हाल ही में, केरल के पप्पनमकोड में सी.एस.आई.आर.-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NIIST) के वैज्ञानिकों ने कच्चे नेंड्रान केले से एक नया उत्पाद ‘बनाना ग्रिट या ग्रैन्यूल’ विकसित किया है। यह रवा और टूटे हुए गेहूँ जैसा दिखता है। इस तकनीक को कोच्चि स्थित 'मोज़ा ऑर्गेनिक' (Moza Organic) को हस्तांतरित कर दिया गया है, उत्पाद शीघ्र ही बाज़ार में आ जाएगा।
एन.आई.आई.एस.टी. के अनुसार, ‘बनाना ग्रिट’ का उपयोग स्वस्थ आहार के आदर्श घटक के रूप में व्यंजन तथा स्वास्थ्यवर्धक पेय बनाने के लिये किया जा सकता है। ध्यातव्य है कि केले में उपस्थित प्रतिरोधी स्टार्च स्वास्थ्य के लिये लाभकारी होता है, जिसका उपयोग करने के लिये इसकी शुरूआत की गई थी।
केला ग्रिट और इसके उपोत्पाद से तैयार व्यंजन पाचन की दृष्टि से लाभकारी होने के कारण वैज्ञानिक समुदाय अब स्वास्थ्य और कल्याण के लिये व्यापक रूप से इस ओर ध्यान दे रहे हैं।
चेंगलिकोडन नेंद्रन केला (Changalikodan Nendran) या चेंगलिकोडन (Changalikodan) के नाम से प्रसिद्ध केला केरल के त्रिशूर ज़िले में चेंज़ाझिकोडु (Chengazhikodu) गाँव में उत्पादित केले की एक किस्म है। चेंगलिकोडन की खेती अब भरतपुझा नदी के किनारे पर की जाती है, इसे चेन्नई से भौगोलिक संकेतक (G. I. Tag) प्राप्त हुआ है। सामन्यतः केरल के व्यंजन जैसे-एवियल और थोरन में पके हुए नेंद्रन केले का उपयोग किया जाता है।