवं विभिन्न राज्यों की पी.सी.एस. परीक्षाओं की तैयारी के लिये सर्वाधिक भरोसेमंद स्रोत के रूप में पढ़ी जाती हैं।
विगत दो दशकों से सिविल सेवा अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन कर रहे श्री अमित कुमार सिंह वैकल्पिक विषय 'दर्शनशास्त्र' और सामान्य अध्ययन में चतुर्थ प्रश्नपत्र यानी 'एथिक्स' खंड के लिये सर्वाधिक भरोसेमंद शिक्षक हैं।
सिविल सेवा अभ्यर्थियों के बीच उनके भरोसे और लोकप्रियता का सबसे बड़ा उदाहरण है कि विभिन्न कोचिंग संस्थानों से तैयारी करने वाले सैकड़ों उम्मीदवार प्रतिवर्ष 'एथिक्स' खंड के लिये श्री अमित कुमार सिंह की क्लास करते हैं। सिविल सेवा परीक्षा 2018 में 13वीं रैंक पर चयनित वर्णित नेगी और हिंदी माध्यम के टॉपर रवि कुमार सिहाग सहित कुल 42 सफल उम्मीदवार उनकी एथिक्स की कक्षा के विद्यार्थी रहे हैं।
श्री अमित कुमार सिंह हिंदी एवं अंग्रेज़ी दोनों ही माध्यमों के उम्मीदवारों का मार्गदर्शन करते हैं। विगत 6 वर्षों में 300 से अधिक सफल उम्मीदवार उनकी एथिक्स की कक्षा के विद्यार्थी रहे हैं।
श्री अमित कुमार सिंह ने स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की, इसके पश्चात आगे की पढ़ाई उन्होंने देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान 'जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय' और 'दिल्ली विश्वविद्यालय' से की। नीतिशास्त्र सम्बंधी विषय में एमफिल शोध करने वाले श्री अमित कुमार सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 2 प्रतिष्ठित महाविद्यालयों में लगभग 3 वर्ष तक दर्शनशास्त्र एवं एथिक्स का अध्यापन भी किया है।
सहज, व्यावहारिक और बोधगम्य अध्यापन शैली की वजह से श्री ए.के. अरुण ने अपने एक दशक के अध्यापन काल में ही सिविल सेवा अभ्यर्थियों के बीच ऐसी पहचान बनाई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और श्री ए.के. अरुण एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। अर्थव्यवस्था की तकनीकी अवधारणाओं को रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की सामान्य घटनाओं के साथ जोड़कर पढ़ाने की वजह से विद्यार्थी अर्थशास्त्र एवं अर्थव्यवस्था की जटिलतम अवधारणाओं एवं सिद्धांतों को भी बहुत ही सहज ढंग से समझ लेते हैं।
सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में मानविकी और गैर-मानविकी दोनों तरह की अकादमिक पृष्ठभूमि से सम्बंधित अधिकांश विद्यार्थियों के लिये अर्थव्यवस्था सर्वाधिक जटिल विषय रहा है। परंतु इसे श्री ए.के. अरुण की अध्यापन शैली का कमाल ही कहेंगे कि एक बार उनकी क्लास कर लेने के बाद किसी भी सामान्य समझ वाले विद्यार्थी के लिये अर्थव्यवस्था जैसा जटिल विषय भी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का सामान्य घटनाक्रम बन जाता है। व्यावहारिक संदर्भ में समझें तो वैसे भी अर्थव्यवस्था हमारी सामान्य ज़िंदगी को आर्थिक संदर्भ में विश्लेषित करने या समझाने वाला विषय है। श्री ए.के. अरुण की क्लास कर लेने के बाद अर्थव्यवस्था किसी भी विद्यार्थी के लिये एक सहज बोध वाला सामान्य विषय बन जाता है।
अगर आप विगत 5-6 वर्षों के प्रश्नपत्रों को श्री ए.के. अरुण के क्लासनोट्स से मिलाकर देखें तो प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में अर्थव्यवस्था खंड से सम्बंधित शायद ही कोई प्रश्न होगा जो उनके क्लासनोट्स से प्रत्यक्ष रूप से सम्बंधित न हो। इसी बात से आप उनकी कक्षा की उपयोगिता को समझ सकते हैं।
सीबीपी श्रीवास्तव 'राजव्यवस्था' के एक ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ और नई दिल्ली स्थित 'सेंटर फ़ॉर अप्लाइड रिसर्च इन गवर्नेंस' (CARG) के संस्थापक अध्यक्ष हैं। विगत 25 वर्षों से वह सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य अध्ययन की तैयारी हेतु अभ्यर्थियों का सफल मार्गदर्शन करते आ रहे हैं।
सीबीपी श्रीवास्तव को संवैधानिक और शासन सम्बंधी विषयों पर नई दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई, हांगकांग, बैंकॉक, पेरिस तथा ह्यूस्टन में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता तथा रिसर्च पेपर प्रस्तुत करने का भी अनुभव प्राप्त है।इनके लेख cbpsrivastava.com पर नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं।
विगत दो दशकों से सिविल सेवा अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन कर रहे 'श्री कुमार गौरव' आज वैकल्पिक विषय भूगोल के साथ-साथ सामान्य अध्ययन में भारत एवं विश्व के भूगोल, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी और आपदा प्रबंधन खंडों के अध्यापन के लिये विद्यार्थियों की पहली पसंद हैं।
श्री कुमार गौरव की अकादमिक पृष्टभूमि भूगोल और विज्ञान की रही है। भूगोल जैसे जटिल एवं तकनीकी अवधारणाओं वाले विषय को आम जीवन की सामान्य घटनाओं के साथ जोड़कर पढ़ाने और विषयवस्तु को पूर्णतः अद्यतन बनाए रखने के चलते श्री कुमार गौरव आज सिविल सेवा अभ्यर्थियों के बीच भूगोल के लिये सर्वाधिक लोकप्रिय एवं भरोसेमंद शिक्षक हैं।
श्री कुमार गौरव ने सिविल सेवा परीक्षा के लिये अपने अध्यापन जीवन की शुरुआत अंग्रेज़ी माध्यम के अभ्यर्थियों के अध्यापन से की थी। इस दौरान एक छोटी समयावधि में ही वह 'भूगोल' वैकल्पिक विषय और सामान्य अध्ययन में भूगोल खंड के लिये एक लोकप्रिय एवं भरोसेमंद शिक्षक बन गए। अंग्रेज़ी माध्यम में सिविल सेवा अभ्यर्थियों के बीच बढ़ती लोकप्रियता के चलते हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के बीच उनकी मांग बढ़ने लगी, फलस्वरूप उन्होंने अंग्रेज़ी माध्यम के साथ-साथ हिंदी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन शुरू कर दिया। कुछ ही वर्षों में वह हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के बीच भूगोल के अध्यापन के पर्याय बन गए। अगले एक-दो वर्षों में हिंदी माध्यम में अध्यापन कार्य की गहन संलग्नता के चलते उनके लिये दोनों माध्यमों के अध्यापन पर एकसमान ध्यान देना कठिन हो रहा था। अतः उन्होंने अपना पूरा समय हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के मार्गदर्शन को समर्पित कर दिया।
सिविल सेवा परीक्षार्थियों के बीच अत्यंत विश्वसनीय और लोकप्रिय होने की मूल वजह उनकी विशिष्ट अध्यापन शैली है। श्री कुमार गौरव अपने अध्यापन में मानचित्रों, आरेखों के साथ प्रोजेक्टर को काफी महत्त्व देते हैं। इसी कारण भूगोल की जटिलतम अवधारणाएँ विद्यार्थियों को सहजता से समझ आने के साथ-साथ याद हो जाती हैं।
हिंदी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने में एक बड़ी चुनौती गुणवत्तापूर्ण एवं मौलिक अध्ययन-सामग्री की उपलब्धता की रही है। इस समस्या को समझते हुए श्री कुमार गौरव ने वैकल्पिक विषय 'भूगोल' और सामान्य अध्ययन के भूगोल खंड के अध्ययन एवं तैयारी हेतु कई स्तरीय पुस्तकें और सार-संग्रह (Gist) तैयार किये हैं।
विगत दो दशकों में श्री कुमार गौरव के मार्गदर्शन में सौ से अधिक उम्मीदवार विभिन्न प्रतिष्ठित सेवाओं पर चयनित होकर देश की सेवा कर रहे हैं।
श्री राजेश मिश्रा विगत दो दशकों से सिविल सेवा अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। राजनीति विज्ञान वैकल्पिक विषय के अध्यापन के लिये वे हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों के बीच समान रूप से लोकप्रिय एवं विश्वस्त अध्यापक हैं। सामान्य अध्ययन में भारतीय राजव्यवस्था एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के अध्यापन के लिये विगत डेढ़ दशक से श्री राजेश मिश्रा सिविल सेवा अभ्यर्थियों की पहली पसंद रहे हैं।
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिये इन्होंने 3 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का लेखन भी किया है:
1: राजनीति विज्ञान: एक समग्र अध्ययन
2: भारतीय राजव्यवस्था
3: भारतीय विदेश नीति
विगत डेढ़ दशक से अधिक समय से सिविल सेवा परीक्षार्थियों का मार्गदर्शन कर रहे श्री रीतेश आर. जायसवाल तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एक-दूसरे के पर्याय हैं।
सर्वविदित है कि सिविल सेवा परीक्षा में, सामान्य विज्ञान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी खंड की तैयारी के लिये हिंदी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण एवं परीक्षोपयोगी अध्ययन सामग्री का पूर्णतः अभाव है।
यद्यपि श्री रीतेश आर. जायसवाल ने सिविल सेवा परीक्षा के लिये अध्यापन की शुरुआत पूर्णतः अंग्रेज़ी माध्यम के शिक्षक के रूप में की थी, लेकिन हिंदी माध्यम में विज्ञान और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के अध्यापन और उपलब्ध अध्ययन सामग्री की दयनीय स्थिति से निपटने के उद्देश्य से उन्होंने हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन का रुख किया और अगले 3-4 वर्षों की अल्प अवधि में ही देशभर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के शीर्ष शिक्षक के रूप में स्थापित हो गए।
श्री रीतेश आर. जायसवाल न सिर्फ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के शिक्षक हैं, बल्कि उनकी एप्रोच भी पूरी तरह से वैज्ञानिक है। सिविल सेवा अभ्यर्थियों के साथ-साथ सामान्य विद्यार्थियों में वैज्ञानिक जागरूकता के प्रसार हेतु श्री रीतेश आर. जायसवाल विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे तकनीकी विकासों को समझाते हैं।
मानविकी पृष्ठभूमि वाले विद्यार्थियों के लिये विज्ञान प्रायः अरुचिकर एवं बोझिल विषय रहा है, परंतु कोई भी विद्यार्थी अगर एक बार श्री रीतेश आर. जायसवाल की कक्षा में बैठ जाए तो विज्ञान के प्रति उसके मन-मस्तिष्क में बैठा डर एक भ्रम मात्र बनकर रह जाता है।
श्री रीतेश आर. जायसवाल की क्लास किये हुए, सिविल सेवा परीक्षा में चयनित, मानविकी पृष्ठभूमि वाले सैकड़ों उम्मीदवार अपने विभिन्न साक्षात्कारों में उनकी कक्षा की उपयोगिता की प्रशंसा कर चुके हैं। इसी का परिणाम है कि सामान्य विज्ञान और विज्ञान-प्रौद्योगिकी खंड के अध्यापन हेतु आज श्री रीतेश आर. जायसवाल सिविल सेवा अभ्यर्थियों के बीच एक स्थापित और विश्वसनीय नाम हैं।
इनकी अध्यापन शैली की खास विशेषता यह है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को सामाजिक-आर्थिक संदर्भों के साथ जोड़कर विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करते हैं। साथ ही, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास से हमेशा विद्यार्थियों को अद्यतन रखते हैं।
विगत एक दशक में श्री विकास रंजन वैकल्पिक विषय समाजशास्त्र एवं सामान्य अध्ययन के ‘ सामाजिक मुद्दे’ खंड के सबसे महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शक के रूप में उभरे हैं। इतने कम समय में सिविल सेवा अभ्यर्थियों के बीच उनकी लोकप्रियता एवं विश्वसनीयता की मूल वजह है- सहज, बोधगम्य एवं परीक्षा-केंद्रित अध्यापन-शैली।
वर्तमान में श्री विकास रंजन TRIUPMH IAS कोचिंग संस्थान के प्रबंध निदेशक हैं और हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों माध्यमों में सिविल सेवा अभ्यर्थियों का अध्यापन करते हैं।
अध्ययन एवं लेखन में अपनी विशेष रुचि के चलते उन्होंने वैकल्पिक विषय समाजशाड्ड और सामान्य अध्ययन के ‘भारतीय समाज एवं समाजिक मुद्दे’ सम्बंधी विषयों पर कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का लेखन भी किया है। उनकी लिखी हुई कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं:
1: Fundamental Sociology
2: Applied Sociology
3: National Issues of Social Economic and Political Relevance
4: Survey of Health, Women and Child Development in India