जी.आई. टैग प्राप्त चेंदमंगलम साड़ियाँ दक्षिण भारत की साड़ियों में विशिष्ट स्थान रखती हैं, इनके पुलियिलाकारा बॉर्डर (Puliyilakara Border) द्वारा इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। इस बॉर्डर में पतली काली रेखाएँ होती हैं जिन्हें साड़ी के किनारे के सामानांतर उकेरा जाता है।
बारीक सूती धागे से निर्मित इन साड़ियों को तैयार करने में 3 से 4 दिन लगते हैं। इनमें चुट्टीकारा एवं धारियों की डिज़ाइन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। विगत कुछ समय से इन साड़ियों में कासवु ज़री बॉर्डर पर भी काम किया जा रहा है।
चेंदमंगलम, केरल के एर्नाकुलम के पास, तीन नदियों के संगम पर स्थित एक छोटा सा शहर है। मुज़िरिस (Muziris) नामक प्राचीन बंदरगाह का हिस्सा रहा यह शहर कर्नाटक के बुनकरों ‘देवांग चेट्टियारों’ (Devanga Chettiars) द्वारा महीन सूत कताई के लिये भी प्रसिद्ध है, जो इस शहर में आकर बस गए थे।
केरल में बुनकरों के लिये संचालित 'केयर 4 चेंदमंगलम’ (Care 4 Chendamangalam– C4C) पहल द्वारा हाल में, बेंगलुरू में अनुदान संचय समारोह (fund-raiser) प्रदर्शनी में चेंदमंगलम साड़ी को प्रदर्शित किया गया। इस पहल के द्वारा चेंदमंगलम साड़ियों के निर्माण को पुनर्जीवित करने की कोशिशें की जा रहीं हैं।
ध्यातव्य है कि वर्ष 2018 में केरल में आई विनाशकारी बाढ़ की वजह से चेंदमंगलम साड़ी उद्योग बुरी तरह से तबाह हो गया था और अब शहर में पारम्परिक विधि से इस साड़ी का निर्माण करने वाले कुछ बुनकर ही बचे हैं।