New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

नींद लेने या सोने का अधिकार

संदर्भ

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक वरिष्ठ नागरिक से पूरी रात पूछताछ करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की निंदा की।

क्या है मामला

  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने यह आदेश 64 वर्षीय राम इसरानी की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी जांच को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया।
  • ED द्वारा 'अवैध' गिरफ्तारी का दावा करने वाले 64 वर्षीय व्यवसायी की याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने उस तरीके की आलोचना की, जिस तरह से रात भर ED कार्यालय में उनका बयान दर्ज किया गया था।

न्यायालय ने क्या कहा?

  • उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 (सम्मान के साथ जीवन का अधिकार) के तहत 'नींद का अधिकार' एक बुनियादी मानव अधिकार है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।
    • नींद की कमी किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है, उसकी मानसिक क्षमताओं, संज्ञानात्मक कौशल आदि को ख़राब कर सकती है।

भारतीय संविधान के अंतर्गत नींद का अधिकार:

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नींद एक मौलिक अधिकार है और सुरक्षा के अधीन है।
  • इसका मतलब है कि कोई भी रात में शांतिपूर्ण माहौल में नींद के दूसरों के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है। 
  • हालाँकि, नींद का अधिकार एक निहित अधिकार है, इसमें नींद की जगह, नींद का समय और नींद के तरीके जैसे कुछ प्रतिबंध हैं। 
    • कोई भी अनुचित कार्य नहीं कर सकता, जैसे दिन में नींद लेना, नग्न सोना, सार्वजनिक स्थानों पर नींद लेना आदि।

                                                         ऐतिहासिक फैसले

सईद मकसूद अली बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2001)

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि प्रत्येक नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक सभ्य वातावरण में रहने का अधिकार है और रात में शांति से सोने का अधिकार है।

रामलीला मैदान हादसा बनाम गृह सचिव, भारत संघ एवं अन्य (2011)

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ्य से जुड़ी है, जो अनुच्छेद 21 का एक अविभाज्य पहलू है। यह भारतीय संविधान का एक अपरिहार्य अधिकार है।

फोरम, पर्यावरण की रोकथाम एवं ध्वनि प्रदूषण बनाम भारत संघ एवं अन्य (2005)

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि, शोर हमारे काम, आराम, नींद और नींद आने में बाधा उत्पन्न सकता है। शोर के घुसपैठ से सोए हुए लोगों को जगाया जा सकता है। इसके न केवल सतर्कता की स्थिति के दौरान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक परिणाम हो सकते हैं, बल्कि शोध से यह भी पता चलता है कि प्रभाव तब भी हो सकता है जब शरीर अनजान हो या नींद में हो।

बुराबाजार फायर वर्क्स डीलर्स बनाम पुलिस आयुक्त और अन्य (1997)

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने खराब रात्रि माहौल के कारण नींद पर पड़ने वाले प्रभावों को रेखांकित किया।

खड़क सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य (1962)

किसी भी व्यक्ति के निवास में घुसपैठ करना और उसकी नींद या सामान्य आराम में खलल डालते हुए उसके दरवाजे पर दस्तक देना आवश्यक रूप से उसके स्वतंत्र रूप से घूमने के अधिकार का उल्लंघन करता है (19(1) (d) के तहत) और साथ ही अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत उसकी "व्यक्तिगत स्वतंत्रता" से उसका "वंचन" भी है।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR