जम्मू के कठुआ ज़िले की विश्व प्रसिद्ध लघु कला शैली बसोहली पेंटिंग को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) प्राप्त हुआ है। यह जम्मू क्षेत्र का पहला स्वतंत्र जीआई-टैग उत्पाद है।
यह लघु चित्रकला का एक प्रतिष्ठित कला स्कूल है जो अपने जीवंत व आकर्षक रंगों, मोटी पंक्तियों और गहरे सेट वाले चेहरे के पैटर्न के लिये जाना जाता है। इसे पहाड़ी चित्रकला का पहला स्कूल माना जाता है।
इस चित्रकला शैली का विकास 17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान स्थानीय शासकों व धनाड्य व्यापारियों के संरक्षण में हुआ। इसे कागज, कपड़े या लकड़ी पर प्राकृतिक रंजक और रंगों का उपयोग करके चित्रित किया जाता है।
इसमें गेरुए पीले, भूरे व हरे रंग का अधिक प्रयोग किया जाता है। इन चित्रों में आकृतियों की समृद्ध वेशभूषा, शैलीबद्ध चेहरे तथा उभरी बड़ी आँखें इन्हें अद्वितीय जीवंतता प्रदान करती हैं।
इसकी विषय-वस्तु भागवत पुराण, स्थानीय शासकों के चरित्र, राधा-कृष्ण व माधव-मालती प्रेम से संबंधित विषयों पर आधारित होती है।