ऑटिज़्म या ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर एक गंभीर मानसिक रोग है, जो तंत्रिका तंत्र के प्रभावित होने से होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति संवाद स्थापित करने में अक्षम होता है। इसके लक्षण 2-3 वर्ष की आयु से ही दिखाई देने लगते हैं।
इस रोग से पीड़ित बच्चे अपने नाम को सुनकर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। इसके अलावा, खेलते वक़्त किसी के संपर्क में आने पर, दूसरों के हाव-भाव को समझने या अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। ये बच्चे बोलने व भाषा सीखने में अधिक समय लगाते हैं तथा शब्दों या वाक्यांशों को बार-बार दोहराते हैं अथवा शब्दानुकरण करते हैं।
इसके लक्षण और गंभीरता प्रत्येक रोगी में अलग अलग होती है। इसका निदान मुश्किल होता है, क्योंकि इसकी जाँच केवल बच्चे के व्यवहार और विकास के आधार पर की जा सकती है। यद्यपि छोटे बच्चों में ऑटिज़्म की संभावना होने पर उनका ऑडियोलॉजिकल मूल्यांकन तथा स्क्रीनिंग परीक्षण किया जा सकता है। यदि समय से इसका नैदानिक परिक्षण कर उपचार प्रारंभ कर दिया जाए, तो इसे कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
इस रोग के संबंध में सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है, किंतु अध्ययनों से पता चला है कि इसके आनुवंशिक व पर्यावरणीय कारकों से जुड़े होने की संभावना है। इससे पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क में सेरोटोनिन या अन्य न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर असामान्य हो जाता है। आनुवंशिका दोष के कारण भ्रूण के प्रारंभिक विकास के समय इस रोग के होने की संभावना होती है।