अल्ट्रावॉयलेट-सी जल शोधन (Ultraviolet-C water purification)/h1>
यूवी-सी जल शोधन (UV-C), जल को शुद्ध करने की सबसे प्रभावी कीटाणुशोधन तकनीकों में से एक है। इस तकनीक में विशेष कीटाणुनाशक के रूप में अल्ट्रावॉयलेट-सी लैंप, उच्च-तीव्रता वाले पराबैंगनी प्रकाश का उत्सर्जन कर जल को शुद्ध करते हैं। इसमें पर्यावरण के लिये हानिकारक कठोर रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता।
भारत में अधिकांश वाटर प्यूरीफायर में यूवी-सी ट्यूब का उपयोग किया जाता है। यूवी-सी विकिरण खतरनाक बैक्टीरिया तथा वायरस को नष्ट करने में सक्षम होते हैं।
साथ ही, यह जल में मौज़ूद महत्वपूर्ण खनिज लवणों को बनाए रखते हैं। इस विधि को स्वस्थ व टिकाऊ माना जाता है, क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान कोई विषाक्त उपोत्पाद नहीं बनता है।
एक्स-रे तथा दृश्य प्रकाश के मध्य विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को ‘पराबैगनी विकिरण’ कहा जाता है। सूर्य का प्रकाश इसका प्रमुख उदाहरण है, जिससे मुख्यतः तीन प्रकार की अल्ट्रावॉयलेट किरणें; यूवी-ए, यूवी-बी तथा यूवी-सी उत्पन्न होती हैं। इनमें से यूवी-सी किरणों की तरंग दैर्ध्य सबसे कम होती है।