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शॉर्ट न्यूज़: 29 जुलाई, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 29 जुलाई, 2022


पराबैंगनी किरणों के द्वारा प्लास्टिक का निम्नीकरण 

विदेशी निवेश नियमों में संशोधन


पराबैंगनी किरणों के द्वारा प्लास्टिक का निम्नीकरण 

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, बाथ विश्वविद्यालय (ब्रिटेन) के शोधकर्ताओं ने पराबैंगनी (UV) विकिरण के माध्यम से प्लास्टिक को निम्नीकृत करने की विधि विकसित की है।  

प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्ताओ के अनुसार, पॉली लैक्टिक एसिड (PLA) में चीनी की कुछ मात्रा मिला देने के पश्चात् पराबैंगनी विकिरणों के संपर्क में आने से निम्नीकरण की दर में वृद्धि की जा सकती है। 
  • इस शोध में पी.एल.ए. में चीनी की 3% मात्रा को मिला कर के यू.वी. विकिरणों के संपर्क में लाया गया, जिसके परिणामस्वरूप यह मात्र छह घंटों में ही इसका 40%  निम्नीकरण हो गया।
  • विदित है कि यू.वी. विकिरणों का तरंगदैर्ध्य 10 नैनोमीटर से 400 नैनोमीटर तक होता है। इसका तरंगदैर्ध्य दृश्य प्रकाश की तुलना कम परंतु एक्स-रे की तुलना में अधिक होता है।

क्या है पॉली लैक्टिक एसिड

  • पी.एल.ए. को प्लास्टिक के एक विकल्प के रूप में विकसित किया गया है जो कच्चे तेल से बने पॉलिमर से निर्मित होता है और एक नवीकरणीय और टिकाऊ विकल्प है।
  • अधिकांश पॉली लैक्टिक एसिड लंबी बहुलक श्रृंखलाओं से बने होते हैं जिन्हें पानी और एंजाइमों से तोड़ना मुश्किल है।
  • इसका उपयोग डिस्पोजेबल कप और टीबैग्स से लेकर थ्री डायमेंशनल (3D) प्रिंटिंग और पैकेजिंग तक अनेकों वस्तु में किया जाता है।
  • हालांकि पी.एल.ए. का कभी-कभी बायोडिग्रेडेबल के रूप में प्रचार किया जाता है, लेकिन यह केवल उच्च तापमान और आर्द्रता की औद्योगिक कंपोस्टिंग स्थितियों के तहत ही उपचारित हो सकता है, न कि सामान्य आवासीय कचरे के ढेर में।
  • यह प्राकृतिक वातावरण, जैसे मृदा या समुद्र में भी आसानी से निम्नीकृत योग्य नहीं है।

विदेशी निवेश नियमों में संशोधन

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुछ अस्थायी उपायों की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की घोषणा में विदेशी निगमित निकायों के लिये ऋण सीमा को दोगुना करना तथा भारतीय गैर-निवासियों की विदेशी मुद्रा जमाओं के संबध में ब्याज सीमाओं को हटाना शामिल हैं। ऋण सीमा को बढ़ाकर 750 मिलियन डॉलर से 1.5 बिलियन डॉलर कर दिया गया है ।
  • रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब पूँजी का निरंतर बहिर्वाह (Outflow) और बढ़ते व्यापार घाटे के कारण यूएस डॉलर की तुलना में भारतीय रूपए के मूल्य में निरंतर गिरावट हो रही है। वित्त वर्ष 2022-23 के अंतर्गत 5 जुलाई तक रूपए में 4.1% की गिरावट हुई है।
  • रिज़र्व बैंक के अनुसार पोर्टफोलियो निवेश के अतिरिक्त मुद्रा प्रवाह स्थिर रहा तथा 24 जून को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 593.3 अरब डॉलर था।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश(FPI)

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का अभिप्राय किसी व्यक्ति अथवा संस्था के द्वारा किसी अन्य देश की कम्पनी में किए गए निवेश से है, जिसमें सम्बंधित कम्पनी की प्रतिभूतियों को खरीदना अथवा उसे ऋण प्रदान करना शामिल है।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कंपनी के प्रबंधन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होते हैं तथा इन्हें ब्याज के रूप में लाभ प्राप्त होता है।
  • भारत में इनका विनियमन ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ (SEBI) के द्वारा किया जाता है।

प्रत्यक्ष विदेशी  निवेश(FDI)

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का आशय एक ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें एक देश के निवासी किसी अन्य देश की फर्म/कम्पनी में निवेश करते हैं और कम्पनी के प्रबंधन में शामिल रहते हुए लाभ अर्जित करते हैं ।

  • रिज़र्व बैंक वर्तमान में विदेशी मुद्रा बाज़ार में तरलता की स्थिति पर गंभीरता से जाँच कर रहा है और रूपए की मजबूती के लिये आवश्यक कदम उठाने के लिये भी प्रयासरत है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खातों और अनिवासी बाहरी खातों में 4 नवम्बर तक की सावधि जमाओं पर वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) तथा नकद आरक्षित अनुपात (CRR) के प्रबंधन की छूट दी है।
  • सभी बैंकों को 7 जुलाई से 31 अक्टूबर, 2022 तक विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाओं और अनिवासी बाहरी खातों में जमाओं को स्वीकार करने की अनुमति दी गयी है, ये जमाएं वर्तमान ब्याज दरों के नियमों से मुक्त होगी।

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