सरवोछ न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की वोट गणना के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के 100% मिलान की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने का फैसला किया है।
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मतदान प्रक्रिया का इतिहास
- 1952 और 1957 के पहले दो आम चुनावों में, प्रत्येक उम्मीदवार के लिए उनके चुनाव चिन्ह के साथ एक अलग बॉक्स होता था। मतदाताओं को उस उम्मीदवार के बक्से में एक खाली मतपत्र डालना था जिसे वे वोट देना चाहते थे।
- तीसरे आम चुनावों में पहली बार उम्मीदवारों के नाम और उनके प्रतीकों के साथ मतपत्र पेश किया गया जिसमें मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार पर मुहर लगाते थे।
- पहली बार ईवीएम को 1982 में केरल के परवूर विधानसभा क्षेत्र में परीक्षण के आधार पर पेश किया गया था।
- इसके बाद, 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों के दौरान सभी बूथों पर ईवीएम तैनात किया गया था।
- 2004 के लोकसभा आम चुनावों में, सभी 543 निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम का उपयोग किया गया था।
- सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारतीय चुनाव आयोग (2013) मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए पेपर ट्रेल एक अनिवार्य आवश्यकता है।
- 2019 के चुनावों में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सभी ईवीएम के साथ वीवीपीएटी भी संयुग्मित किए गए।
अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएँ
- कई पश्चिमी लोकतंत्रों में चुनावों के लिए कागजी मतपत्र ही उपयोग में ले जाते हैं।
- इंग्लैंड, फ्रांस, नीदरलैंड और अमेरिका जैसे देशों ने पिछले दो दशकों में परीक्षणों के बाद, राष्ट्रीय या संघीय चुनावों के लिए ईवीएम का उपयोग बंद कर दिया है।
- जर्मनी में, वहाँ के सर्वोच्च न्यायालय ने 2009 में चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
- हालाँकि, ब्राज़ील जैसे कुछ देश अपने चुनावों के लिए ईवीएम का उपयोग करते हैं।
- पड़ोसी देशों में पाकिस्तान ईवीएम का इस्तेमाल नहीं करता, बांग्लादेश ने 2018 में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में प्रयोग किया लेकिन 2024 में आम चुनावों के लिए कागजी मतपत्रों का ही प्रयोग किया गया।
ईवीएम की विशेषताएं
- बूथ कैप्चरिंग पर लगाम : ईवीएम में वोट डालने की दर को प्रति मिनट चार वोट तक सीमित करके फर्जी मतदान में लगने वाले में उल्लेखनीय वृद्धि की है, इससे बूथ कैप्चरिंग घटनाएँ लगभग समाप्त हो गई हैं।
- मतों के अवैध होने आशंका समाप्त : कागजी मतपत्रों में मतों के अवैध होने की प्रायिकता बहुत अधिक होती थी और यह मतगणना प्रक्रिया के दौरान विवाद का विषय भी थे। ईवीएम ने मत के अवैध होने की आशंका हो पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।
- पर्यावरण-अनुकूल : देश मतदाताओं के बढ़ते आकार को ध्यान में रखते हुए, जो एक अरब के करीब पहुँच गई है, ईवीएम का उपयोग पर्यावरण-अनुकूल है क्योंकि इससे कागज की खपत कम हो जाती है।
- प्रक्रिया में तीव्रता : यह मतदान प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक बनाकर मतदान कराने से लेकर उनकी गणना तक चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तीव्र बनाने के साथ-साथ अधिकारियों के लिए प्रशासनिक सुविधा प्रदान करती है।
ईवीएम की आलोचना
- कई फायदों के बावजूद, समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक समाज कार्यकर्ताओं द्वारा ईवीएम की कार्यप्रणाली पर संदेह उठाया गया है।
- ईवीएम एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसमें कंप्यूटर सॉफ्टवेर का उपयोग होता है, अतः सबसे अधिक संदेह इसके हैकिंग के प्रति अधिक संवेदनशील होने जा जताया जाता है।
- निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह कैलकुलेटर की तरह एक स्टैंडअलोन डिवाइस है, जिसमें किसी बाहरी डिवाइस से कोई कनेक्टिविटी नहीं है और इसलिए यह किसी भी प्रकार की बाहरी हैक से मुक्त है।
- यद्यपि वर्तमान में प्रति विधानसभा क्षेत्र/खंड में पांच ईवीएम के मतों को वीवीपैट पर्चियों की गिनती से मिलान भी किया जाता है।
- लेकिन यह किसी भी वैज्ञानिक मानदंड पर आधारित नहीं है और गिनती के दौरान दोषपूर्ण ईवीएम का पता लगाने में विफल हो सकता है।
- इसके अलावा वर्तमान प्रक्रिया में विभिन्न दल बूथ-वार मतदान व्यवहार की पहचान करने में सक्षम होते हैं जिसके परिणामस्वरूप भविष्य के लिए प्रोफाइलिंग और धमकी की आशंका बढती है।
आगे की राह
- लोकतंत्र की पारदर्शिता के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक बिना किसी विशेष तकनीकी ज्ञान के निर्वाचन प्रक्रिया के चरणों को समझने और सत्यापित करने में सक्षम हो।
- वीवीपीएटी के 100% उपयोग ने मतदाताओं को यह सत्यापित करने में सक्षम बनाया है कि उनका वोट 'डाले गए वोट के रूप में दर्ज' है।
- हालाँकि, पूरी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वोट 'रिकॉर्ड के अनुसार ही गिने जाएं', कुछ अतिरिक्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
- ईवीएम की गिनती का वीवीपैट पर्चियों से 100 फीसदी मिलान अवैज्ञानिक और मतगणना की दशकों पुराने प्रक्रिया को अपनाने के समान होगा।
- ईवीएम गणना और वीवीपैट पर्चियों के मिलान के लिए प्रत्येक राज्य को बड़े क्षेत्रों में विभाजित करके नमूना वैज्ञानिक तरीके से तय किया जाना चाहिए।
- एक भी त्रुटि के मामले में, संबंधित क्षेत्र के लिए वीवीपैट पर्चियों शत-प्रतिशत मिलान के बाद ही परिणामों की घोषणा की जानी चाहिए। इससे गिनती की प्रक्रिया में सांख्यिकीय रूप से विश्वास और पारदर्शिता बढ़ेगी।
- इसके अलावा, बूथ स्तर पर मतदान व्यवहार को उजागर होने से बचने के लिए, 'टोटलाइज़र' मशीनें पेश की जा सकती हैं जो उम्मीदवार-वार गिनती प्रकट करने से पहले एक साथ कई बूथों की ईवीएम के मतों को एकत्रित करने में सक्षम हों।