New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

असुर जनजाति (Asur Tribe)

हाल ही में, झारखंड की असुर जनजाति असुरी भाषा को पुनर्जीवित करने के प्रयासों की वजह से चर्चा में रही। वर्तमान में सिर्फ 7000-8000 असुर लोग ही इस भाषा को बोलते हैं। भाषा को पुनर्जीवित करने के लिये ये लोग स्थानीय समाचारों को मोबाइल रेडियो के माध्यम से असुरी भाषा में ही प्रसारित कर रहे हैं। ध्यातव्य है कि असुरी भाषा यूनेस्को की एटलस ऑफ द वर्ल्ड्स लैंग्वेजेज़ इन डेंजर की सूची में शामिल है।

  • असुर जनजाति मुख्यतः झारखण्ड के गुमला, पलामू, लातेहार एवं लोहरदगा जिलों में तथा आंशिक रूप से पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा में निवास करती है। असुर जनजाति मुख्यतः प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड है, ये लोग असुरी भाषा बोलते हैं जो ऑस्टोएशियाटिक परिवार की भाषा है। सरहुल, फगुआ तथा करमा आदि इनके प्रमुख त्यौहार हैं।
  • गृह मंत्रालय द्वारा असुर जनजाति को विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Groups-PVTGs) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वस्तुतः पीवीटीजी निम्न विकास सूचकांक वाले जनजातीय समुदाय होते हैं। जनजातीय समुदायों को पीवीटीजी श्रेणी में सूचीबद्ध करने की सिफारिश ढेबर आयोग (1973) द्वारा की गई थी। पीवीटीजी से सम्बंधित विकास कार्यक्रमों की देखरेख जनजातीय कार्य मंत्रालय करता है, इसके तहत सम्बंधित राज्यों को पीवीटीजी के विकास हेतु 100% अनुदान सहायता प्राप्त होती है।
  • वर्तमान में, पीवीटीजी श्रेणी के अंतर्गत असुर, बिरहोर (मध्य प्रदेश एवं ओडिशा), बिरजिया (बिहार), राजी (उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश), मनकीडिया (ओडिशा) तथा जारवा (केरल, अंडमान एवं निकोबार) आदि जनजातीय समुदाय शामिल हैं।
  • यूनेस्को की एटलस ऑफ द वर्ल्ड्स लैंग्वेजेज़ इन डेंजर, विश्व भर में भाषाई विविधता को सुरक्षित रखने, लुप्तप्राय भाषाओं की निगरानी एवं उन्हें पुनर्जीवित करने के लिये एक वैश्विक प्रयास है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR