खराई मुख्य रूप से गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पाई जाने वाली ऊँट की एक दुर्लभ प्रजाति है। ये अपने भोजन के रूप में मैंग्रोव वृक्षों को ग्रहण करते हैं।
यह लवणीय रेगिस्तानी वातावरण के लिये अच्छी तरह से अनुकूलित है। इन्हें अपनी तैरने की क्षमता के लिये जाना जाता है।
उन्हें एक अद्वितीय पर्यावरणीय-संक्रमण प्रजाति माना जाता है क्योंकि वे शुष्क भूमि पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ तटीय पारिस्थितिकी तंत्र में भी जीवित रहते हैं।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार कच्छ क्षेत्र में मैंग्रोव वनों के नष्ट होने से इनके अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो रहा है।