जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत जीवन विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर के वैज्ञानिकों ने पहली बार अत्यधिक नमक-सहिष्णु तथा नमक-स्रावित वास्तविक मैंग्रोव प्रजाति ‘एविसेनिया मरीना’ के पूर्ण जीनोम अनुक्रम की जानकारी दी है।
एविसेनिया मरीना भारत में पाई जाने वाली सभी मैंग्रोव संरचनाओं की सबसे प्रमुख मैंग्रोव प्रजातियों में से एक है, जो असाधारण नमक की मात्रा के प्रति सहिष्णु तथा नमक-स्रावण करने वाली मैंग्रोव प्रजाति है।
यह मैंग्रोव की दुर्लभ प्रजातियों में से एक है, जो पत्तियों में उपस्थित नमक ग्रंथियों के माध्यम से 40% नमक का उत्सर्जन करती है तथा इसकी जड़ों में नमक के प्रवेश को बाहर करने की असाधारण क्षमता होती है।
अध्ययन से प्राप्त जीनोमिक संसाधन शोधकर्ताओं के लिये तटीय क्षेत्र की महत्वपूर्ण सूखा एवं लवणता सहिष्णु प्रजातियों के विकास के लिये पहचाने गए जीन की क्षमता का अध्ययन करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे, जो भारत की 7,500 किमी. लंबी समुद्र तटरेखा तथा दो प्रमुख द्वीपों के प्रबंधन हेतु महत्त्वपूर्ण हैं।
मैंग्रोव दलदले अंतर-ज्वारीय मुहाना क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रजाति है, जो उच्चस्तरीय लवणता के अनुकूल होती है। यह पारिस्थितिक तंत्र तथा आर्थिक मूल्य की द्रृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। ये तटरेखाओं की रक्षा, समुद्री एवं स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र के मध्यस्थ तथा स्थलीय जीवों के लिये आवास प्रदान करने का कार्य करती है।