एयरोपॉनिक्स बिना मृदा या समुच्चय माध्यम के वायु तथा नियंत्रित वातावरण में पौधों को उगाने की विधि है। इस तकनीक में पौधों की जड़ों को किसी पात्र में बंद कर उनकी जड़ों पर पोषक तत्त्वों के घोल का छिड़काव किया जाता है। ‘टिश्यू कल्चर’ के माध्यम से उगाए गए पौधों की जड़ों के मज़बूत होने के पश्चात् उनका एयरोपॉनिक विधि से विकास किया जाता है।
पारंपरिक कृषि की तुलना में इसमें कम ऊर्जा तथा जल का उपयोग होता है। इस तकनीक द्वारा पौधों को उगाने तथा वृद्धि में वायु प्रमुख माध्यम के रूप में कार्य करती है, इसलिये इसके रखरखाव की लागत काफी कम होती है। एयरोपॉनिक तकनीक पारंपरिक हाइड्रोपॉनिक्स, एक्वापॉनिक्स तथा इन-विट्रो तकनीक से भिन्न है।
इस प्रणाली में पौधे की जड़ें पर्याप्त ऑक्सीजन के संपर्क में होती हैं, पौधे उसे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं। इससे पौधे रोगमुक्त रहते हैं तथा उनका विकास तीव्र होता है।
ध्यातव्य है कि पौधों को रोगों से बचाने के लिये उनकी जड़ों पर प्रयोग की जाने वाली ‘मिस्ट’ (Mist) को स्टर्लाइज़ किया जा सकता है। यह तकनीक 100% सुरक्षित है तथा जल संरक्षण व मानवश्रम का श्रमसाध्य उपयोग कर पर्यावरण सुरक्षा तथा सतत विकास में सहायक है।
इस विधि का सबसे बड़ा लाभ सीमित स्थान का सर्वोत्तम उपयोग है। इसके अतिरिक्त, ‘एयरोपॉनिक्स’ पौधों के विकास, उत्तरजीविता दर तथा परिपक्वता अवधि में सुधार करने के लिये पौधों के क्लोन तैयार करने का आसान एवं प्रभावी तरीका प्रदान करेगी।