29 अक्टूबर, 2021 को पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने ‘मिशन समुद्रयान’ लॉन्च किया। इसके तहत ‘राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान’ (NIOT) द्वारा ‘मत्स्य 6000’ नामक एक पनडुब्बी विकसित की गई है। इस पनडुब्बी के माध्यम से समुद्री संसाधनों के अन्वेषण के लिये मानव को गहरे समुद्र में भेजा जाएगा।
गहरे समुद्र में अनुसंधान को समर्पित यह भारत का पहला मानव-युक्त मिशन है। इसका उद्देश्य गहरे समुद्र में संसाधनों की खोज करना, समुद्री जीवन का अध्ययन करना और विवर्तनिकी सीमाओं (Tectonic Boundaries) की जाँच-पड़ताल करना है।
यह मिशन मूलतः समुद्र में 1,000-5,500 मीटर की गहराई में पाए जाने वाले पॉलिमेटालिक मैगनीज़ नॉड्यूल, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड्स और कोबाल्ट क्रस्ट्स जैसे निर्जीव संसाधन प्राप्त करने तथा उनके आर्थिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिये संकल्पित है। यह मिशन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के ‘डीप ओशन मिशन’ का हिस्सा है।
मानव को गहरे समुद्र में भेजने के लिये पनडुब्बी विकसित करने वाला ‘भारत’ अमेरिका, रूस, चीन, जापान और फ्राँस के बाद विश्व का छठा देश बन गया है। इस मिशन को मूर्त रूप देने के लिये इसरो, डी.आर.डी.ओ. और आई.आई.टी.एम. जैसे विभिन्न संस्थान मिलकर कार्य कर रहे हैं।
‘मत्स्य 6000’ नामक पनडुब्बी पानी में 6,000 मीटर की गहराई तक जा सकेगी और आगामी 3 से 5 वर्षों में इसका परीक्षण किया जाएगा। ध्यातव्य है कि हाल ही में, चीन की मानव-युक्त पनडुब्बी ‘फेंडोज़े’ ने 11,000 मीटर गहरे पानी में गोता लगाया।