4 जून, 2021 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई, कैंसर केयर इन इंडिया तथा टाटा मेमोरियल अस्पताल मुंबई द्वारा भारत में पहली सी.ए.आर-टी. सेल थेरेपी (एक प्रकार की जीन थेरेपी) की गई। सी.ए.आर-टी. कोशिकाओं को आई.आई.टी. मुंबई के जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग में डिज़ाइन तथा निर्मित किया गया था।
शिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी-सेल (CAR-T) थेरेपी विश्व स्तर पर किये गए नैदानिक परीक्षणों के बाद अंतिम चरण के कैंसर रोगियों, विशेष रूप से तीव्र लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया से पीड़ित रोगियों के उपचार में एक सफल तथा आशाजनक परिणाम के रूप में सामने आई है।
वर्तमान में यह तकनीक भारत में उपलब्ध नहीं है। शिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी-कोशिका के विकास की जटिल प्रक्रिया के कारण इस सेल थेरेपी की लागत लगभग 3-4 करोड़ रुपये है। इस तकनीक को कैंसर तथा अन्य रोगों के उपचार हेतु विकसित करने के उद्देश्य से जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद् तथा जैव-प्रौद्योगिकी विभाग ने पहल की है।
इस कोशिका का विकास राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के तहत जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद् के सहयोग से किया गया है। जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद् जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी धारा 8, अनुसूची बी का सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।