यह एक दुर्लभ स्नायविक स्थिति है जिसके कारण अस्थिर एवं प्रगतिशील मांसपेशियों में अनियंत्रित रूप से ऐंठन होने लगती है जो मुख्यता अक्षीय (पीठ और पेट) मांसपेशियों को अधिक प्रभावित करता है।
यह एक प्रकार का केंद्रीय तंत्रिका तंत्र विकार अर्थात एन्सेफैलोमाइलोपैथी है, जिससे प्रभावित अधिकांश रोगियों में मायलोपैथिक विशेषताएँ प्रबल होती हैं। यह अधिकांशतः 35 से 40 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को प्रभावित करता है।
इसके लक्षण भिन्न-भिन्न प्रकार के हो सकते हैं। इसमें शरीर, हाथ व पैर की मांसपेशियों में गंभीर दर्द व जकड़न के साथ शारीरिक मुद्रा में बदलाव तथा शोर, स्पर्श और भावनात्मक तनाव के प्रति किसी व्यक्ति का अधिक संवेदनशील होना शामिल है।