रेड मड बॉक्साइट से एल्यूमिना उत्पादन की बेयर प्रक्रिया में उत्पन्न अपशिष्ट है जिसे बॉक्साइट अवशेष के रूप में भी जाना जाता है। विदित है कि बेयर प्रक्रिया बॉक्साइट को परिष्कृत करके एल्यूमिना उत्पादन की एक विधि है जिसे कार्ल जोसेफ बेयर ने विकसित किया था।
यह अत्यधिक क्षारीयता और अलग हुए भारी तत्व के कारण विषैली होती है तथा चिकनी मिट्टी द्वारा घिरे हुए विशेष रूप से डिजाइन किये गए तालाब में संग्रहीत होती है।
प्रायः इन तालाबों के टूटने से मृदा, भूजल और वायु प्रदूषण बढ़ता है जिससे मनुष्यों एवं वन्यजीवों दोनों पर घातक प्रभाव पड़ता है।
यह कम उपयोग किये गए औद्योगिक कचरे में से एक है जिसके उपयोग के लिये अपर्याप्त प्रौद्योगिकियों के कारण वर्षों से इसकी मात्रा बढ़ रही है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 90 लाख टन रेड मड का उत्पादन हो रहा है।
इसमें फेरिक ऑक्साइड का हिस्सा 30-55% तक होता है, जो एक्स और गामा किरणों जैसे उच्च-ऊर्जा आयनकारी विकिरणों को क्षीण करने के लिये उपयुक्त है।